RE: Hindi Chudai Kahani हिटलर को प्यार हो गया
विकी अब बिल्कुल बदल चुका था. वो जितना हो सके लड़ाई झगड़े से दूर ही रहता था. रीत के कहने पे अब वो प्रीति और अमित की शादी के लिए भी मान गया था. प्रीति और अमित विकी के इस फ़ैसले पे बहुत खुश थे. प्रीति जानती थी कि ये सब सिर्फ़ रीत की वजह से ही मुमकिन हो पाया है. वो उस का शुक्रिया अदा करना चाहती थी. उसने रीत का नंबर. अपने मोबाइल से डाइयल किया.
रीत-हेलो.
प्रीति-हेलो भाभी कैसी हो आप.
रीत-ओह प्रीति तुम. मैं ठीक हूँ तुम कैसी हो.
प्रीति-मैं भी ठीक हूँ भाभी.
रीत-अब तो खुश है ना.
प्रीति-जी भाभी मैं बहुत खुश हूँ और अमित भी बहुत खुश है. हम दोनो आपका शुक्रिया अदा करना चाहते है प्लीज़ आप आज दोपेहर को 12 वजे अपने कलाज के पास वाले होटेल में आ जाना हम आपका वही मिलेंगे.
रीत-अरे पगली इसकी क्या ज़रूरत है.
प्रीति-नही मुझे कुछ नही पता आप वहाँ पे आ रही हो बस.
और फोन कट हो जाता है.
अमित, प्रीति और रीत होटेल में एक टेबल पे बैठे होते हैं.
प्रीति-भाभी आपने तो चमत्कार कर दिया.
रीत-अरे मैने कुछ नही किया जो भी किया उस भगवान ने किया.
अमित-कुछ भी हो आपने जो हमारे लिए किया हमारे लिए तो आप ही भगवान हो.
रीत-अरे नही नही आप तो बे-वजह मुझे क्रेडिट दे रहे हो. छोड़ो ये सब ये बताओ शादी की तैयारी है ना अब.
प्रीति-बिल्कुल भाभी फुल तैयारी है. आप बताओ आप कब हमारे घर भाभी बन कर आ रही हो.
रीत-अरे ये बात तो तुम्हारे भैया ही तुम्हे बता सकते हैं.
प्रीति-मैं जल्द ही आप दोनो की बात भी चलाती हूँ घर में.
रीत-अच्छा बाबा चला लेना बात. वैसे तुम्हारे मम्मी पापा मान जाएँगे ना.
प्रीति-अरे कैसी बात कर रही हो भाभी. आप तो हमारे लिए भगवान बन कर आई हो. जब पापा और मम्मी को पता चलेगा कि भैया को आप ने सुधारा है तो वो तो फ़ौरन हां कर देंगे.
रीत प्रीति की बात सुनकर खुश हो जाती है. फिर वो लोग लंच करते हैं और फिर रीत उनसे विदा लेती हुई अपने घर की तरफ निकल जाती है.
अमित और प्रीति भी अमित की गाड़ी में चल देते हैं.
अमित-प्रीति तुम्हे अपना वादा याद है ना.
प्रीति-कॉन्सा वादा.
अमित-वाह जी क्या बात है आपने कहा था कि जब हमारी शादी पक्की हो जाएगी तो आप मुझे जी भर के प्यार करेंगी.
प्रीति-प्यार तो अब भी करती हूँ और आगे भी करती रहूंगी. प्रीति ने हंसते हुए कहा.
अमित-अब बात को घूमाओ मत जानू. गाड़ी अब वहीं आ पहुँची है जहाँ हमने पहली दफ़ा प्यार किया था.
प्रीति ने बाहर देखा तो पाया कि अमित गाड़ी को वहीं पे ले आया था जहाँ पे उन्होने पहली बार सेक्स किया था.
अमित ने गाड़ी को एक तरफ रोक दिया और गाड़ी से उतर कर प्रीति की तरफ आ कर उसकी विंडो को खोला और प्रीति को गोद में उठा लिया और झाड़ियों की तरफ जाने लगा.
प्रीति उसे झाड़ियों की तरफ जाता देख उसकी छाती में मुक्के मारती हुई बोली.
प्रीति-अमित तुम पागल हो गये हो क्या. वहाँ खुले आम ये सब करेंगे तो कोई भी हमे आकर पकड़ सकता है. पहले भी हम एक बार टाय्लेट में पकड़े जा चुके है. मगर तुम्हारा दिमाग़ तो पता नही कहाँ घास चरने गया है. छोड़ो मुझे.
मगर अमित बिना उसकी बात सुने उसे झाड़ियों में और अंदर तक ले गया और एक पेड़ के पास लेज़ा कर उसने प्रीति को उतारा और प्रीति कुछ बोल पाती उस से पहले ही अमित ने अपने होंठ उसके होंठों पे टिका दिए और उसे अपनी बाहों के आगोश में ले लिया. कुछ देर तक प्रीति उस से छूटने की कोशिश करती रही मगर फिर उसने अपने हथियार डाल दिए और अपनी बाहें अमित के गले में डालकर उसका साथ देने लगी. वहाँ पे काफ़ी उँची उँची झाड़ियाँ थी. उनको कोई देख नही सकता था. वो दोनो अब बिना किसी डर से एक दूसरे के होंठ चूसने में खोए हुए थे.
अमित के हाथों ने अब हरकत दिखाना शुरू कर दिया था उसका एक हाथ टी-शर्ट के उपर से प्रीति के बूब्स दबा रहा था और दूसरा उसकी जीन्स के उपर से प्रीति के चुतड़ों का जायज़ा ले रहा था. अमित ज़ोर ज़ोर से प्रीति के मम्मे और चूतड़ मसल्ने लगा था और प्रीति के मूह से भी अब सिसकारियाँ निकलने लगी थी. अमित ने अब प्रीति को फिर से उठा लिया था और उसे ज़मीन पे लिटा दिया और खुद उसके उपर आ कर उसकी टी-शर्ट के उपर से ही उसके मम्मे चूसने लगा था. प्रीति मुस्कुराती हुई अमित की तरफ देख रही थी और उसके बालों में अपनी उंगलिया घुमा रही थी. अमित थोड़ा नीचे हुआ और जीन्स के उपर से ही अपनी जीभ प्रीति की चूत पे फिराने लगा. फिर उसने अपने दोनो हाथ उपर किए और प्रीति की जीन्स का बटन खोल दिया.
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