RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
मैं उसको ऐसे चूम रहा था जैसे कि रेगिस्तान की गरम रेत पर नंगे पैर चलते हुवे किसी मुसाफिर को पानी का दरिया मिल गया हो मैं दीवानो की तरह उसके लबो, गालो और गर्दन को चूमे जा रहा था गोरी भी मेरे साथ उस अनकही भावनाओ के तूफान मे शामिल हो गयी थी कुछ मिनिट तक हमारा ये सीन चलता ही रहा फिर मैने अपने होठ हटा लिए पर उसको अपनी बाहों मे जकड़े रहा बाहर बरसती बारिश मे एक प्रेम का अंकुर फुट पड़ा था
फिर गोरी मुझसे अलग हो गयी और गॅलरी मे आकर बारिश को देखने लगी मैं भी उसके पास आकर खड़ा हो गया पर हम दोनो ही अब चुपचाप खड़े थे मुझे समझ नही आ रहा था कि बात कैसे शुरू करू आख़िर मैने चुप्पी तोड़ते हुवे कहा कि क्या हुवा तुम चुप क्यो हो तो गोरी बोली कि तुमने ऐसा क्यो किया मैने कहा मुझे नही पता बस हो गया अपने आप मैने उसकी आँखो मे देखते हुवे कहा कि गोरी प्लीज़ मुझे ग़लत ना समझना सब कुछ अपने आप ही हो गया
तो गोरी अपनी बड़ी बड़ी आँखो को गोल गोल घूमाते हुवे बोली कि ये अच्छा है किसी को भी तुम ऐसे करो और फिर कह दो कि अपने आप हो गया ऐसा तुम्हारे लंडन मे होता होगा पर यहा नही होता अगर मेरी जगह कोई और लड़की होती तो अब तक तुम्हे बता चुकी होती तो मैने कहा फिर तुमने कुछ क्यो नही कहा तो वो मैं……….मैं……..करने लगी मैने कहा गोरी एक बात कहूँ
उसने हू कहा तो मैने कहा गोरी क्या तुम मेरी दोस्त बनोगी मैं यहाँ पर बिल्कुल अकेला हूँ किसी को जानता भी नही तुम्हारे सिवा और तुम अच्छी लड़की हो तो करोगी मुझसे दोस्ती तो गोरी अपनी गर्दन हिलाते हुए बोली ना बाबा लोग कहते है ठाकूरो की ना दोस्ती अच्छी ना दुश्मनी तो मैने कहा पर मुझे तो कुछ दिन पहले ही पता चला है ना कि मैं ठाकुर हू इसमे मेरा दोष क्या तो वो बोली ठीक है मैं तुमसे दोस्ती करूँगी पर तुम माँ को मत बताना मैने कहा ठीक है
ना जाने क्यो वो मुझे क्यो अच्छी लगने लगी थी शाम हो रही थी बारिश की रफ़्तार भी काफ़ी कम हो गयी थी बस अब हल्की-हल्की फुहारे ही पड़ रही थी तो गोरी ने कहा कि काफ़ी देर हो गयी है मुझे घर जाना चाहिए मैने कहा पर तुम्हारी माँ ने कहा था कि वो आएँगी तो वो बोली बरसात अब रुक ही गयी है समझो एक काम करो तुम भी मेरे साथ घर चलो यहाँ अकेले कैसे रहोगे
हालाँकि मैं हवेली मे ही रुकना चाहता था पर ना जाने क्यो मैं उसकी बात को टाल ना सका और कहा कि ठीक है चलो तुम्हारे घर चलते है फिर हम नीचे आए मैने गेट पर एक नया ताला लगाया और हल्की हल्की फुहारो का नज़ारा लेते हुवे हम दोनो मुनीम जी के घर की ओर चल पड़े रास्ते मे वो मुझे गाँव के बारे मे बता ती जा रही थी एका-एक गोरी का साथ मुझे बड़ा ही अच्छा लगने लगा था
