RE: Kamukta Story एक राजा और चार रानियाँ
महक;अपने रूम में रोती तिलमिलाती सॅम को गालियाँ देती पता नही क्या सोचने लगती है.
सुबह 8एएम;पे जब सॅम की आँख खुली तो उसके आस पास कोई नही था रोज़ाना नजमा उसे उठाने आती थी पर आज क्या हुआ कहीं महक ने नही नही वो खुद को समझाता हुआ बेड छोड़ देता है और हॉल में आजाता है
सामने का नज़ारा देख उसकी आँखे फटी की फटी रह जाती है
2बॅग हॉल में रखे हुए थे उसे पता था एक बॅग तो ज़ेबा का है पर ये दूसरा बॅग किसका है
महक;डाइनिंग टेबल पे बैठी सुबह का नाश्ता कर रही थी वो सॅम को एक नज़र देखती है और फिर मुस्कुराते हुए नाश्ता करने लगती है
सॅम;कौन जा रहा है महक
महक;अम्मी से पूछ ना
सॅम;महक के सर पे टप्पू मारता हुआ नजमा के रूम की तरफ बढ़ जाता है
नजमा;रूम में शबनम के साथ बातें कर रही थी
नजमा;;मेरी बात अच्छी तरह याद रखना अगर मुझे ये पता चला कि तूने सॅम को फोन पे कॉंटॅक्ट करने की कोशिश की तो मुझ से बुरा कोई नही होगा.
शबनम;जी अम्मी
तभी सॅम वहाँ दाखिल होता है
सॅम;क्या हुआ भाभी सब ठीक तो है ना सॅम का सवाल शबनम से था पर नज़रें नजमा के चेहरे पे टिकी हुई थी
शबनम से पहले नजमा ही बोलती है
नजमा;शबनम कुछ दिनो के लिए अपनी अम्मी के साथ मायके जा रही है उसके भाई की तबीयत कुछ ठीक नही है..
सॅम;ऊहह अच्छा
शबनम;सॅम को भीगी हुई पलकों के साथ देखती है उन आँखों में ना जाने क्या था जो सॅम को अंदर तक फन्ना कर देता है
शबनम और ज़ेबा सब से रुखसत लेके निकल जाते है
उनके जाने के बाद सॅम अपने रूम में चला जाता है
उसके पीछे पीछे नजमा भी आजाती है और अंदर पहुँच के रूम का दरवाज़ा बंद कर देती है
सम;चौंकते हुए नजमा को देखता है
नजमा;सॅम के करीब आती है और सटा सॅट सटा सॅट थप्पड़ो की बौछार सॅम के चेहरे पे करती चली जाती है
सॅम;को कुछ समझ नही आ रहा था कि नजमा को क्या हो गया है वो नजमा का हाथ पकड़ लेता है
आख़िर बात क्या है
नजमा;मुझ से पूछ रहा है कमिनाते बात क्या है एक तरफ मुझे कहता है अम्मी में आपसे बे पनाह मोहब्बत करता हूँ और दूसरी तरफ अपनी भाभी और उसकी अम्मी के साथ चाइयीयैआइयियीयियी
तू कितना बेशर्म इंसान है सॅम आज मुझे पता चला तू एक दरिन्दा है जिसे औरतों के जिस्म की भूक है अर्रे तूने जो काम किए है ना वो कोई पढ़ा लिखा इंसान कर ही नही सकता तू बहुत गिर चुका है सॅम मेरी नज़रों में आज के बाद में तुझ से बात क्या तेरी शकल भी नही देखना चाहती दूर होज़ा मेरी नज़रों के सामने से
महक ने अपना बड़ा सा मुँह सुबह सुबह ही नजमा के सामने खोल दिया था
शबनम;के भाई की तबीयत का तो सिर्फ़ बहाना था असल में नजमा ने ज़ेबा और शबनम की कुछ दिनो के लिए इस घर से छुट्टी कर दी थी.
नजमा;ये बोलते बोलते बेड पे गिर गयी उसका बीपी हाइ हो गया था उसे ट्रीटमेंट की ज़रूरत थी वो हाँफ रही थी
सॅम;उसे सहारा देता है पर ऐसी हालत में भी नजमा सॅम के छूने से तिलमिला जाती है
नजमा;दूर हट कमिनाते
महक ;जो रूम के बाहर से सब सुन रही थी दरवाज़ा खट खटाने लगती है
सॅम;दरवाज़ा खोल देता है
जैसे ही महक नजमा को बेड पे पड़ा देखती है. और चील की तरह नजमा की तरफ लपकती है
महक;;नजमा की दवाइयो में से बीपी की गोली लाकर नजमा को खिला देती है कुछ देर बाद नजमा का बीपी कंट्रोल होता है और नजमा महक के सहारे से अपने रूम में चली जाती है..
सॅम;परेशान हो चुका था वो कपड़े पहन के घर से बाहर निकल जाता है
सारा दिन पता नही सॅम कहाँ कहाँ घूमता रहा रात 10 बज चुके थे पर सॅम का कोई पता नही था
नजमा;को घबराहट होने लगी थी वो बार बार सॅम का नंबर ट्राइ करती है पर उसका मोबाइल ऑफ आ रहा था
महक;नजमा के पास बैठी उसे दिलासा दे रही थी
अम्मी आ जाएगा सॅम अपने फ्रेंड्स के यहाँ गया होगा
नजमा;तू सब जानती है ना बेटा पता नही मेरा दिल ज़ोरों से घबरा रहा है कहीं कुछ उल्टी सीधी हरकत ना कर्दे ये लड़का
नजमा;की घबराहट लाज़मी थी सॅम था बड़ा ज़िद्दी
कुछ सेकेंड के बाद डोर बेल बजती है और महक दरवाज़ा खोलती है सामने सॅम खड़ा था उसके चेहरे पे गम के बदल छाए हुए थे
महक;कहाँ था तू अम्मी कितनी परेशान हो रही थी बोलके नही जासकता था
सॅम;महक को कुछ जवाब नही देता और सीधा अपने रूम में जाके बंद हो जाता है
नजमा;के लाख दरवाज़ा खट खटाने पे भी वो डोर नही खोलता आख़िर नजमा परेशान हाल अपने रूम में चली जाती है.
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