vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:16 PM,
#25
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
अब मेरे लिए बैठ पाना बड़ा मुश्किल हो रहा था. मैं अजीब तरह से हिलने लगा था अब. थोड़ा सा उपर उठ कर मैं अपनी सीट पर सीधे बैठ गया. मगर उससे हालत और भी खराब हो गयी. अब जीन्स और तंन गयी थी और मेरा लंड अब बुरी तरह से दब रहा था. ज़ख़्म की वजह से दर्द बढ़ता जा रहा था. मुझे फुल एसी मे भी पसीने छूटने लगे थे और मैं तड़प रहा था. सीधे बैठ पाना तो दूर, बैठना ही मुझे पासिबल नही लग रहा था. मैने सोचा कि आखे बंद कर लेता हूँ, कुछ और सोचता हूँ. इसलिए मैं दोबारा सीट पे पीछे की तरफ आराम से लेट गया और अब मेरी कमर ज़रा उपर की तरफ हो गयी थी. मैने आखे बंद कर ली थी. कुछ देर आखे बंद करने के बाद मुझे एहसास हुआ कि बात बनी नही, बल्कि अब मेरी कमर और उपर हो जाने की वजह से अब ये और भी क्लियर्ली पता चल रहा था कि मेरा खड़ा हो गया हैं. मुझे घंटा समझ नही आ रहा था कि मैं करू तो क्या करू? और कहते हैं ना, कि जब देनेवाला देता हैं तो छप्पर फाड़ के देता हैं. उसी तरह मुसीबत मेरे सर पर एक के बाद एक आने लगी. यहाँ मैं लंड को शांत कराने की कोशिश करने लगा और वहाँ इस बात की तरफ मेरा बिल्कुल ख़याल नही था कि पायल मेरी हर मूव्मेंट को देख रही हैं और ये बात छुपाने से अब कोई फ़ायदा नही था कि मेरा लंड अपनी पूरी जवानी मे खड़ा था और पायल ये बात अब जान चुकी थी. मैं शरम से पानी पानी होने लगा था. दिल तो कर रहा था कि उधर से उठ कर मैं वहाँ से निकल जाउ. यह सोच कर मैं अपनी जगह से उठा भी ज़रा सा. मगर इससे पहले की मैं उठ पाउ,पायल ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख कर मुझे बैठने का इशारा किया. मैं फटी आखो से उसकी ओर देख रहा था कि पता नही अब ये क्या तमाशा करेगी? मेरा दिल अब बोहोत ही ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था. पागलो की तरह मैं पसीने से तरबतर हो रहा था. पायल का हाथ अब भी मेरे कंधे पर था, तो मैने बैठ जाना ही ठीक समझा. मगर अब भी बात बनी नही थी. लंड अब भी खड़ा था, टेंट दिख रहा था और दर्द अब भी था लंड मे. 


