RE: Maa ki Chudai माँ का दुलारा
माँ का दुलारा पार्ट--6
सावधान........... ये कहानी समाज के नियमो के खिलाफ है क्योंकि हमारा समाज मा बेटे और भाई बहन के रिश्ते को सबसे पवित्र रिश्ता मानता है अतः जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने से अरुचि होती हो वह ये कहानी ना पढ़े क्योंकि ये कहानी एक मा बेटे के सेक्स की कहानी है
गतान्क से आगे...............
"तू सचमुच पागल है मेरी हर चीज़ के लिए. मुझे ही कुछ करना पड़ेगा" पर यह नही बोली कि क्या करेगी. हम घूमने गये. एक जगह जल्दी ही डिनर किया. लौटते हुए मलाड की बड़े शापिंग माल मे घूमने चले गये. मोम ने शायद कुछ निश्चय कर लिया था. सीधे मुझे लेकर एक फुटवियर स्टोर मे गयी.
वहाँ ढेर सी लेडीज़ चप्पले और सैंडले थीं. मोम ने मेरे कान मे धीरे से कहा
"पसंद कर ले अनिल बेटे, कौन सी लूँ? एक सैंडल लूँगी और एक स्लीपर" मैं उसकी ओर देखने लगा. मुस्काराकर वह फिर धीरे से बोली
"तेरा दीवानापन नही जाएगा. सोचती हू कि एक ख़ास तेरे लिए ले लूँ, तेरे खेलने के लिए. उन्हे सिर्फ़ बेडरूम मे पहनूँगी. कम से कम साफ तो रहेंगी, नही तो मेरी चप्पालों को चाटने के चक्कर मे तू बीमार पड़. जाएगा." मैं बहुत खुश हुआ. आँखों आँखों मे ममी को थैंक यू कहा. मेरी फेटिश की गहराई को समझ कर वह मुझे खुश करने के लिए यह कर रही थी याने उसने मेरी इस चाहत को ऐईक्सेपट कर लिया था.
मैंने खूब ढूँढ कर एक नाज़ुक सिल्वर कलर की हाई हिल सैंडल और हल्के क्रिम कलर की पतले पत्तों वाली एकदम पतली रबर की स्लीपर पसंद की. मोम ने पहन कर देखे. उसके पाँव मे वी बहुत फब रहे थे. दोनों महँगी थीं, मिलाकर हज़ार रुपये हो गये. मैं वापस रखने वाला था पर मोम ने मेरा हाथ पकड़. लिया.
"तुझे सुख मिलता है बेटे तो कोई कीमत मेरे लिए ज़्यादा नही है" वापस घर आने तक मेरी ऐसीहालत हो गयी थी. लंड ऐसा खड़ा था कि चलना मुश्किल हो रहा था. किसी तरह उसे पैंट की साइड मे छिपा कर मैं चल रहा था. एक तो मेरे हाथ मे वह चप्पालों वाला पैकेट, दूसरे मोम के ब्लओज़ की पसीने से भीगी कांख . मोम मेरी हालत देख कर बस मुस्करा रही थी.
घर आते ही जैसे ही मोम ने दरवाजा अंदर से बंद किया, मैं उससे लिपट गया और अपना चेहरा उसकी कांख मे छुपा कर ब्लओज़ को चाटने लगा. मोम के खारे पसीने के स्वाद ने मुझपर किसी अफ़रोदिज़ियाक जैसा काम किया. मोम सैंडल उतारते हुए मुझे कहती ही रह गयी कि अरे रुक, इतना दीवाना ना हो, अभी रात पड़ी है, पर मैं कहा मानने वाला था. वैसा ही मोम को धकेलकर सीधा बेडरूमा मे ले गया. उसे पलंग पर बिठा कर मैं उसके सामने बैठ गया और उसकी साड़ी उपर कर दी.
