RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
दिन गुजर रहे थे मुझे यहाँ आए 15 दिन हो गये थे और आज हवेली का काम ख़तम हो गया था मैं अपने बाप-दादा के घर मे रहने के लिए आ गया था अब यहाँ का हाल देख कर कोई नही कह सकता था कि कुछ दिन पहले ये बस एक खंडहर का टुकड़ा था हालाँकि अभी भी कुछ हिस्सो को मरम्मत की ज़रूरत थी पर मैं अकेला ही रहने वाला था तो उस हिस्सो को वैसे ही रहने दिया था
शुरू शुरू मे मुझे अकेले रहने मे थोड़ा अजीब सा लगता था पर फिर आदत हो गयी और गाँव मे भी लोगो से जान पहचान होने लगी थी इधर मैं लक्ष्मी को चोद्ने की सोचता रहता था पर कुछ बात नही बन रही थी और फिर किस्मत आख़िर मुझ पर मेहरबान हो ही गयी एक दिन राइचंद जी जब गाँव मे किसी से मिलने जा रहे थे तो एक पागल सांड ने उनको अपने लपेटे मे ले लिया और उनको घसीट मारा
हम लोग तुरंत उनको हॉस्पिटल ले गये तो डॉक्टर ने बताया कि ये ठीक तो हो जाएँगे परंतु इनकी रीढ़ की हड्डी टूट गयी है तो इनका चलना फिरना अब पासिबल नही होगा ये खबर हम सब के लिए बड़ी ही दुखदायक थी ख़ासकर गोरी और लक्ष्मी के लिए मैने कहा डॉक्टर आप इनका बेस्ट इलाज करिए पर ये ठीक होने चाहिए तो डॉक्टर बोला बात ये है कि रीढ़ की हड्डी कई जगहों से टूटी है और रिकवरी नही हो पाएगी कुछ दिन मैं उनके साथ ही हॉस्पिटल मे रहा फिर उनको छुट्टी दिलवा कर घर ले आए
मैने राइचंद से कहा कि आप किसी भी तरह की चिंता ना करना आपका परिवार मेरा परिवार है मैं हर घड़ी आप लोगो के साथ हू वैसे भी मैं दिन मे दो बार उनके घर खाना खाने तो जाता ही था कई लोगो से बात की थी पर कोई भी हवेली की रसोई संभालने को राज़ी ना हुवा था लक्ष्मी उमर मे राइचंद जी से काफ़ी छोटी थी तो उसके जिस्म की ज़रूरते भी थी और मैं भी उसको भोगने को तैयार था पर शुरुआत नही हो पा रही थी
थोड़े दिन ऐसे ही गुजर गये खेतो मे गन्ने की फसल तैयार खड़ी थी और बागों मे आम भी तैयार ही हो गये थे पहले तो सब काम मुनीम जी संभाल लेते थे दूसरी ओर उन्होने भी खुद के खेत मे गन्ने लगाए हुवे थे हमे लोगो की ज़रूरत थी काम के लिए पर कोई भी गाँव वाला ठाकूरो के यहाँ काम नही करना चाहता था इस बात से मैं भी परेशान था तो मैने राइचंद से कहा कि ऐसे तो हमे बहुत नुकसान हो जाएगा
तो बोले मालिक मैं तो अब अपाहिज़ हो गया हूँ मैं खुद इस बात को लेकर चिंतित रहता हू अब कोई चमत्कार हो जाए तो ही आस है लक्ष्मी बोली फसल का नुकसान होगा तो हाथ तंग हो जाएगा मैने कहा आप लोग कोई भी टेन्षन ना लो मैं करूँगा कुछ ना कुछ बंदोबस्त और वहाँ से बाहर निकला ही था कि गोरी दिख गयी मैने कहा गोरी हवेली चलेगी क्या तो वो बोली बापू से पूछ कर आती हू और फिर हम मेरे घर आ गये गोरी बोली कुछ परेशान लगते हो