मैं पायल की ओर देखने लगा कि आख़िर ये करना क्या चाहती हैं? उतने मे ही पायल ने अपना दुपट्टा निकाल कर मुझे दिया. ऑनेस्ट्ली मुझे तो समझ नही आया कि आख़िर मैं करू तो क्या करू? दुपट्टा देने का क्या मतलब हो सकता हैं? मैं उल्लू की तरह पायल की ओर देखने लगा, उसने मेरा लेफ्ट हॅंड उठाया और दुपट्टा उसमे थमा ते हुए अपनी आखो से नीचे की ओर इशारा करते हुए मुझे ये कहने लगी कि मैं उसका दुपट्टा मेरी लॅप मे रख दूं. पहले तो मुझे ये बिकुल बेतुका लगा की आख़िर एक दुपट्टा कैसे मेरे काम आ सकता हैं और मेरे लंड का दर्द कैसे कम होगा इससे? फिर भी मैने दुपट्टा अपनी लॅप मे रख दिया,ठीक लंड के उपर जो कि अब भी खड़ा था. पायल ने मेरी ओर देखते हुए एक स्वीट सी स्माइल दी और अपनी आखे झपकाते हुए मुझे इशारा किया कि,'इट्स ओके!'. मुझे कुछ तुझसे नही आ रहा था. मगर सिर्फ़ 1 मिनट मे ही मुझे ये एहसास हुआ कि मेरा लंड बैठ गया हैं. आख़िर कैसे? और तब मुझे ये याद आया कि लंड तब खड़ा होता हैं जब आपके दिमाग़ मे हॉर्मोन्स रिलीज़ होते हैं, मगर जब पायल ने मुझे उसका दुपट्टा दिया एक प्यारी सी स्माइल के साथ, वो मेरे दिल को छू गया और अपने आप ही मेरा दिमाग़ डाईवर्ट होकर हॉर्मोने रिलीस होना बंद हो गया. जैसे मानो कोई मूठ मार रहा हो और अचानक कोई आपके सामने एक 90 साल की बुढ़िया का फोटो पेश कर दे. क्या मार पाओगे फिर भी आप मूठ? नही ना!! पायल की वो हरकत, एक फोटो जैसा ही काम कर गयी और ऑटोमॅटिकली मेरा लंड बैठ गया. 


कुछ ही वक़्त मे इंटर्वल भी हो गया. सब लाइट्स ऑन हो गयी. मैने शर्मिंदा नज़रों से पायल की ओर देखा. मगर मैं ये देख कर हैरान हो गया कि पायल मेरी ओर एक शांत नज़र से देख रही थी. ना वो नाराज़ थी,ना वो डिस्गसटेड थी. मानो कुछ हुआ ही ना हो.
पायल: मस्त हैं ना मूवी?!
मे: हाँ.. अच्छी तो हैं..
पायल: बस तू इधर उधर ना देख, स्क्रीन की तरफ देख. 
ये सुन कर मैं चौक गया. क्या पायल जानती थी कि मैं आगे की रो मे चल रहा शो देख रहा था. उतना कह कर पायल एक धीमी सी स्माइल देने लगी और बोली;
पायल: भूक लगी हैं यार! कुछ खिला ना!
मैं अपने ख़यालो से बाहर आ गया और;
मे: हाँ हाँ! बोल क्या खाएगी. चल बाहर जाते हैं. कुछ लेकर आते हैं.
पायल: नही.. तू ही लेकर आजा. मैं बैठती हूँ यहाँ.
मैने ज़्यादा बहस ना करते हुए वहाँ से उतना ठीक समझा. मैं बाहर गया और सीधा टाय्लेट मे घुस गया. लाविटोरी मे घुस कर मैने टाय्लेट पेपर लिया, ध्यान से लंड बाहर निकाला और लंड को उसमे लपेट दिया ताकि दोबारा ज़िप से टच ना हो. लंड का अगला हिस्सा लाल हो गया था. मैने मुतना ख़त्म किया, हाथ धोए और बाहर स्नॅक्स बार के पास से 1 पॉपकॉर्न, 2 कोक और एक सॅंडविच लेकर अंदर आया. जब मैं सीट्स के पास पहुँचा तो पायल वहाँ नही थी. मैने आस पास देखा मगर कही दिखाई नही दे रही थी वो. मैने स्नॅक्स नीचे रखे और फोन निकाला. उसे कॉल करने ही वाला था की उतने मे ही;
पायल: क्या क्या लाया?
मैने पीछे मूड कर देखा तो पायल आगे की रो मे बैठी थी. मैने उसे कहा;
मे: अर्रे? कहाँ बैठी हैं? हमारी सीट्स यहाँ हैं.
पायल: हाँ हाँ.. पता हैं मुझे..
