Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
11-02-2018, 11:28 AM,
#10
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
मैं हवेली के आँगन मे खड़ा था मैण अपने घर लॉट आया था कल तक जो पराया लगता था अब मुझे सब अपना लग रहा था ऐसा लग रहा था कि मैण कभी इस जगह से जुड़ा हुआ ही नही था मैं दौड़ता हुवा उपर की मंज़िल की ओर भागा और सीधा उसी कमरे मे गया जहाँ मैने वो तस्वीरे देखी थी वो कमरा वैसे ही खुला पड़ा था जैसे मैने उसको छोड़ा था

अंधेरे मे ही उन तस्वीरो को टटोल कर मैने अपने हाथो मे उठा लिया और अपने सीने से लगाकर ना जाने कितनी देर तक मैं रोता ही रहा ये मेरे माँ-बाप की तस्वीरे थी जो मुझ अभागे को अकेला छोड़ कर चले गयी थे मैं बस उन तस्वीरो को लिए दरवाजे के सहारे बैठा ही रहा और सोचने लगा कि काश मेरी ज़िदगी मे ये रात आई ही ना होती तो सही रहता

मैं निढाल सा बैठा हुवा था तभी मुझे कुछ लोगो की आवाज़े सुनाई दी तो मैने देखा कि लक्ष्मी और गौरी भी मेरे पीछे पीछे आ गये थे लक्ष्मी ने लालटेन को कुर्सी पर रख दिया जिसे से सारे कमरे मे रोशनी सी हो गयी लक्ष्मी अपनी सांसो को नियंत्रित करते हुवे बोली कि मालिक आपको यहा ऐसे नही आना चाहिए था मुनीम जी को पता चलेगा तो मेरी शामत आ जाएगी

आप वापिस चलिए पर वो मेरी हालत कहाँ समझ सकती थी मैने उसको कोई जवाब नही दिया बल्कि वही पर बैठा रहा तो वो लोग भी हताश होकर कमरे मे ही बैठ गये ना जाने सुबह होने मे अभी कितनी देर थी बारिश अब और भी घनघोर हो चली थी मेरे आँसुओ की तरह ऐसे ही ना जाने किस पहर नींद ने मुझे अपनी बाहों मे ले लिया सुबह जब मेरी आँख खुली तो मैने देखा कि हल्की हल्की बारिश अब भी हो रही थी

मुझे लगा जैसे मेरा पूरा बदन अकड़ सा गया हो नींद की खुमारी जब टूटी तो मैने देखा कि गोरी उस धूल भरे बेड पर ही सोई पड़ी है सोते हुए वो किसी प्यारी सी गुड़िया की तरह लग रही थी पर लक्ष्मी मुझे कही दिखाई नही दी मैं उठा और नीचे की ओर चल दिया और नीचे बरामदे मे डाली हुई कुर्सियो पर बैठ गया और आँगन मे गिरती बारिश की बूँदो को देखने लगा ऐसा लगा जैसे कि आसमान भी मेरे दर्द से जुड़ सा गया था

थोड़ी देर बाद गोरी भी नीचे उतर आई और मुझसे कहने लगी कि मुझे क्यो नही उठाया तो मैने कहा कि मैं तुम्हे परेशान नही करना चाहता था वो बोली माँ कहाँ है मैने कहा मुझे नही पता वो बोली बड़ी प्यास लगी है इधर पानी कहाँ है मैने कहा मुझे नही लगता इधर पीने का पानी होगा क्योंकि इधर कोई रहता नही है ना वो बोली अब मैं क्या करूँ

मैने कहा तुम अपने घर जाओ उधर पी लेना पानी तो वो बोली घर तक जाउन्गी तो कही मैं मर ही ना जाउ इतनी दूर पहुचते पहुचते फिर वो बोली कि कुआँ तो है कुवें से पानी निकाल लेती हू मैने कहा जैसी तुम्हारी मर्ज़ी और वही कुर्सी पर बैठे बैठे उन फुहारो को देखने लगा दिमाग़ अभी भी दर्द कर रहा था आधा घंटा बीत चला था पर गोरी वापिस नही आई तो मुझे थोड़ी चिंता होने लगी

तो थोड़ी देर राह देखने के बाद मैं उसको खोजने के लिए जिस तरफ वो गयी थी उस ओर चल पड़ा तो मैने देखा कि उस ओर काफ़ी झाड़ियाँ और पेड़ पोधे उगे हुवे है मैं कुवे की मुंडेर पर चढ़ गया परंतु मुझे गोरी नही दिखी बारिश ने फिर से झड़ी लगा दी थी मैं भीगने लगा पर मुझे उसकी चिंता हो रही थी तो मैने उसको आवाज़ लगाना शुरू कर दिया गोरि गोर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्रृिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई कुछ देर तक मैं आवाज़ लगाता रहा

फिर झाड़ियो मे कुछ सुरसूराहट हुई तो मैने सोचा कि कही कोई जानवर तो नही है पर फिर देखा कि गोरी झाड़ियो को हटा ती हुवी मेरी ओर आ रही है उसने मुझसे कहा कि क्या हुवा क्यो पुकार रहे थे तो मैने कहा कि कहाँ गयी थी तुम कितनी देर हो गयी मुझे फिकर हो रही थी तुम्हारी