मैने कहा यार बात ये है कि फसल कटाई पे है और मेरे खेतो मे कोई काम नही करना चाहता है पहले तो तुम्हारे बापू बाहर से मजदूर लाकर काम करवा लेते थे पर उनकी तबीयत बिगड़ने के बाद अब कॉन मदद करेगा दुगनी मज़दूरी पर भी गाँव वाले तैयार नही है मेरे खेतो मे काम करने को बस वो ही टेन्षन है गोरी गाँव वालो को बुरा भला कहने लगी और बोली ये तो है ही कामीने सदा से
मैने कहा दुगनी मज़दूरी पर भी कोई मेरे लिए काम करने को तैयार नही है समझ नही आता कि क्या करू मेरे पुरखो के किए करमो फल मुझे ही भुगतना होगा मैं उदास हो गया गोरी ने मेरा हाथ अपने हाथ मे लिया और बोली तुम दिल पे बोझ मत लो कुछ ना कुछ हाल निकल ही आएगा तभी उसने एक ऐसी बात बताई जिस से कुछ उम्मीद बँधी वो बोली एक रास्ता है पर ये नही पता कि काम आएगा या नही मैने कहा जो भी है जल्दी से बता
तो गोरी बोली की सालो पहले किसी बात से नाराज़ होकर ठाकुरों ने गाँव के महादेव मंदिर के दरवाजे को गाँव वालो के लिए बंद कर दिए थे और तब से आज तक मंदिर बंद ही पड़ा है अगर तुम मंदिर खोल दो तो क्या पता गाँव वालो के मन मे तुम्हारे लिए कुछ हमदर्दी हो जाए मैने कहा गोरी ठीक है कल ही चल कर मंदिर का दरवाजा खोल देता हू इसमे क्या है
तू मुझे कल सुबह ही वहाँ ले चलना तो वो बोली कि सुबह तो मुझे स्कूल जाना होता है मैं तुम्हे रास्ता बता देती हू तुम चले जाना वैसे मेरा मन तो है साथ चलने को पर स्कूल की छुट्टी नही कर सकती मैं मैने कहा चल कोई ना मैं ही देख लूँगा कुछ देर बाद गोरी बोली देर हो रही है मुझे घर जाना चाहिए मैं कहा कुछ देर और रुक जा तू आती है तो मेरा मन भी लगा रहता है
मैने उसका हाथ पकड़ लिया और गोरी को खीच कर अपने सीने से लगा लिया गोरी बोली तुम ऐसे ना किया करो मुझे कुछ- कुछ होता है मैने कहा मैं ऐसा क्या करता हू जो तुझे कुछ होता है वो बोली तुम जो ये शरारत करते हो तो मेरे मन के तार झनझणा जाते है मैने कहा गोरी इधर देख जैसे ही उसने अपना चेहरा उपर किया मैने उसके चाँद से मुखड़े को चूम लिया
गोरी मेरी बाहों मे और भी सिमट गयी मैं उसके लबों को चूमने लगा उसकी खुश्बुदार साँसे मेरे मूह मे घुलने लगी मेरा मन उन्माद मे डूबने लगा बड़ी ही कशिश थी उसमे जब जब मैं उसके पास होता था तो खुद को रोकना बड़ा ही मुश्किल हो जाता था तो एक लंबे चुंबन के बाद मैने कार स्टार्ट की और गोरी को उसके घर छोड़ने चला गया
मुनीम जी के घर से आते आते मुझे बड़ी देर हो गयी जब मैं वापिस आ रहा था तो मुझे खेतो के पास कोई पड़ा हुवा दिखाई दिया मैं गाड़ी से उतरा और देखा की एक ** साल का लड़का पड़ा हुआ था मैने गाड़ी से पानी की बोतल निकाली और उसके मूह पर कुछ छींटे मारे तो उसको होश आया मैने कहा कि अरे कॉन हो तुम और यहा क्यो पड़े वो कराहता हुवा बोला कि मेरा नाम नंदू है