इतना कह कर वो किसी से बात करने लगी. मैं एक सीढ़ी नीचे उतरा और देख कर हैरान हो गया कि पायल उसी लड़की से बात कर रही थी जिसको देख कर मेरे लंड मे हलचल मच गयी थी. मैं हैरानी से देखने लगा और पायल जिस सीट पर बैठी थी उसके साइड मे जाकर खड़ा हो गया.. उतने मे ही;
पायल: रोहिणी!! दिस ईज़ सम्राट. 
वो लड़की बैठे बैठे ही पीछे की ओर मूडी और शेक हॅंड करने के लिए उसने हाथ आगे बढ़ाई. मैं अब भी हैरान था, मुझे कुछ समझ नही आ रहा था और मैं वही पे बूत जैसा खड़ा था. पायल ने मेरे पेट मे उसकी कोहनी मारते हुए दबे होंठो से कहा,
पायल: अबे उल्लू! शेक हॅंड तो कर.
मैने हड़बड़ाते हुए अपना हाथ आगे किया और उससे शेक हॅंड किया;
पायल: सम्राट! ये रोहिणी हैं. हम दोनो जूनियर कॉलेज मे थे. शी'स वाज़ इन बाइयालजी डिपार्टमेंट और मैं कंप्यूटर मे थी. मगर हम फिज़िक्स के लिए एक ही ट्यूशन क्लास जाते थे. 
मे: हाई रोहिणी!
मैने एक स्माइल देते हुए कहा.
रोहिणी: हाई सम्राट!
इतना कहके वो पायल की ओर देखने लगी और एक अजीब स्माइल के साथ पायल से कहने लगी;
रोहिणी: वाह पायल!! तेरा बाय्फ्रेंड भी हो गया. और तू तो पहचान मे भी नही आ रही हैं. काफ़ी चेंज हो गयी हैं. लगता हैं बड़ा स्पेशल मिला हैं तुझे..
मेरी ओर देखते हुए वो कहने लगी. मुझे हँसी आ गयी,' बेचारी, मुझे पायल का बाय्फ्रेंड समझ रही है.'..मैं कुछ कहूँ उससे पहले ही पायल बोल पड़ी;
पायल: हां! अब सब को ही किसी की ज़रूरत होती हैं ना! 
पायल ने मेरा हाथ अपने हाथो मे लेते हुए कहा;
पायल: इनफॅक्ट आज हमारी 2न्ड एनिवर्सरि हैं. 
पायल ने मुझे एक स्माइल देते हुए कहा और मैं वहाँ पागल की तरह खड़ा था जो सदमे मे हो. घंटा समझ नही आ रहा था. 
रोहिणी: लकी गर्ल पायल!
रोहिणी ने मुझे उपर से नीचे देखते हुए कहा.
रोहिणी: ओह्ह.. बाइ दा वे, दिस ईज़ अक्षय. माइ लव!
अक्षय का तो जैसे बटन तबा दिया हो ऱोहिनि ने. जैसे ही रोहिणी ने ये कहा, अक्षय ने अपना लेफ्ट हॅंड आगे बढ़ाते हुए मुझसे शेक हॅंड किया. मैने उससे हाथ मिलाया और तभी मुझे याद आया कि अभी कुछ देर पहले यही हाथ रोहिणी की चूत से खेल रहा था. मेरा मूह अपने आप ही टेढ़ा हो गया, और पायल को ये बात ध्यान मे आ गयी. उसने एक हसी छोड़ते हुए मेरा हाथ वापिस अपने हाथो मे ले लिया और बोली;
पायल: हाँ..लकी तो हूँ ही मैं! वी शुड मीट अगेन रोहिणी..
रोहिणी: हाँ हाँ.. क्यू नही यार! लाइक डबल डेट. क्यू सम्राट?!
