RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
मैने कहा बाबा जिस चीज़ की भी ज़रूरत हो आप बस आदेश करना पर ये काम जल्दीही होना चाहिए जैसे ही मैं चलने को हुवा तो बाबा बोले देव चाइ पीओगे मैने कहा बाबा आप पिलाएँगे तो ज़रूर पियुंगा तो वो बोले आओ मेरे साथ चलो तो मैं उनके साथ उनके घर आ गया बाबा ने मुझे बैठने को मुद्ढ़ा दिया और अंदर आवाज़ लगाई अरी ओ बहुरिया ज़रा दो कप चाइ तो बना मेहमान आए है घर पे
कोई दस मिनिट बाद चाइ आ गयी पर चाइ लेकर आया कॉन था ………………………. ढिल्लू मैने कहा ढिल्लू तुम यहाँ क्या कर रहे हो वो बोला देव साहब ये मेरा घर है बाबा बोले तुम जानते हो इसको मैने कहा हाँ बाबा अनजाने ही मैं उसके घर आ गया था मैने फिर बाबा को कहा कि अगर ढिल्लू के पिताजी मेरे बाग की चोकीदारी करें तो ठीक रहे बाबा बोले वो सारा दिन चिलम पीकर पड़ा रहता है वो क्या करेगा
पर अगर आपकी इच्छा है तो वो अंदर ही पड़ा होगा आप बात कर्लो तो मैने चाइ का कप रखा और अंदर चला गया ढिल्लू ने अपने बापू से मेरा परिचया करवाया और आने का मकसद बताया शुरू मे तो उसने मना किया पर फिर अच्छी तनख़्वाह की बात सुनकर मान गया हम लोग बात कर ही रहे थे कि तभी ढिल्लू की मम्मी भी आ गयी और उसके पति को काम देने के लिए मेरा शुक्रिया करने लगी
उसके बारे मे मैं आपको क्या बताऊ कितनी ही सुंदर औरत थी वो बेहद गोरी , एक दम साँचे मे ढला हुवा सुतवा शरीर जो कि ग़रीबी की मार से थोड़ा सा ढल गया था पर एक अलग ही कशिश थी उसमे मैने मन मे सोचा इस गधे को ऐसा फूल कहाँ से मिल गया पर ज़्यादा देर अपनी नज़र उस पर नही रख सकता था तभी ढिल्लू बोला मम्मी देव बाबू को हवेली की रसोई मे काम करने को कोई चाहिए आप उधर काम करने लग जाओ ना तो इनका काम भी हो जाएगा और घर की हालत भी सुधर जाएगी तो वो बोली पर मैं कैसीईईईईईईईई??? पर ढिल्लू का बापू जो मुझे थोड़ा लालची सा लगा उसने कहा मालिक ये आजाएगी हवेली मे रसोई का काम करने को कल से ही आ जाएगी
मैने कहा ठीक है मैं कल ही शहर जाके रसोई की ज़रूरत का समान खरीद लाउन्गा आप एक दो दिन मे आ जाना मैं भी खुश था कि चलो मेरी कुछ परेशानी तो दूर हुई फिर मैं उनलोगो से विदा लेकर मुनीम जी के घर चला गया और सारी बात उनको बताई तो लक्ष्मी बोली एक बार लोग आप पर थोड़ा भरोसा करने लग जाए फिर वो काम भी करने लगेंगे वो तो मुझे आज भी उधर ही रोकना चाहती थी पर मुझे सुबह जल्दी ही शहर जाना था तो मैं खाना खाते ही निकल लिया
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अगले दिन मैं जल्दी ही उठ गया और शहर जाने की तैयारी करने लगा तब तक नंदू भी आ गया था मैने उसको कहा कि मैं शाहर जा रहा हू तू मेरे आने तक इधर ही रहना घर की सफाई करना पानी भरना टंकी मे और कुछ काम दिखे तो वो भी कर देना और हाँ लखन आए तो उस से कहना कि सीधा बाग मे चला जाए और वहाँ संभाल ले फिर मैने कार स्टार्ट की और निकल पड़ा
सिटी पहुच कर मैने सबसे पहले राशन का सामान खरीदा जो भी मुझ चाहिए था कुछ देसी कुछ इंटरनॅशनल फिर मैने नंदू और ढिल्लू के लिए कुछ जोड़ी कपड़े खरीदे बॅंक गया कुछ रकम निकाली लंच भी वही पर कर लिया फिर मैं कार के शोरुम गया और कहा कि मेरी दूसरी कार की डेलिवरी अभी तक नही की है तो उन्होने बताया कि सर एक हफ्ते मे डेलिवरी हो जाएगी
मुझे तसीलदार ऑफीस भी जाना था अपनी पूरी ज़मीन की फिर से पैमाइश करवानी थी पर फिर वो काम पेडिंग ही रहने दिया अब एक दिन मे क्या क्या होता गाँव आते आते अंधेरा होने लगा था मैं तेज़ी से आगे बढ़ा चला जा रहा था पर फिर किसी को देख कर मैने ब्रेक लगा दिए और शीशा नीचे किया ये नंदू की माँ चंदा थी मैने कहा आप यहाँ इस वक़्त क्या कर रही है
किसी के खेतो मे काम करने गयी थी आते आते देर हो गयी मैने कहा अगर आप को बुरा ना लगे तो आप मेरे खेतो मे काम करने आ जाओ मैं पैसे भी दूसरो से ज़्यादा दूँगा तो वो बोली जी ठीक है मैं कल से आ जाउन्गी मैने कहा आओ बैठो मैं आपको घर छोड़ देता हू वो बोली मालिक काहे हम छोटी जात वालो को पाप लगाते हो मैं खुद चली जाउन्गी मैने कहा आप कैसी बाते करती है आप मेरे दोस्त की माँ हो आओ जल्दी और फिर मैने उनको उनके घर छोड़ा और हवेली आ गया
हॉर्न सुन कर नंदू ने गेट खोला तो मैने कार पार्क की और नंदू से कहा कि समान उतार कर अंदर रख दो मैं आता हू हाथ मूह धोके मैं फ्रेश होके आया तो देखा कि ढिल्लू है मैने कहा तुम इस टाइम यहाँ कैसे वो बोला माँ ने आपके लिए खाना और दूध भेजा है तभी नंदू बोला मालिक आपका खाना तो मुनीम जी के घर से आ गया है मैने कहा कॉन आया था तो वो बोला कि सेठानी जी आई थी
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