RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
माँ का दुलारा पार्ट--9
गतान्क से आगे...............
"मैं शादी वादी नही करूँगा. मेरे पास तुम जो हो" मोम कहती
"तो मैं बुद्दी हो जाउन्गि तो क्या करेगा?" मैं कहता
"तुम और खूबसूरत लगोगी, फिर तुझमे ज़्यादा दम भी नही रहेगा. तब मैं ज़बरदस्ती तुझे पटक पटक कर चोदा करूँगा" वाह हँसने लगती. एक बार मैंने मोम से कहा
"माँ, मुझसे शादी कर लो" उसने मेरी ओर देखा तो मैं बोला "सच कहा रहा हू. चार साल बाद मैं इंजीनियर हो जाउम्गा, हम दूसरे शहर जाकर रहेंगे मिया बीवी बनकर. फिर तुम गर्भवती होना और मुझे दूध पिलाना"
आधी हँसी और आधी सिरियसनेस मे कही मेरी बात तो उसने नही मानी, हाँ एक रविवार के दिन हमने झूठ मूठ की शादी की. बहुत मज़ा आया. मैंने फिर कहा कि माँ, मुझसे शादी कर लो तो मोम बोली ठीक है. हम जब घूमने गये तो मोम ने एक मंगलसूत्रा खरीद लिया, मेरी पसंद का, काले मनियों वाला क्योंकि मैं जानता था कि उसके गोरे गले और छाती पर वह बहुत सुंदर लगेगा. वापस आते समय हमने दो हार ले लिए. मोम ने सिंदूर की एक डिब्बी ले ली. मैंने बेड को सजाने के लिए ढेर से फूल ले लिए. वही एक पिक्चर की दुकान मे कामदेव और रति के न्रुत्य का एक रंगीन फोटो था. मोम ने उसे भी खरीद लिया. मैंने पूछा तो थोड़ी शरारत से बोली कि भगवान के आगे शादी करना है तो इनसे अच्छे कौन भगवान हो सकते है हमारे लिए.
घर आकर मैंने बेदरुम को फूलों से सजाया, बिस्तर पर फूल बिखरा लिए. फिर कुरता पाजामा पहन कर तैयार हुआ. मोम ने अपनी एक सिल्क की साड़ी निकाली. खूब बनथन कर तैयार हुई. गहने पहने. जुड़े मे मोगरे की वेणी लगाई. उसे खूब हँसी आ रही थी, सारा एक मजेदार खेल था.
फिर कामदेव और रति के उस पिक्चर के आगे हमा दोनों ने एक दूसरे को माला पहनाई. मैंने मोम को मंगलसूत्र बाँधा. फिर उसकी माँग मे सिंदूर भरा. वह मुस्काराकर मेरी ओर देख रही थी. मैंने झुक कर मोम के पाँव छुए और फिर लेटकर उसके पाँव चूमने लगा. वह हँस कर बोली
"ये क्या कर रहा है, तू अब मेरा पातिदेव हुआ ना? तो मुझे तेरे पाँव छूने चाहिए" मैंने कानों को हाथ लगाकर कहा
"क्यों मुझे पाप लगाती हो माँ? मैं तो वो जोरू का गुलामा वाला पति हू तुम्हारा" फिर हमने "किसिंग दा ब्राइड" वाला किस किया. मोम बोली
"मालुम है आज के दिन पति पत्नी को उठा कर बेडरूमा मे ले जाता है" मैंने तुरंत उसे बाहों मे उठा लिया. काफ़ी भारी थी, मुझसे सम्हल नही रही थी. मोम भी घबरा कर बोली
"अरे धीरे, उतार दे मुझे, गिरा देगा" पर मैं उसे उठा कर किसी तरह ले गया. मोम ने मेरे गले मे बाँहे डाल दीं. उसे अंत तक लग रहा था कि मैं उसे पटक दूँगा पर किसी तरह मैं उसे पलंग तक ले ही गया. मोम पलंग पर लेटटी हुई मुझे बोली
"आइए प्राणनाथ, आपकी प्रियतमा आपके लिए तैयार है" और फिर मुँहा दबा कर हँसने लगी. उस रात हमने संभोग करते हुए ऐसी ही भाषा का प्रयोग किया. मोम नववधू की ऐकटिंग करती और मैं दूल्हे की. यहा बात अलग है कि बार बार मुझे और मोम को हँसी आ जाती. उस रात मैंने मोम को बहुत प्यार से चोदा. उसके नग्न गोरे स्तनों के बीच झूलता काला मनियों वाला मगलसूत्र बहुत सुंदर लग रहा था. ख़ास कर जब मोम ने मुझपर चढ़. कर मुझे चोदा तो उसकी उछलती डोलाती छातियों के बीच हिलता मंगलसूत्र मेरी मस्ती को बढ़ा रहा था.
