vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:28 PM,
#85
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मैने ज़्यादा टाइम वेस्ट करना ज़रूरी नही समझा. आइ वाज़ जस्ट टू डॅम एग्ज़ाइटेड अबाउट रीडिंग डाइयरी. मैने बेड के नीचे का प्लांक उपर उठाया और सब कुछ उसी तरह से रखा था जैसा मैने पहली बार देखा था. टिप टॉप! बॉक्स के अंदर डाइयरीस रखी थी. मैने लास्ट पढ़ी हुई डाइयरी उठाई और वापिस से प्लांक नीचे करने ही वाला था तो मुझे कुछ याद आया और मैने लेटेस्ट वाली डाइयरी भी साथ मे ले ली और रूम मे चला गया. डोर लॉक किया और कॉफी पीते पीते डाइयरी पढ़ने लगा.
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आज पहली बार ऐसा हुआ हैं कि मैं एक ही दिन मे दो दो बार लिख रही हूँ डाइयरी मे कुछ.. आज स्कूल से आने के बाद जो हुआ मेरे साथ..वो मैं किसी के साथ शेयर नही कर सकती. इसीलिए मैं फिर से लिख रही हूँ. क्योकि जबसे मैं अपने रूम मे आई हूँ,मेरे दिमाग़ से वो बात जा नही रही बिल्कुल. और ना ही वो एहसास मैं भुला पा रही हूँ जो मुझे तभी हो रहा था. मम्मी ने तभी डोर नॉक करके जैसे मुझसे कुछ छीन लिया. मैं समझ नही पा रही कि आख़िर मैं करूँ तो क्या करूँ? क्या मैं दोबारा????...आख़िर ये सब क्या हो रहा हैं? शायद निशा इस के बारे मे कुछ जानती होगी..मगर उससे बात करना सही होगा या नही? मैं नही जानती. वो मेरी दोस्त हैं..सबसे अच्छी.. मुझे पीरियड्स के वक़्त भी उसीने समझाया था. मैं कल उसीको पूछ कर देखती हू इस बारे मे….
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अगले दिन मैं स्कूल बस का वेट कर रही थी और मेरे दिमाग़ मे 1000 बार एक ही सवाल घूम रहा था. राजीव मेरे बारे मे क्या सोच रहा होगा मेरी कल की हरकत के बाद? और 500 बार ये सवाल घूम रहा था कि निशा से कैसे बात करूँ. मैं अपनी सोच मे ही थी कि मुझे स्कूल बस के हॉर्न की आवाज़ आई..मैं बस मे चढ़ते से ही…
“ओईए…”
मैने नज़र घुमा कर देखी..निशा थी..इशारा कर के बुला रही थी..
निशा: कितना टाइम लगाती तू आने मे? कब से सीट बचा कर रखी तेरे लिए!!
मे: मैं खुद तो बस नही चलाती जो मेरी ग़लती होगी! अब जब बस आती हैं तब मैं बैठ जाती हूँ..
निशा: व्हाटेवेर!!
मे: हहे..आ गयी तेरी गाड़ी व्हाटेवेर पे??? अच्छा सुन..
निशा: फरमाइए..
मे: मुझे ना तुझसे कुछ बात करनी हैं..
निशा: हाँ तो बोल ना..
मे: अर्रे पागल.. यहाँ नही..अकेले मे बात करनी हैं.
निशा: ऐसी क्या बात करनी हैं?? ओईईोईए…लगता हैं किसी ख़ास इंसान के बारे मे बात करनी हैं तुझे!!
मे: तू कभी तो सीरियस्ली लिया कर मेरी बाते निशा!!
निशा: अरे रिलॅक्स..इतना क्यू भड़क रही?? करेगे ना बात..वो सब जाने दे..कल क्या कहा राजीव ने??
मैं राजीव का नाम सुनके शरम गयी.. 
निशा: हाए री मेरी बन्नो रानी.. शर्मा तो ऐसी रही है जैसीए….
