RE: Hindi Chudai Kahani हिटलर को प्यार हो गया
कोमल ने जल्दी ही उसे रीत का मोबाइल नंबर. दे दिया. प्रीति ने वो नंबर. डाइयल किया और दूसरी तरफ से आवाज़ आई.
रीत-हेलो.
प्रीति-हेलो रीत.
रीत-जी आप कॉन.
प्रीति-रीत मैं विकी की सिस्टर बोल रही हूँ.
रीत-ओह अच्छा अच्छा जी बोलिए.
प्रीति-रीत तुम्हे तो पता ही है कि जो कुछ मेरे और अमित के साथ कॉलेज में हुआ है.
रीत-जी.
प्रीति-रीत मैं और अमित एक दूसरे को प्यार करते है और हम एक दूसरे के सिवा जिंदा नही रह सकते लेकिन तुम विकी को तो जानती ही हो वो कैसा इंसान है वो हम दोनो के बीच दीवार बन कर खड़ा है.
रीत-तो इसमे मैं क्या कर सकती हूँ जी.
प्रीति-रीत तुम विकी को समझाओ शायद वो तुम्हारी बात मान जाए.
रीत-प्रीति मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूँगी उसे समझाने की और तुम दोनो को मिलाने की. आख़िरकार तुम मेरी ननद हो तुम्हारा ख्याल तो मुझे रखना ही पड़ेगा.
प्रीति-थॅंक यू भाभी. अब से मैं भी आपको भाभी ही कहूँगी.
रीत-ओके ननद रानी मैं आज ही विकी से बात करके देखती हूँ.
प्रीति-ओके भाभी मुझे फोन कर बताना कि क्या बात हुई.
रीत-ओके बाइ.
प्रीति-बाइ भाभी.
रीत फोन रख देती है और सोचने लगती है कि क्या विकी उसकी बात मानेगा. वो सोचती है कि बात करने में क्या जाता है एक बार उसे समझा कर ज़रूर देखना चाहिए.
वो उठी और विकी को ढूँढने लगी और विकी उसे कॅंटीन में बैठा दिखाई दिया. रीत ने उसे वहाँ से उठाया और कॉलेज के साथ बनी पार्क में उसे लेज़ाने लगी.
विकी-अरे डार्लिंग कहाँ जा रही हो.
रीत-चुप चाप आओ ना मुझे तुम से कुछ ज़रूरी बात करनी है.
वो दोनो पार्क में एक बेंच पर बैठे होते हैं. विकी देखता है कि उस टाइम पार्क काफ़ी सुनसान है और उसके मन में शैतानी सूझती है. वो रीत को पकड़कर अपनी तरफ खीचता है और उसके होंठों पे होंठ रख देता है और ज़ोर ज़ोर से रीत को चूसने लगता है. रीत अपने हाथों से उसे दूर धकेलने की कोशिश करती है मगर विकी की मज़बूती के सामने वो कमज़ोर पड़ जाती है. विकी रीत की राइट जाँघ को खींच कर अपनी दोनो टाँगों के दूसरी ओर रख देता है.
अब विकी बेंच पे बैठा होता है और रीत उसकी गोद में उसकी और चेहरा किए अपनी दोनो टाँगें विकी के इर्द-गिर्द रखे बैठी होती है. विकी उसके होंठ चूस रहा था और उसके दोनो हाथ रीत के चुतड़ों को उसकी सलवार के उपर से मसल रहे होते हैं. विकी उसके होंठ छोड़ देता है और उसके मम्मो को कमीज़ के उपर से ही अपने दाँतों से काटने लगता है.
होंठ आज़ाद होते ही रीत कहती है.
रीत-विकी मैं तुम्हे कुछ कहने के लिए यहाँ लेकर आई थी ना कि यहाँ तुम्हारी गोद में बैठने के लिए.
विकी-बस चुप चाप बैठी रहो जानू मज़ा आ रहा है.
रीत-चुप बदमाश छोड़ो मुझे किसी ने देख लिया तो मैं तो पूरे कॉलेज में बदनाम हो जाउन्गी. प्लीज़ छोड़ो ना तुम्हे मेरी क़सम.
विकी क़सम का नाम सुनते ही रीत के उपर अपनी पकड़ ढीली कर देता है और ढील का फ़ायदा उठाते हुए रीत उस से अलग हो जाती है. वो अपने कपड़े सही करती है और विकी के पास बैठ जाती है.
विकी-हां तो बोलो क्या बात है.
रीत-वो बात ऐसे है विकी कि......
रीत को समझ नही आ रहा कि वो कहाँ से बात शुरू करे.
विकी-अब बोलो भी या दुबारा शुरू हो जाउ.
रीत-वो विकी मैं प्रीति और अमित के बारे में बात करना चाहती हूँ.
विकी का चेहरा रीत की बात सुनते ही गुस्से से भर जाता है.
विकी-चुप करो मुझे कोई बात नही करनी उनके बारे में.
रीत-विकी तुम समझते क्यूँ नही वो दोनो एक दूसरे को प्यार करते है. वो एक दूसरे के बिना नही जी पाएँगे.
विकी-मैं बोल रहा हूँ चुप कर.
रीत-विकी वो तुम्हारी बेहन है क्या उसकी खुशी का तुम्हे ज़रा सा भी ख्याल नही. एक बार सोच कर तो देखो अगर तुम उनकी शादी करवा देते हो तो वो कितना खुश होगी.
विकी रीत की गाल पे एक थप्पड़ जड़ देता है और बोलता है.
विकी-बंद कर अपनी बकवास साली तू कॉन होती है मुझे समझाने वाली मेरी बेहन के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा ये सोचना मेरा काम है समझी.
और वो वहाँ से उठ कर चला जाता है. रीत की आँखों में आँसू आ जाते हैं और विकी के जाते ही वो सुबकने लगती है और विकी को ऐसे बात करता देख सोचती है कि वो विकी को बिल्कुल भी नही बदल पाई. वो वैसे का वैसा ही है. वो समझ जाती है कि विकी को सिर्फ़ उसके शरीर की भूख थी उस से आगे कुछ नही. वो प्रीति को फोन कर सारी बात बता देती है. प्रीति रीत की बात सुनकर और परेशान हो जाती है. क्यूंकी एक आख़िरी उम्मीद रीत ही थी उसके लिए लेकिन अब वो भी कम होती दिखाई दे रही थी.
रीत भी वहाँ से उठी और अपनी स्कॉटी लेकर अपने भरे मन से अपने घर की तरफ चल पड़ी.
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