मैने कहा ले थोड़ा सा पानी पी और बता कि यहाँ रास्ते पर क्यो पड़ा है तो उसने कहा कि शाम को जब वो अपनी बकरी चरा कर वापिस गाँव की तरफ आ रहा था तो गाँव के कुछ लोगो ने उसको बहुत मारा और उसकी बकरी भी छीन ली मैने कहा ऐसे कैसे वो तुझे मार सकते है तो उसने कहा मैं नीच जात का हू ना हमे तो हर कोई धमकाता रहता है
मैने कहा चल आजा बता तेरा घर कहाँ है मैं तुझे छोड़ देता हू वो बोला नही साहब मैं खुद चला जाउन्गा किसी को पता चला कि आपने मुझे गाड़ी मे बिठाया तो फिर से मेरी पिटाई होगी मैने कहा तू मुझे नही जानता तू चल अभी आजा मैं तुझे तेरे घर ले चलता हू तो वो घबराता सा गाड़ी मे बैठ गया मैने कहा भूख लगी है वो बोला हाँ साहब मैने कहा आजा तुझे कुछ ख़िलाता हू और उसको मैं हवेली ले आया
हवेली देखते ही वो और भी घबरा गया और बोला आप मुझे यहाँ क्यो लेकर आए है किसी ने मुझे यहाँ देख लिया तो मेरे लिए मुसीबत हो जाएगी मैने कहा क्या यार तू एक ही बात की पीप्नि बजा रहा है ये हवेली घर है मेरा और मैं ठाकुर देव हू इस हवेली का अंतिम बचा हुवा सदस्य वो बोला ठाकुर साहब आप मुझे नीच जात को अपने घर लेकर आए मैने कहा यार जहाँ से मैं आया हू वहाँ पर ये जात वात नही होती मैने उसको एक बिस्कुट का पॅकेट दिया और कहा कि ले अभी ये ही है इसे ही खाले
फिर उसको थोड़ा कुछ खिला कर मैं उसे उसके घर छोड़ने चला गया रास्ते मे नंदू ने बताया कि उसके परिवार मे बस वो और उसकी मान ही है उसके पिता का कई साल पहले ही देहांत हो गया था बाते करते करते हम लोग उसके घर आ गये घर तो क्या था बस एक टूटी-फूटी सी झोपड़ी थी नंदू को देख कर उसकी माँ बाहर आ गयी और मेरी ओर हाथ जोड़कर बोली बाबू मेरे बेटे से कोई ग़लती हुवी हो तो मैं आपसे माफी मांगती हू मैने कहा अरे पहले आप मेरी बात तो सुनिए
फिर मैने उनको पूरी बात बताई और कहा कि मैं नंदू की बकरी कल सुबह वापिस दिला दूँगा बात करते करते पता चला कि नंदू की माँ का नाम चंदा था उमर कोई 37-38 के फेर मे होगी पर जिस्म काफ़ी भरा हुआ था और एक घिसी हुवी सूती साड़ी उसके जिस्म को ढँकने मे असमर्थ थी फिर कुछ देर बात करने के बाद मैने कहा कि नंदू तू कल सुबह हवेली आ जाना तो वो सकुचाते हुवे बोला कि जी आ जाउन्गा
फिर मैं घर के लिए निकल पड़ा और सीधा बिस्तर पर गिर गया मेरी आँख तब खुली जब मुझे किसी ने जगाया मैने देखा कि एक लड़का खड़ा है मैने कहा कॉन है भाई तू तो वो बोला मालिक मैं नंदू कल रात को मिला था आपको मैने कहा अरे हां याद आया नंदू पर तू अंदर कैसे आया वो बोला मालिक दरवाजा खुला पड़ा था मैने कहा हो सकता है मैं रात को दरवाजा बंद करना भूल गया हुंगा
मैने कहा भाई तू थोड़ी देर बैठ मैं ज़रा फ्रेश होकर आता हू कोई आधे घंटे बाद मैने कहा नंदू मैं तेरी बकरी वापिस दिलवाउन्गा पर पहले तुझे मेरा एक काम करना हो गा वो बोला जी हुकम कीजिए मैने कहा मेरे साथ महादेव मंदिर चल तो वो बोला जी वो तो कई सालो से बंद है मैने कहा बंद है पर अब नही रहेगा फिर मैं मंदिर पहुच गया नंदू के साथ मंदिर बेशक पुराना था पर दिलकश था मैने कहा यार कोई बड़ा पत्थर तो ला और फिर मैने मंदिर के ताले को तोड़ कर कपाट खोल दिए