मों हँसते हुए विरोध कर रही थी, पर नाम मात्र क़ा, सिर्फ़ दिखाने के लिए. साड़ी उठाकर मैंने खींचकर उसकी पैंटी उतारी और उसकी जांघे फैलाकर उनमे मुँहा डालकर उसकी बुर चूसने मे लग गया. बुर चू रही थी, याने मोम जो मुझसे इतनी इतराकर सब्र करने को कह रही थी, खुद भी अच्छी ख़ासी गरमा हो गयी थी.
कुछ देर बाद मैं उठा और पैकेट खोल कर सैंडल निकाले. मोम अब झाड़. कर पलंग पर लेट गयी थी और लंबी लंबी साँसे ले रही थी. मैंने मोम को सैंडल पहनाए और उसके पैरों को चूमा. मोम उस हालत मे बहुत प्यारी लग रही थी, पूरे कपड़े और सैंडल पहने थी पर साड़ी कमर के उपर थी और उसकी मतवाली जांघे और चूत नंगी थी.
मुझे अपने कपड़े निकालने का धीरज नही था, मैंने अपना लंड पैंट की ज़िप से निकाला और मोम की बुर मे घुसेड. दिया. फिर उसपर चढ़. कर उसे चोद डाला. चोदते चोदते मैंने मोम के हाथ उपर करके उसकी कांखो को ब्लओज़ के उपर से ही चूस डाला. पाँच मिनिट मे चुदाई ख़तम हो गयी. जब मैं मोम के उपर पड़ा पड़ा सुस्ता रहा था तो मों ने मीठा उलाहना दिया
"हो गया तेरा? अब रात भर क्या करेगा? मैं कह रही थी तुझसे, अगर सच का मज़ा लेना हो तो सब्र करना सीख . ये क्वीकी बहुत मीठी थी बेटे पर मैं तुझसे बहुत देर प्यार करना चाहती हू" मैंने मोम की छाती मे मुँहा दबा कर कहा
"ये तो शुरूवात है माँ, पूरी रात पड़ी है" मों मेरी पीठ पर चपत मार कर बोली
"बड़ा आया पूरी रात वाला. कल से अब तक पाँच बार झाड़. चुका है, थक गया होगा अब तक! सो जा चुप चाप!"
"नही माँ, मैं सच कहा रहा हू. आज मुझे मत रोको प्लीज़."
"ठीक है, तू पड़ा रह, मैं काफ़ी बनाकर लाती हू" मोम ने उठकर साड़ी निकालना शुरू कर दी. मुझे लगा कि वह गाउन पहनेगी. पर उसने बस साड़ी, ब्लओज़ और पेटीकोत निकाले. पैंटी फिर पहन ली. उसके कमरे से जाने के पहले मैंने उसकी कांख मे मुँहा डाल कर उसका पसीना चाट लिया. पहले वह नाराज़ हुई और बोली
"हट क्या कर रहा है" कहने लगी पर फिर चुपचाप हाथ उठा कर खड़ी हो गयी. उसे गुदगुदी हो रही थी इसलिए वह हँस कर बार बार मुझे रोक देती. पर मैंने पूरा पसीना चाट कर ही उसे छोड़ा. वह अपने उतारे कपड़े बाथरुम मे ले जाने लगी तो मैंने उसके हाथ से ब्लओज़ छीन लिया.
"ये छोड़. दो मोम मेरे लिए. मीठी काफ़ी के पहले कुछ खारा मसालेदार स्वाद तो ले लूँ" मेरे मुँहा पर ब्लओज़ फैंक कर मोम झूठ मूठ का गुस्सा दिखाते हुए चली गयी.
"ना जाने तेरा पागलपन कब ख़तम होगा" मैं मोम का ब्लओज़ लेकर पलंग पर लेट गया और उसकी भीगी कांखे मुँहा मे लेकर चबाने और चूसने लगा.
