RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--51
गतान्क से आगे................
मानव ने बिना वक़्त गँवाए अंजलि को डिग्जी से बाहर निकल कर उसके हाथ पाँव खोले...,"अंजू.. तुम.. ऐसे... तुम्हे तो....!"
"पिंकी....!" चेहरे पर बँधी पट्टी के हटते ही अंजलि लगभग चिल्ला पड़ी...,"पिंकी को बचाओ जल्दी प्लीज़... वो.. हॅरी उसको....!"
"रिलॅक्स... पिंकी बिल्कुल ठीक है... पर तुम...!" मानव के चेहरे की रौनक उसकी खुशी बयान कर रही थी....
"नही... ववो.. हॉस्टिल में नही है... हॅरी उसको....!" अंजलि ने एक बार फिर कुच्छ बताने की कोशिश की... पर इस बार भी मानव ने उसको टोक दिया..,"हाँ.. हाँ... मुझे पता है... वो हॅरी के साथ बाहर आकर इन्न लोगों के चंगुल में फँस गयी थी... पर अब वो बिल्कुल ठीक है.... तुम फिकर मत करो... तुम तो ठीक हो ना...?"
"अच्च्छा!" अंजू खुश होकर बोली...,"वो सब पकड़े गये क्या....?"
"हाँ... चलो अब... तुम बच कैसे गयी?" मानव ने उसके साथ वापस ज़ीप में बैठते हुए पूचछा तो अंजलि के चेहरे पर टीस उभर आई...,"बेचारी मनीषा को इन्न लोगों ने मार दिया.... उसने मुझे बचाने के लिए अपनी जान गँवा दी....!"
"क्या? कौन मनीषा?... वही तुम्हारे गाँव वाली....?" मानव उच्छल पड़ा....
"हाँ... मैं उस बुड्ढे को बाथरूम में बंद करके आपके पास फोन कर रही थी तो 'वह' प्रेम दरवाजा तोड़कर अंदर आ गया... वा तो मुझे मार ही देता अगर मनीषा उसके साथ छ्चीना झपटी नही करती तो.... गोली 'उस' बेचारी को लग गयी...." अंजलि ने बोलते बोलते बुरा सा मुँह बना लिया....,"वह मुझे भी मारने वाला था... पर हॅरी ने उसको मना कर दिया....?"
"हॅरी ने मना कर दिया? मैं कुच्छ समझा नही....!" मानव ने चौंक कर अंजलि की तरफ देखा.....
"आपने उसको नही पकड़ा क्या?.... हॅरी ही तो इन्न सबका 'बॉस' है....!"
"कियेयीययाया?" ठगे से रह गये मानव के पैर ब्रेक्स पर दाबते चले गये...,"तत्तूम्हे कैसे पता....?" मानव ने फटाफट अपना मोबाइल निकलते हुए कहा और थाने में फोन किया....,"हेलो पूरी?"
"पूरी तो गया जनाब!.. जल्दी बोलो... मेरे पास टाइम नही है...." उधर से आवाज़ आई....
"कहाँ गया....? तुम कौन बोल रहे हो?"
"सब उपर गये... मैं भी चलता हूँ... अलविदा.. हा हा हा हा... बाइ इनस्पेक्टर साहब...!"
"हेलो... हेलो.. कौन? हॅरी.... ओह्ह्ह शिट... मुझसे इतनी बड़ी चूक कैसे हो गयी....!" मानव ने झल्लाते हुए स्टियरिंग पर मुक्का मारा और इसके साथ ही गाड़ी को रफ़्तार देते हुए उसने शहर भर में वी.टी. शुरू कर दी....
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"ओह माइ गोद..." मानव ने थाने में जाते ही अपना माथा पकड़ लिया.... थाने में उस वक़्त मौजूद तीनो पोलीस वालों की लाशे यहाँ वहाँ बिखरी पड़ी थी.... मानव भाग कर लोक्कूप की तरफ गया... अंदर फैला खून बयान कर रहा था कि किस निर्दयता से हॅरी ने उन्न सब को मौत के घाट उतारा होगा.... लोक्कूप रूम में भी 2 लाशे ही बची थी बस...,"सस्सालाअ!"
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थाने में पूरी पोलीस फोर्स के साथ ही आंब्युलेन्स भी आ चुकी थी.... सब के सब अपने अपने कामो में व्यस्त थे.... मानव उनको इन्स्ट्रक्षन देकर वापस ऑफीस में आ गया....
"तुम्हे कैसे पता लगा कि हॅरी बॉस है....?" अपना सिर पकड़े ऑफीस में बैठा मानव अब सिवाय लकीर पीटने के; और कर ही क्या सकता था..... अंजलि भी उसके सामने सिर झुकाए बैठी थी.....