तो वो बोली कि वो मैंन्ननणणन् मैंन्णणन् तो मैने कहाँ मैं क्या तो वो शरमाते हुवे बोली कि मैं जंगल होने चली गयी थी मैने कहा अच्छा , कोई बात नही हम दोनो बारिश मे खड़े भीग रहे थे गोरी की सफेद सलवार उसकी ठोस जाँघो पर चिपक गयी थी और उसकी जाँघो का मस्ताना नज़ारा मुझे देखने को मिल रहा था हालाँकि मैं रात से थोड़ा दुखी था पर मेरी भावनाए उस कातिल नज़ारे को देख कर भड़क उठी थी

गाओ मे अक्सर औरते और लड़किया अंडरगार्मेंट्स नही पहना करती है और उपर से उसने सफेद सूट-सलवार डाला हुवा था बाकी काम बारिश ने कर दिया था ना चाहते हुवे भी मेरी नज़रे गोरी के ताज़ा-ताज़ा खिले हुवे योवन का दीदार करने लगी उसकी चुन्नी थोड़ी से सरक गयी थी तो उसके उन्नत उभार जिसकी गुलाबी निप्प्लस उसके गीले सूट से बाहर आने को बेताब लग रही थी मुझे दिखने लगी

मुझे लगा कि मैं कही अपने होश ना खो दूं पर तभी गोरी की आवाज़ मुझे वापिस धरातल पर खीच लाई वो बोली अब क्या इधर ही भीगना है वापिस नही चलना है क्या तो मैं उसके साथ अंदर आ गया गोरी अपने गीले कपड़ो को झटकने लगी मुझे भी ठंड सी लगने लगी थी मैने कमरो मे देखा तो मुझे कुछ सूखी लकड़िया और एक पुरानी माचिस मिल गयी तो गोरी ने आग जला दी जिस से थोड़ा अच्छा लगा

ना जाने बादलों को क्या हो गया था वो बिल्कुल भी रहम के मूड मे नही थे दिन निकला ही था पर आसमान मे काले बदल इस कदर छाए हुवे थे कि लग रहा था कि मानो रात हो गयी हो उस अजीब से वातावरण की खामोशी को तोड़ती हुवे गोरी ने पूछा कि आप विलायत मे क्या करते थे मैने उसे बताया कि मैं वहाँ पर पढ़ता था और पार्ट टाइम छोटे-मोटे काम भी करा करता था

वो बोली आप इतने अमीर है फिर भी आप काम करते थे मैने कहा कि यहाँ आने के बाद पता चला वो तो उधर तो मैं ग़रीब ही था ना तो वो बोली अभी तो आप यहाँ ही रहोगे ना मैने कहा हन अभी मैं अपने घर मे ही रहूँगा बारिश हो रही थी तो आज मजदूर भी नही आने वाले थे जबकि मैं हवेली के अपने घर के एक एक हिस्से को अच्छे से देखना चाहता था

मैने कहा गोरी मैं हवेली को अच्छे से देखना चाहता हू क्या तुम मेरी मदद करोगी तो वो बोली कि हाँ पर मुझे भूख लगी है मैं पहले कुछ खाना चाहती हू तो मैने कहा कि पर इधर तो कुछ भी नही है खाने के लिए मैने कहा बारिश रुकते ही तुम्हारे घर चलेंगे तो वो बोली कि ठीक है आओ पहले देखते है मैं भी बहुत उत्सुक हू मैं हमेशा से ही इधर आना चाहती थी पर माँ मना करती थी और अकेले आने की हिम्मत होती ही नही थी

हम अंदर जाने की बात कर ही रहे थे कि हवेली के गेट पर एक कार की झलक दिखी और फिर वो अंदर आ गयी कार का दरवाजा खुला और लक्ष्मी उतरी अपनी छतरी लिए उसके दूसरे हाथ मे एक बास्केट थी वो हमारे पास आई और खाली पड़ी कुर्सी पर बैठ गयी उसने कहा कि माफी चाहूँगी सुबह बिना बताए यहाँ से चली गयी पर वो क्या है ना मुझे नाश्ते की तैयारी करनी थी

मैने कहा कोई बात नही फिर उसने बास्केट से थर्मस निकाला और हमे गरमागरम चाइ पकड़ा दी साथ मे कुछ और चीज़े भी थी खाने की अगले कुछ मिनट तक मेरा ध्यान पूरी तरह से बस खाने पर ही रहा जल्दी ही हम लोग नाश्ते से फारिग हो गये फिर चल पड़ा बातों का सिलसिला मैने लक्ष्मी से पूछा कि मेरे घरवालो से तो गाँव के लोग नफ़रत करते है तो क्या मुझसे भी ठीक से बात नही करेंगे

लक्ष्मी बोली देव, अब जमाना बदल गया है अब पहले जैसा कुछ भी नही रहा है और अब तुम्ही इस हवेली के वारिस बचे हो तुम्हारे पुरखे बहुत कुछ छोड़ कर गये है अब ये तुम पर है कि तुम कैसे जीना चाहोगे तुम चाहो तो अपनी खोई हुवी प्रतिष्ठा पाने की कोशिश कर सकते हो या फिर वापिस जा सकते हो हमे बड़े ठाकुर का आदेश था तो हम ने पूरा किया अब तुम अपनी संपत्ति को सम्भालो और हमें इस भार से मुक्त करो
Reply


Messages In This Thread
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी - by sexstories - 11-02-2018, 11:28 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,616,546 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 557,455 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,283,146 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 969,621 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,718,733 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,135,389 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,046,958 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,385,527 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,139,690 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 295,956 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)