इसी अर्धनग्न अवस्था मे जाकर वह काफ़ी बना लाई. मोम के उस रूप का मुझ पर प्रभाव होना ही था. अपनी सैंडले उसने अब भी पहन रखी थी. ब्रा और पैंटी मे उँची एडी की सैंडल पहनकर उसे इधर उधर चलते देखना ऐसा लगता रहा था जैसे किसी लिंगरी कंपनी की फैशन परेड हो रही हो. आधे घंटे के अंदर मैं फिर अपने काम मे जुट गया.
उस रात मैंने मोम को दो बार और चोदा. पहली बार पीछे से उसे घोड़ी बनाकर. सामने अलमारी के आईने मे मोम के लटककर डोलाते मम्मे और उसके चेहरे पर के कामना से भरे भाव दिख रहे थे. उसे बहुत मज़ा आ रहा था और बीच मे जब चुदासि असहनिय हो जाती तो उसकी मीठी छटपटाहट देखते ही बनती थी. उन लटकते मम्मों को मैं बीच बीच मे आगे झुक कर दबा देता.
दूसरी बार मैं नीचे लेटा रहा और मोम ने मुझपर चढ़कर मुझे चोदा क्योंकि मैं थक गया था पर लंड खड़ा था. आखरी चुदाई सबसे मीठी थी क्योंकि मेरा लंड काफ़ी देर खड़ा रहा और मोम ने भी मज़ा ले लेकर रुक रुक कर मुझे चोदा. बिलकुल चेहरे के सामने उसके उछलते स्तन मेरी मदहोशी को और गहरा कर देते. बीच मे ही मैं मोम की चुचियाँ दबाने लगता या उसे नीचे खींचकर उसकी घुंडियाँ चूसने लगता.
हम सोए तो लास्ट हो गये थे. सोते समय मों ने मुझे बाँहों मे भरकर पूछा
"तेरे दिमाग़ मे ये सब आसन कहाँ से आए बेटे? ऐसा अनुभवी लगता है जैसे कोई मंजा खिलाड़ी हो" मैंने मोम को कहा कि मोम मैने आपको बताया तो था कि राज शर्मा के कामुक-कहानियाँडॉटब्लॉगस्पॉटडॉटकॉम पर ये सब कुछ देखा था उसमे संभोग कैसे किया जाता है और सेक्स की सारी जानकारी है उसी मे मैने ये आसान देखे थे
"और माँ, सपने मे ये सब मैं तेरे साथ कितनी ही बार कर चुका हू, इसलिए आज पहली बार करते हुए भी कोई तकलीफ़ नही हुई मुझे" मेरी गोटियाँ अब दुख रही थीं. लंड भी एकदमा मुरझा गया था. मोम ने मुझे प्यार से डाँटते हुए कहा
"अब कल कुछ नहीं. तेरा कल का भी सारा कोटा पूरा हो गया. बीमार पड़ना है क्या? अब दो तीन दिन के लिए सब बंद." मैंने मोम से खूब मिन्नटे कीं, बोला कि जैसा वह कहेगी मैं करूँगा, बस कम से कम एक बार कल मुझे चोदने दे. पहले वह नही मान रही थी, मेरी हज़ार प्रार्थना के बाद मान गयी "ठीक है, कल रात को. पर दिन भर अब अच्छे बच्चे जैसे रहना. मुझे भी घर के बहुत काम करने हैं."
दूसरे दिन रविवार था. हम आरामा से उठे. मोम ने घर का काम निकाला. मुझे भी लगा दिया. मेरा कमरा और मोम के बेडरूम को जमाया, पुराना सामान निकालकर फेका. उसी समय मेरी अलमारी की तह मे रखी कुछ मेगेज़ीन उसे मिलीं. वह पन्ने पलटने लगी तो चहरा लाल हो गया. हर तरह के तस्वीरे उसमे थीं. स्त्री पुरुष, स्त्री स्त्री, पुरुष पुरुष, ग्रुप, बड़ी उम्र की औरते और जवान लड़के.
