RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
प्लान अच्छा था. मैं उठाकर शशि से उलटी बाजू से चिपक गया. उसके
नितंबों को सहलाने लगा. उसकी जांघों के बीच से मा मुझे देख रही थी.
उसका मूह शशिकला की बुर मे घुसा हुआ था. धीरे से मैं शशिकला के गोरे
चिकने नितंब चूमने लगा. फिर उसके नितंबों को थोड़ा अलग करके देखा.
उसकी गान्ड का छेद एकदम गुलाबी था और काफ़ी खुला हुआ. अंकल से गान्ड
मरवाने का नतीजा था. मुझे रोमाँच हो आया. मैने छेद मे जीभ डाली और
चाटने लगा. शशिकला को मज़ा आ गया, मा की बुर चुसते हुए उसने मूह से
बस 'आआ' 'आआ' किया और कमर हिला कर मेरे चेहरे से अपनी गान्ड सटा दी कि
और चूसो. मैं उसका छेद चूसने मे लग गया.
उधर अंकल भी पीछे नही थे. उन्होने तो अपना चेहरा मा के चूतडो के
बीच छुपा दिया था और 'लॅप' 'लॅप' 'लॅप' चाटने की आवाज़ आ रही थी. मा सिर
उठाकर बोली "अरे ये क्या कर रहे हो अशोक? पागल हो गये हो? चलो छोड़ो.
चूसना ही है तो मैं तुम्हे रस भरी चीज़ चुसवाती हू"
अंकल मिन्नत करते हुए बोले "मम्मी, प्लीज़ चूसने दीजिए ना, बहुत अच्छी
है आपकी गान्ड, इतनी मोटी डनलॉप के तकिये जैसी गान्ड बहुत दिनों मे नसीब
हुई है. शशि की मा की ऐसी ही थी पर आप की तो और भी गुदाज है"
शशिकला ने मा के सिर को वापस अपनी जांघों मे खींच कर उसका मूह
अपनी बुर से बंद कर दिया "तुम क्यों फिकर करती हो मम्मी, चूस ही तो रहे
है बेचारे, चूसने दो. अभी अपनी बेटी की बुर पर ध्यान दो, इतना रस बहा रही
है अपनी मम्मी के लिए, उसे ज़रा चखो"
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