"मनीषा के मरने के बाद उसने खुद मुझे फोन पर बात की थी......वह मुझे वापस भेजने के मूड में नही था.... मैं रोने लगी तो उसने मुझे कहा था कि चिंता मत करो... पिंकी का वेट कर रहा हूँ, गुरुकुल के बाहर... वो भी तुम्हे यहीं मिलेगी....!" अंजलि ने बताया.....
"पर....!" मानव कुच्छ बोलते बोलते रुक गया...,"खैर.. अब तो वैसे भी सॉफ हो चुका है कि हॅरी ही इनका 'बॉस' था.... वैसे मनीषा वहाँ कैसे पहुँची... और उसने तुम्हे बचाने के लिए अपनी जान क्यूँ दी.....?"
"उसी ने हम सब को बचाने के लिए तरुण को मारा था.... तरुण इन्न सब के साथ ही काम करता था.... वह हम तीनो को भी इसी दलदल में घसीटना चाहता था..." यहाँ से शुरू करके अंजलि ने पूरी कहानी मानव को सुना दी....
" ओह्ह्ह.... ये हॅरी तो तुम्हारे गाँव का ही है ना?" मानव ने पूचछा....
"नही... हमारे गाँव का नही है... इसका दवाइयों का कुच्छ बिज़्नेस है... हमारे गाँव में पता नही क्यूँ रहता था.... गाँव वालों को कुच्छ पता होगा.... पर क्या पता उनको भी ना पता हो!"
"एक मिनिट... चलो महिला थाने चलते हैं... शायद सीमा या डॉली से कुच्छ पता चले, उसके बारे में.....!" मानव ने कहा और अंजलि को अपने साथ लेकर निकल पड़ा.......
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"मुझे उस'से पहली बार अर्चना मेडम ने बात करवाई थी सर.... हमें तो आज तक ये भी नही पता की 'बॉस' कौन है... सिर्फ़ प्रेम और अजय ही उस'से मिलते थे, एक आध बार....." सीमा थाने में बैठी अपनी बर्बाद हो चुकी जिंदगी पर आँसू बहा रही थी.....
"कौन अर्चना मेडम?" मानव ने अपनी थयोरियाँ चढ़ा कर पूचछा.....
"जब में स्कूल में पढ़ती थी तो हमारे स्कूल में टीचर थी... आजकल प्रिन्सिपल हैं.....!"
"ओह्ह्ह... मैं समझ गयी... वही ना जो तुमसे उस दिन गुरुकुल में बात कर रही थी....!" अंजलि ने तुरंत पूचछा.... सीमा ने सहमति में सिर हिला दिया...,"हां!"
"वो तो इसी शहर में रहती हैं.... तुम यहीं आराम करो अंजू...!" मानव तुरंत खड़ा हो गया...," 2 लेडी कॉन्स्टेबल्स को बुलाओ अभी....!"
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"कौन?...." तीन चार बार बेल बजाने पर एक आदमी की आवाज़ आई....
"दरवाजा खोलो...!" मानव ने आवाज़ सुन'ने के बाद कहा....
"पर कौन है भाई... इतनी रात को...?" अंदर से दरवाजा खोले बिना ही एक बार फिर से पूचछा गया....
"पोलीस है... जल्दी खोलो...!" भाननाए हुए मानव ने गुस्से में दरवाजे पर ठोकर मारते हुए कहा.....
"आप... पर यहाँ क्यूँ....?" घबराकर आदमी ने दरवाजा खोल दिया.....
"तेरी बीवी कहाँ है...?" मानव ने पूचछा.....
"ववो.. वो तो बाहर गयी है..... क्यूँ?" आदमी हड़बड़ा गया था.....
"जल्दी बता वरना....!" मानव अब और समझौते के मूड में नही था.. उसने अपनी रेवोल्वेर निकाल ली...,"बहुत हो गया तुम्हारा धंधा.... बता कहाँ है तेरी बीवी....?"
"ववो... उसको किसी ने बुलाया था.... कह रही थी कुच्छ एमर्जेन्सी है..... पर आप क्यूँ...?"
"किसने?... कहाँ बुलाया है?"
"ये तो पता नही सर...!"
"कब?" मानव ने फिर पूचछा.....
"अभी... 20 मिनिट पहले..... पर आप...!"
"तेरी बीवी है वो.. और तुझे ये पता नही की उसको इतनी रात को...." बोलते बोलते मानव रुका और फिर अचानक चिल्लाया..,"फोन लगा.... फोन लगा उसको.. वरना ववो गयी जान से... वो उसको भी मार देगा स्साला....!"
"पर वो उसको क्यूँ मारेगा... बहुत शरीफ लड़का है वो तो...." हड़बड़ाहट में आदमी के मुँह से निकल ही गया...,"एक मिनिट.. मैं फोन करके बताता हूँ उसको....!"