"छी कितनी गंदी किताबे हैं. शरम नही आती तुझे" एक गुदा संभोग का चित्र देखते हुए उसने मुझे पूछा. उसकी साँसे तेज हो गयी थी उस चित्र को वह बहुत देर देखती रही. मैंने उसके गले मे बाँहे डाल कर कहा
"हाँ माँ, पर है बहुत मजेदार. है ना?" मोम ने उन्हे अपने कमरे की अलमारी मे रख दिया.
"अब से ये देखना बंद. तभी दोपहर को तरह तरह की हरकते करता रहता था" मोम उन्हे देख कर उत्तेजित हो गयी थी. पर उसीने मुझे कहा था कि आज मुहब्बत बंद है इसलिए आगे कुछ ना बोली. बस मुझे ज़ोर से चूमा लिया.
दोपहर को खाने के बाद मोम बाजार चली गयी. मुझे सुला कर गयी कि आराम कर. जब मैं शाम को उठा तो देखा कि मोम वापस आ गयी है और मेरे बाजू मे सो रही है. मैं उसे चिपटना चाहता था पर फिर सोचा वह भी थक गयी होगी. चुपचाप उठाकर उसकी पुरानी स्लीपरे बाथरूम ले गया. उन्हे खूब धोया और सुखाने को रख दीं. तभी मोम आ गयी. आश्चर्य से बोली
"अरे ये क्या कर रहा है? मैंने ली तो है नयी वाली तेरी पसंद की" मैंने कहा
"वो तो नयी है माँ, अभी उनमे तुम्हारे पैरों की खुशबू कहाँ लगी है! उन्हे बाद मे पहनना पहले इन्हे पहन कर घिसो तब मुझे मज़ा आएगा. तब तक के लिए मैंने ये सॉफ कर ली हैं"
"क्या करेगा इनका" मोम की बात पर मैंने कहा
"माँ, आज रात इन्हे पहनना ना प्लीज़, बहुत मज़ा आएगा" मोम ने चाय बनाई. मेरी बात से वह भी उत्तेजित हो गयी थी. उसकी आँखों से ही मुझे उसकी हालत का पता चल गया था. मेरा भी लंड खड़ा था. पर मोम से मैंने वादा किया था कि आज रात सिर्फ़ एक बार चोदुन्गा. एक बात भी मेरे दिमाग़ मे भर गयी थी, उसके लिए मोम की सहमति ज़रूरी थी.
उस दिन हम बाहर नही गये, घर मे ही आराम किया. शाम को मोम जब टी वी देख रही थी तो आख़िर मुझसे नही रहा गया. मैं जाकर उसके सामने नीचे बैठ गया और उसकी साड़ी उपर कर दी.
"अरे क्या कर रहा है? याद है ना मैंने क्या कहा था?" मों मेरे हाथ पकड़कर बोली.
"माँ, मैं सच मे अभी कुछ नही करूँगा. रात को ही करूँगा. पर तुम क्यों परेशान हो रही हो? मुझे बस अपनी बुर चूसा दो"
"चल हट, बड़ा आया बुर चूसने वाला. और उसके बाद क्या करेगा यह भी मालूमा है" मोम ने मेरे कान पकड़कर कहा.
"नही माँ, प्रामिस, बस तुम्हारी बुर चुसूँगा घंटे भर. मुझे महक आ रही है, मुझे मालूमा है कि तुम्हारी क्या हालत है. और कुछ नही करूँगा माँ, बिलकुल सच्ची. रात तक ना चोदने की प्रामिस तो मेरी है, तुमने ने झदाने की कोई प्रामिस थोड़े की है" मैंने अपने बचपन के अंदाज मे कहा. मोम निरुत्तर हो गयी, मेरा हाथ छोड़ कर बोली
क्रमशः.................
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