चर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रररहर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर करता हुआ लड़की का दरवाजा खुलता चला गया और मैं अंदर चला गया नंदू ने तो सॉफ मना कर दिया अंदर आने से अंदर काफ़ी जाले लगे थे जगह जगह कई जब गयी थी अंदर सफाई की सख़्त दरकार थी तो मैं नंदू को लेकर गाँव की चोपाल पर आया और जो बाबा वहाँ पर बैठते थे मैने उनको राम-राम की और कहा कि बाबा मैने महादेव मंदिर को खोल दिया है पर अंदर काफ़ी सफाई की दरकार है मुझे कुछ लोग चाहिए मदद के लिए मैं सबको पैसे भी दूँगा तो वो बाबा बोले पर वो मंदिर तो सालो से बंद था और तुम कैसे खोल सकते हो उसको
आस पास कुछ और लोग भी जमा हो गये थे मैने कहा बाबा मुझे हक था तो मैने खोल दिया वो बोले सच बता कॉन है तू मैने कहा मैं देव हू बाबा हवेली का अंतिम वारिस और मैं यहाँ अपने घरवालो की ग़लतियो को सुधारने आया हू चूँकि कुछ लोगो से मेरा मेलजोल हो चुका था तो वो बोले नही तुम ठाकुर नही हो सकते मैने कहाँ मैं ही हू और आज से मंदिर सबके लिए खुला है मतलब कोई जात-पात नही सभी एक समान
और हां मेरे घरवालो ने गाँव वालो के साथ जो भी किया हो मैं आप सब से हाथ जोड़कर उसके लिए माफी माँगता हू ये सारा गाँव मेरा है मेरा परिवार है आप लोग मुझे अपने परिवार के सदस्य के रूप मे अपनाए और हां हवेली के दरवाजे आप सब के लिए हमेशा खुले है आपका जब जी चाहे आप आ जाइए बाबा बोले बेटा तुमसे नाता सा जुड़ गया था पर तुम कुछ और ही निकले
मैने कहा नाता तो अब भी है बाबा मैं भी आप लोगो का ही बेटा-पोता हू मेरा परिवार तो रहा नही जो कुछ भी है ये गाँव ही है मेरे लिए आप चाहे मुझे दुतकारो या अपनाओ आपकी मर्ज़ी है फिर मैने नंदू को बुलाया और कहा कि बाबा कल गाँव के कुछ लोगो ने इसको मारा और इसकी बकरी छीन ली तो मैं चाहता हू कि इसका पशु इसे वापिस दिया जाए
मैने कहा बाबा आप बुजुर्ग है आप ही इस ग़रीब का न्याय करो तो बाबा ने नंदू से उनलोगो का नाम पूछा और उनको वही चोपाल पर बुला कर जलील किया और उसकी बकरी दिलवाई मैने कहा देव अब बस इस गाँव के लिए जिएगा आप लोगो से विनती है कि मंदिर की सॉफ सफाई कर देना ताकि वहाँ फिर से पूजा-अचना की जा सके फिर मैं नंदू के साथ उसके घर चला गया
उसकी माँ बोली मालिक आपने बड़ा अहसान किया हम पर जो हमारा पशु हमे वापिस दिला दिया मैने कहा आप मुझे शर्मिंदा ना करे दोपहर हो गयी थी मैने कहा अब मैं चलता हू मुझे खाना खाने जाना है क्या करू कोई भी हवेली मे काम करने को तैयार नही है मुझे बड़ी मुस्किल हो रही है मैने कहा क्या आप नंदू को हवेली मे काम करने देंगी मैं उसको अच्छी पगार दूँगा
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