RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
"माँ, प्लीज़ मुझे तुम्हारी गांद मारने दो ना" मोम मना कर रही थी पर फिर मेरे लंड की सख्ती से मेरी हालत का अंदाज़ा लगाकर मान गयी
"आज बहुत मस्त है तू, अच्छा चल मार ले, पर अगर अभी मारी तो रात को नही मारने दूँगी. अब चल बेडरूम में"
"नही माँ, यही मारूँगा, खड़े खड़े, किचन के प्लेटफार्म से तुझे सटाकर, खाना बनाते हुए" मोम निरुत्तर हो गयी. उसे समझ मे नही आया कि क्या कहे. मैंने उठाकर रोटी मे लगाने के लिए रखा घी उंगली पर लिया और उसकी गांद मे और अपने लौदे पर चुपद. लिया. फिर मोम के चूतड़. फैला कर उसे अंदर पेल दिया. आज मेरा लोहे के रोड जैसा खड़ा था इसलिए सत्त से आधा अंदर चला गया. अब तक मरा मरा कर मोम की गांद भी कुछ खुल गयी थी और उसे आदत होने से वह भी बिना गांद सिकोडे मेरा अंदर ले लेती थी.
"ओहा ओहा ज़रा धीरे राजा, दुखता है ना, ऐसा वहशी जैसा क्या कर रहा है आज" मोम ने दर्द से सिसककर कहा. पर मुझपर आज एक अलग नशा सा चढ़. गया था. उसकी सिसकारी की परवाह ना करके एक और धक्के के साथ मैंने लंड पूरा अंदर उतार दिया और फिर उसके ब्लओज़ के अंदर हाथ डालकर उसकी चुचियाँ मसलता हुआ कस के उसकी गांद मारने लगा. आसन अच्छा था क्योंकि किचन प्लैटफार्म ठीक मोम के पेट पर होने से उसका सपोर्ट अच्छा मिल रहा था. मेरे हर धक्के से उसका पेट ग्रेनाइट पर दब जाता और उसके मुँहा से आह निकल आती.
मैं आज मोम का स्तनमर्दन बड़ी बेरहमी से कर रहा था. नही तो उसके उन प्यारे उरजों का मैं बहुत ध्यान रखता था. पर आज इस तरह उसे दबोच कर उसकी गांद मारने मे मुझे अजीब सुख मिल रहा था, बलात्कार जैसा वर्ज्य सुख. मोम को भी दर्द हो रहा था क्योंकि वह सिसक रही थी
"उई माँ, मर जाउम्गि बेटे, ज़रा धीरे, उ& उ& ओह ओह अरे कितनी ज़ोर से मसल रहा है मेरी छाती!" कहती कराह रही थी. अंत मे मैंने इतने ज़ोर से धक्के लगाए कि मोम के मुँहा से एक हल्की सी चीख निकल पड़ी. जब मैं झाड़ा तब मेरा नशा उतरा. लंड बाहर निकालकर मैंने मोम से माफी माँगी.
"मोम, बुरा मत मानो प्लीज़, मुझसे आज रहा नही गया. अब ऐसा नही करूँगा"
"अरे पर आज तुझे हुआ क्या? इतने दिन हो गये मुझे चोदते हुए, गांद भी मार चुका है दर्जनों बार, फिर भी ऐसा कर रहा था जैसे पहली बार औरत को देखा हो" मोम ने कपड़े ठीक करते हुए कहा. वह टटोल कर अपने गुदा को देख रही थी, लग रहा था कि काफ़ी दुखा होगा.
"मेरी ये छातियाँ देख, कैसी मसल दी है तूने, लाल हो गयी हैं" मोम ने मुझे उलाहना देते हुए कहा. मैं क्या कहता. असल मे मोम का पसीना, उसकी वह पीछे से दिखती मादक काया, पतली साड़ी के अंदर से झलकते मोटे चूतड़., कुछ समा ही ऐसा बँध गया था. मोम ने मेरी इस हरकत पर और कुछ नही कहा. हाँ दिन भर मुझे पास नही आने दिया. मैं सोच रहा था कि गया कॅयामा से. पर उस रात वह बहुत गरम थी. खुद ही मुझे खाना खाने के बाद पकड़कर बेडरूम मे ले गयी. दो तीन घंटे की तरह तरह की रति क्रीड.आओं के के बाद वह शांत हुई. मोम से मैंने फिर सुबह के बारे मे पूछा तो बोली
"अब जाने दे, कभी कभी चल जाता है! मुझे दुखा तो बहुत पर सच बतओं मेरे राजा, तेरी उस वहशी जैसी हरकत से मुझे मज़ा भी आया. मैं सोच रही थी कि आख़िर ऐसा क्या है मुझमे जो मेरा लाल इतना मतवाला हो जाता है मुझे देख कर! पर हमेशा नही करना ऐसे! मुझे बहुत तकलीफ़ होती है."
मोम ने मदर्स डे के दिन मुझे बहुत मीठा बनाया. यहा पहला मदर्स डे था जो हम साथ बिता रहे थे. मैंने मोम से सुबह पूछा कि क्या उपहार दूं तो बोली
"मेरा सबसे बड़ा उपहार तो है मेरे पास बेटे, तू, इतना जवान खूबसूरत नौजवान, मोम की हर इच्छा और कामना पूरी करने वाला" मैंने फिर पूछा तो बोली.
"ठीक है, तू आज मुझे खुद को दे दे, पूरी तरह, मुझे मनमानी करने के लिए तेरे साथ. मैं शामा को जल्दी आ जाउम्गि. बाहर से ही खाना ले आउम्गि. मैं जो कहूँगी वह करना फिर"
मैं दिन भर कालेज मे सोच रहा था कि मोम क्या करेगी. उसकी आँखों मे झलक आई कामुकता से मैंने अंदाज़ा लगा लिया था कि आज रात को स्पेशल फरमाइश होगी. मैं भी आखरी पीरियड बंक करके जल्दी भाग आया. नहा धो कर मोम का इंतजार करने लगा. मोम वापस आई तो हाथ मे एक दो पैकेट थे.
हमने खाना खाया. फिर मोम ने मुझे कहा कि बेडरूम मे मेरा इंतजार करो. मैं नंगा होकर अपना लंड सहलाता हुआ मोम की राह देखने लगा.
क्रमशः.................
|