अब मैं कहता भी क्या? ऑप्षन ही नही था और कुछ 'हाँ' कहने के इलावा. सो बैल की तरह अपनी गर्दन हाँ मे हिलाते हुए मैने चुप रहना ही समझा. कुछ देर पायल और रोहिणी की बाते चली. मैं और अक्षय बस एक दूसरे को कभी कभार एक नज़र से देख लेते. बातो बातो मे ही मेरा ख़याल रोहिणी की तरफ गया और मैने देखा कि उसने स्कर्ट पहना हैं. मैने अपने आप से ही कहा;
' पर्फेक्ट ड्रेस हैं मूवी के लिए! ईज़ी आक्सेस..'
इंटर्वल ख़त्म हो गया और लाइट बंद होने लगी. हम ने रोहिणी और उसके 'अक्षय' को टाटा-बाइ बाइ कहा और अपनी सीट पर जाके बैठ गये. 
पायल: व्हाट आ कोयिन्सिडेन्स ना?
मे: हां वो सब तो ठीक हैं पायल, बट व्हाट दा हेल जस्ट हप्पनेड? मैं? तेरा बाय्फ्रेंड?
पायल ने मेरे होंठो पे अपनी उंगली रखते हुए;
पायल: षूऊऊऊऊऊऊ!!!! समझाती हूँ बाद मे. अब दे. क्या लाया खाने के लिए?
मैने ज़्यादा दिमाग़ ना लगाते हुए पायल के हाथ मे पॉपकॉर्न और संड्वीच दिया. आस एक्सपेक्टेड, पायल ने पॉपकॉर्न चूज़ की. मूवी दोबारा स्टार्ट हो गयी. मूवी मे एक स्वीट सा किस्सिंग सीन भी हैं रणबीर और इल्लियाना के बीच मे. हम मूवी देख रहे थे, मगर अजीब बात ये लगी कि रोहिणी पलट कर हमारी ओर देख रही थी. मैने भी एक पोलाइट स्माइल देते हुए आगे स्क्रीन की तरफ देखना ही सही समझा. मुझे सब कुछ अजीब लग रहा था. वोही लड़की जिसकी चूत मे मैं उसके बाय्फ्रेंड का हाथ जाते देख रहा था, पायल की फरन्ड निकली. उसी बाय्फ्रेंड का मैने वोही हॅंड शेक किया जो कुछ वक़्त पहले रोहिणी की चूत मे था. मैने ये सब बाते अपने दिमाग़ से निकालते हुए मूवी पर कॉन्सेंट्रेट किया. मैं नही चाहता था कि लंड महाराज दोबारा से खड़े हो जाए. मूवी के एंड मे रणबीर मर जाता हैं, थोड़ा सेनटी हो जाते हैं तब सब.खैर!! मूवी ख़त्म हो गयी. कॉपी हैं आक्च्युयली एक फ्रेंच मूवी की बट एक्सलेंट वर्क बाइ प्रियंका चोपड़ा. 

मूवी ख़त्म होने के बाद हम बाहर जाने के लिए निकलने लगे. वन्स अगेन. रोहिणी आंड 'अक्षय' हमारे सामने आ गये. दोनो लड़किया दोबारा से आगे चलने लगी और बाते करने लगी. मैं और अक्षय पीछे बॉडीगार्ड की तरह चलने लगे. ना मैं उससे बात कर रहा था ना वो मुझसे. फाइनली, हम थियेटर से बाहर निकले. उतने मे ही रोहिणी ने पायल से कहा;
रोहिणी: पायल! तेरे पास मेरा नंबर हैं या नही?
पायल: हाँ.. पुराना वाला हैं. चेंज की क्या?
रोहिणी: हाँ.. न्यू नंबर सेव कर ले ना.. 87********.. सेव किया??
अजीब बात ये थी कि उसने ये मेरी तरफ देखते हुए कहा.
पायल: अर्रे! यही तो नंबर हैं मेरे पास.
रोहिणी: ओह्ह्ह! कोई बात नही. कन्फर्म तो हो गया नंबर. सो कॉल मी! लेट्स मीट सम्टाइम..ओके?
पायल: हाँ हाँ.. शुवर यार!