ऐसे ही बाते करते करते हम दोनो उसके घर पहुच गये लक्ष्मी हमे देखते ही बोली अच्छा किया जो आप लोग यहाँ आ गये बिजली का तो कोई भरोसा नही उपर से मोसम भी मेहरबान है आप आराम करो मैं कुछ देर मे भोजन की व्यवस्था करती हू मैं बैठक मे जाकर लेट गया और गोरी अपने कमरे मे चली गयी और कुछ देर बाद अपने कपड़े बदल कर आ गयी अब उसने घाघरा-चोली डाल ली थी जिसमे वो बड़ी ही प्यारी लग रही थी
मैं अपने मन मे दोनो माँ बेटियो की तुलना करने लगा दोनो ही बड़ी कॅटिली थी मैं सोचने लगा कि लक्ष्मी की चूत मिल जाए तो मुझे मज़ा ही आ जाएगा पर सवाल ये था कि लक्ष्मी मुझे चूत क्यो देगी पिछली रात भी मैं जागा था तो खाना खाते ही मुझे नींद आ गयी और सुबह जब मेरी आँख खुली तो मुझे घर मे कोई दिखाई नही दिया मैने सोचा गोरी तो स्कूल गयी होगी
पर लक्ष्मी कहाँ है मैं उसको ढूँढते हुवे घर के अंदर की तरफ चला गया तो एक दरवाजे के बाहर से मैने अंदर झाँका तो मेरे होश ही उड़ गये मेरा खुद पर काबू रखना मुश्किल हो गया मैने देखा कि लक्ष्मी लक्ष्मी कमरे मे नंगी खड़ी हुई है उसकी पीठ मेरी ओर थी जिस कारण वो मुझे नही देख पाई पर मेरी निगाह उसकी चिकनी पीठ और बड़ी सी गान्ड पर जम ही गयी थी
शायद वो कुछ देर पहले ही वो नहा कर आई होगी कुछ देर वो अपने अंगो को मसल्ति रही शायद तेल लगा रही थी फिर उसने कच्छि पहनी जब उसने अपनी टाँग उठाई तो उसकी फूली हुवी मस्त चूत देख कर मेरा लंड एक झटके मे ही खड़ा हो गया मैं क्या कहूँ उस समय क्या हालत हुवी मेरी कच्छि पह्न ने के बाद उसने घाघरा पहना हालाँकि उसी समय मुझे वहाँ से खिसक लेना चाहिए था
पर ये भी एक लालच सा ही था तो मैं खुद को वहाँ से हटा नही पाया लक्ष्मी ने बिना ब्रा पहने ही चोली पहन ली और वो अचानक से पलटी और मैं वही दरवाजे पर पकड़ा गया मैने सकपकाते हुवे कहा कि वो……………………वओूऊऊऊऊओ वो मैं आपको देखने आया था कि आप कहाँ गयी और बैठक की ओर भाग लिया थोड़ी देर बाद लक्ष्मी आई और शांत स्वर मे बोली की नाश्ता कर्लो फिर मैं खेतो की ओर जाउन्गी
मैने कहा मैं भी चालू तो वो बोली नही वकील साहब का फोन आया था थोड़ी देर मे वो हवेली पहुच जाएँगे कुछ और कागज़ी कार्यवाही करनी है उनको मैने ड्राइवर से कह दिया है वो आपको छोड़ आएगा मैने कहा उसकी ज़रूरत नही है मैं घूमते-घूमते ही निकल जाउन्गा तो लक्ष्मी बोली नही आप गाड़ी से ही जाएँगे और हाँ बिजली विभाग से भी आज लोग आएँगे तो आप देख लेना मैने कहा ठीक है फिर वो बोली और हाँ दोपहर का खाना आप इधर ही खाना तब तक मैं खेतो से वापिस आ जाउन्गा
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