मैं निशा की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी..
मे: शट अप निशा..
कहके मैं झूठमूठ का थप्पड़ लगा दिया निशा को..हम इधर उधर की बाते करने लगी..उतने मे स्कूल भी आ गया.
मे: रिसेस मे बात करनी हैं..याद रखना..
निशा: नही नही…शांति से खाना खाना हैं मुझे..रिसेस नही.
मे: तो??
निशा: तू टेन्षन ना ले..मैं मॅनेज कर लुगी..
मैं कुछ कहूँ उससे पहली मेरी नज़र राजीव पर पड़ी.. उसके पापा उसे ड्रॉप करके जाते हैं ऑफीस.. कितना हॅंडसम दिखता हैं वो वाइट शर्ट और ब्लॅक पॅंट मे…वाउ! मैं उसे ही देखने लगी..वो जब भी सामने आता हैं मेरी साँसे उखड़ने लगती हैं और बोलती बंद हो जाती हैं..सो एंबॅरसिंग..मैं उसे घुरे जा रही थी और उतने मे ही उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और मैं तो जैसे डर के मारे पानी पानी होने लगी..वो आगे बढ़ते बढ़ते एक दम रुक गया..
‘ये क्यू रुक गया??’
मैने अपने आपसे ही कहा.. वो अब हमारी तरफ आने लगा..
मे: शिट!!!
निशा: हुहह? अभी? घर पे नही की क्या??
मे: सस्स्सस्स..शट अप निशा…चुप कर..वो देख..
निशा इधर उधर देखने लगी…
णीश: क्या देख??
मे: अरे..अक्कल की बेवकूफ़… वो…राजीव..यहीं आ रहा हैं..चल..
निशा: कहाँ चल?
मे: कही भी चल.. मगर यहाँ से चल..वरना….
मैं कुछ और कह पाती उससे पहले ही..
राजीव: हे!!
निशा: हाई..
मुझे समझ ही नही रहा था कि क्या कहूँ..वो मेरी तरह देखने लगा.
राजीव: आकांक्षा?? हाई..
मेरे फ्यूज़ उड़ गये थे..
मे: हूउहह??
निशा: हाई बोला वो…उल्लू..सॉरी राजीव..कान मे कुछ गया हैं इसके..सुबह से सुनाई नही दे रहा उसे..
निशा ने मुझे पिंच करते हुए कहा;
निशा: हाई बोल!!!
मे: हह..हह..हही…हाई..हेलो..
निशा: इतना नही….
मैं शरम से लाल पीली होने लगी. और वो मुझे ही देख रहा था.. क्या नसीब हैं…
राजीव: हेलो टू यू टू. तुम ठीक तो हो आकांक्षा? कल भी तुम अचानक चली गयी बात करते करते..और आज भी???
मे: वो….. कल….कल…कल कुछ याद आ गया मुझे..सूऊ…..
निशा: लंच बॉक्स छोड़ के आ गयी थी कॅंटीन मे..सो लेने चली गयी…
मे: हां..वो….वो..वोही..भूल गयी थी….मैं…म्म्म्मे रा…वऊू…
निशा: टिफिन..
मे: येस्स..टिफिन…टिफिन..भूल गयी थी…..वो…वाआहाआ…उम्म्म्म…
निशा: टाय्लेट मे!!
मे: हाँ..टाय्लेट मे..टिफिन…
राजीव: हुहह????टाय्लेट मे टिफिन…
मेरी ज़बान डाट नीचे दब गयी.ये क्या कह दिया? टाय्लेट मे टिफिन खाता हैं क्या कोई उल्ल्लू??
मे: नही…वो.टिफिन भूली कॅंटीन मे…. और ..उम्म्म्म…वो…याद आया…वाहा…उम्म्म्म…टाय्लेट मे…
निशा: हां..ये राइट हैं.
राजीव: ओह्ह्ह्ह…ओके कूल..सी यू देन…
निशा: हाँ..सी या राजीव..
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:28 PM

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