रोहिणी: अर्रे? सम्राट तुम तो कुछ कहते ही नही. मिलना नही हैं क्या हम से?
रोहिणी ने एक स्माइल देते हुए पूछी;
मे: ऐसी कोई बात नही. पायल मिलेगी तो आ जाउन्गा ना मिलने..
रोहिणी: ओह्ह्ह...सच आ स्वीटी! जोरू का गुलाम ही मिला हैं तुझे तो पायल.
रोहिणी ने ज़ोर्से हँसते हुए कहा और पायल ने उसके हाथ पर एक हल्का पंच करते हुए कहा;
पायल: शट अप यार! तू भी ना.. सुंधरेगी नही.
मैने अकेशन को ठीक समझते हुए एक स्माइल दे दी दोनो लड़कियो को और मेरी कॉपी करते हुए अक्षय भी हँस पड़ा. फाइनली, हम सबने एक दूसरे को बाइ बाइ कहा. अक्षय ने के बार फिर से शेक हॅंड करते हुए मुझे"बाइ" कहा और हम अपनी अपनी राह पर चल पड़े. थोड़ा आगे जाते ही मैने पायल से कहा;
मे: हुफफफ्फ़!! मुझे तो लगा कि गूंगा हैं बेचारा. इनस्पाइर होने के लिए 'बरफी' देखने आया हो.
पायल मेरी तरफ हँसते हुए देखने लगी.
मे: ओके!! तो अब आप बताना चाहेगी कि आख़िर ये माजरा क्या हैं तो? और मैं अचानक आपका बाय्फ्रेंड कैसे बन गया?
पायल: हाँ हाँ..शांति रख. बताती हू. पहले तू बता, हम किस एरिया मे हैं अभी इस वक़्त?
मे: किस एरिया मे मतलब? फेम के पास.
पायल: अर्रे हाँ, उल्लू. बट एरिया कौनसा हैं?
मे: ये तो एमजी रोड हैं.
पायल: तेरा घर यहाँ से पास मे ही हैं ना?
मे: हन.. कुछ 2-3 किमी दूर होगा. क्यू?
पायल: घर नही दिखाएगा मुझे अपना?? 
मे: उसमे दिखाने जैसा क्या हैं?
पायल: अर्रे? तू मेरे घर आया हैं ना? अब मेरी बारी. चल चुप चाप.
अब मैं पायल से कहाँ बहस करता? मैने उसे एग्ज़िट गेट के पास खड़े रहने को कहा और बाइक लेने चला गया. बाइक निकाली और पायल के सामने जाकर खड़ा हो गया. वो बाइक पर दोनो टांगे एक साइड डाल कर लड़कियो की तरह बैठ गयी और हम निकल पड़े.
हम मेरे घर की ओर निकल पड़े. 2-3 किमी डिस्टेन्स कवर करने को टाइम ही कितना लगता हैं? ट्रॅफिक मे भी हम जल्दी ही पहुँच गये. मैने बाइक मेरे घर से कुछ दूरी पर रोक दी.
पायल: सम्राट? क्या हुआ? बाइक ऐसे बीचे मे ही क्यो रोक दी?
मे: रुक ज़रा 2 मिनट यही पे.
मैं बाइक से उतरा और पैदल ही मेरी घर की दिशा मे आगे गया और मैने आवाज़ लगाई;
मे: वॉचमन!!!
कुछ देर बाद घर के पीछे से हमारा वॉचमन आया,सदा! वो मुझे सलाम करते हुए बोला;
'जी भैया?? बुलाया आपने?'
मे: हाँ!
मैने अपने वॉलेट मे से उसे 200 रुपये दिए और ;
मे: ये लो 200 रुपये और 1 कोल्ड-ड्रिंक की बॉटल 1 लीटर की ,चिप्स और कुछ नाश्ता लेकर आना आते आते.
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RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी - by sexstories - 11-01-2018, 12:16 PM

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