मेरा एडमिशन इंजीनियरिंग मे हो गया. उसके बाद मोम ने मुझपर थोड़ा अंकुश लगा दिया. पढ़ाई करना भी ज़रूरी था. रोज वह देखती की मैंने पढ़ाई की या नहीं. नही तो वह मुझे अपने पास नही सोने देती थी. इसलिए मैंने भी पढ़ाई का नुकसान नही होने दिया. मोम बेचारी रात को थॅकी होने के बावजूद एक बजे तक जागती जब तक मेरी पढ़ाई पूरी नही हो जाती. फिर मुझे चोदने देती थी.
जब मिडसेमिस्टर मे मैं पास हुआ तो मोम की जान मे जान आई.
"ऐसे ही पढ़ाई किया कर बेटे, तू जो कहेगा तुझे मैं वह दूँगी"
"हाँ माँ, बस मुझसे सच्ची की शादी कर ले, मुझसे गर्भवती हो और मुझे अपना दूध पीला, मुझे और कुछ नही चाहिए" मैं हमेशा उस से कहता.
बीच बीच मे हमा एक दूसरे के शरीरों को भोगने के नये नये तरीके ढूंढते रहते. एक रविवार को मैं जब सो कर उठा तो मोम किचन मे खाना बना रही थी. मैं मुँह धो कर उसके पास गया और पीछे से उसे बाँहों मे भर लिया. मेरी फरमाइश के अनुसार मोम अब घर मे गाउन के बजाय बस एक सादी और एक स्लिवल्स ब्लाउz पहनती थी, और कुछ नहीं. इससे मुझे उसके मम्मे चूसने या चूत चाटने मे बहुत आसानी होती थी. अब भी मोम ने बस एक पतली साड़ी और ब्लओज़ पहना था. खाना बनाने से उसको पसीना आ रहा था.
मैंने उसके कंधों और गर्दन का चुंबन लिया. पसीने के खारे स्वाद से मेरा लंड कस कर खड़ा हो गया. उसे मोम के चूतड़ के बीच की खाई मे सटाकर रगड़ता हुआ मैं मोम के गाल और माथा चूमने लगा जहाँ उसे पसीना छलक आया था. वह झूठ मूठ मुझे डाँतति हुई
"अरे परेशान मत कर, नही तो आज खाने को नही मिलेगा" मुझे दूर करने की कोशिश कर रही थी पर उसमे कोई दम नही था. उसे भी मेरा यहा चिपटना अच्छा लग रहा था. मैंने उसके हाथ पकड़कर उपर कर दिए और झुक कर उसके बगले चाटने लगा.
"अरे क्या कर रहा है, छोड़." वह बोली पर मैं चाटता रहा. उसने परेशान होकर गैस बंद कर दिया और हाथ उठाकर खड़ी हो गयी.
"ले कर क्या करना है, तू मानेगा थोड़े" मोम के स्तन दबाते हुए मैंने उसकी कांखे छाती, उसके अमृत से पसीने का स्वाद लिया. मेरा लंड फनफना रहा था. मोम के भी निपल कड़े होकर उभर आए थे. वह भी मस्ती मे आ गयी थी. मेरा लंड अब उसके मांसल नितंबों के बीच फँसा था. मुझसे नही रहा गया. मैं उसके पीछे नीचे बैठ गया और उसकी साड़ी उपर करके उसकी गांद चूसने लगा. मोम के चूतड़. फैला कर उनके बीच के उस मुलायम टाइत छेद मे अपनी जीभ डालकर अंदर बाहर करने लगा. बीच मे उसमे नाक डालकर सूंघने लगता. मोम बस कहती रही
"अरे ये क्या शैतानी है, अभी रात नही हुई है, और मैंने नहाया भी नही है बेटे, चल छोड़." पर मैंने उसकी नही मानी. आख़िर मेरी वासना अनावर हो गयी
|