"नही उठा रही... लगता है वाइब्रेशन पर होगा... म्यूज़िक चला रखा होगा ना.....!" आदमी ने फीकी हँसी हंसते हुए जवाब दिया.....
मानव ने उसके हाथ से फोन झपट कर साथ आई महिला पोलिसेकार्मी को दे दिया...,"ट्राइ करते रहो.. उठा ले तो मुझे देना.... मुझे तो लगता है कि वो भी गयी...!"
"हां.. अब तू बोल... कौन है 'वो' शरीफ लड़का....!" मानव ने उस आदमी के कॉलर पकड़ लिए.....
"म्मूंुझे.. मुझे कुच्छ नही मालूम...!" आदमी घिघियाते हुए बोला.....
"अच्च्छा! तुझे ये पता है कि 'वो' शरीफ लड़का है.... तुझे अपनी बीवी के इतनी रात में बाहर जाने पर भी कोई ऐतराज नही है.... जल्दी बता दे.... उस शरीफ लड़के ने पिच्छले तीन घंटे में अपने सब साथियों को मार दिया है.... तीन पोलीस वालों को मार कर थाने से भागा है.... तेरी बीवी भी शायद अब तक मर् चुकी होगी.... समझ गया तू.... अब जल्दी से बता दे वरना तेरा खून भी उसके सिर लग जाएगा...!" मानव ने गुर्रकार कहा....
"बा...बाब...बताता हूँ.. प्लीज़.. गोली मत चलना...!" कनपटी पर रेवोल्वेर तनी देख कर आदमी के रौंगटे खड़े हो गये....,"मुझे ज़्यादा नही पता.. पर.. पर मेरी बीवी ने एक बार बताया है कि वो 'जुलना' का रहने वाला है... हॅरी नाम है... मुझे इस'से ज़्यादा कुच्छ नही पता......!"
"तुम कभी मिले हो उस'से?"
"नही... पर मेरी बीवी की आल्बम में फोटो है उसका.....!" आदमी ने घिघियाते हुए बताया.. रिवॉलव अब तक उसकी कनपटी पर ही थी.....
"उसको पता है कि तुझे उसके बारे में कुच्छ पता है...?" मानव ने पूचछा....
"नही...!" आदमी ने ना में सिर हिला दिया.....
"फोटो लेकर आ उसका....!" मानव ने रेवोल्वेर वापस रखते हुए कहा.....
"ज्जई... लाता हूं... ववो.. फोन मिला की नही....?"
"नही... जल्दी कर.....!"
"ये लीजिए सर...!" आदमी ने फोटो लाकर मानव को दे दिया.....
मानव ने फोटो को गौर से देखा और अपनी जेब में डाल लिया....,"चल.. गाड़ी में बैठ... ताला लगा दे यहाँ....!"
"प्पर... पर मैं क्यूँ सर?"
"जिंदा रहना है कि नही.....?" मानव मुड़कर गुर्राया....
"ज्जई... चलता हूँ......!"
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वो लोग अभी थाने पहुँचे भी नही थे कि मानव के मोबाइल पर एक और खबर आ गयी...,"सर... ववो... पटियाला चौंक के पास अभी एक औरत की लाश मिली है..... लगता है गला घौंत कर मारा गया है उसको....!"
"उफ़फ्फ़... गयी..." मानव के मुँह से निकला...,"गाड़ी में है क्या?"
"नही सर... ऐसे ही फूटपाथ की साइड में पड़ी थी.... कोई सभ्य लेडी मालूम होती हैं....."
"हुंग.... शभ्य साली.....!" मानव बड़बड़ाया.... और पिछे बैठे आदमी को टोका...,"नंबर. क्या है तेरी बीवी की गाड़ी का?"
"ज्जई... डल 9क्प 7457...!"
"कलर...?"
"जी ब्लॅक... होंडा सिटी!"
मानव फोन पर निर्देश देने लगा....," ववो.. ब्लॅक कलर की होंडा सिटी में मिलेगा... 7457.... बचना नही चाहिए वो... किसी भी कीमत पर....!"
"मेडम किधर हैं...!" आनन फानन में एक पोलीस वाला लगभग भागते हुए महिला थाने में घुसा....
"सो रही हैं... क्यूँ?" रात की ड्यूटी पर तैनात एक महिला पोलिसेकार्मी ने पूचछा....
"इनस्पेक्टर साहब ने उन्न लड़कियों को एक लाश की शिनाख्त के लिए थाने बुलाया है... एक लेडी को भी साथ में....!" पोलीस वाले ने कहा.....
"मैं... मैं तो ड्यूटी पर हूँ... एक मिनिट... शिल्पा को जागती हूँ...." पोलीस वाली ने कहा और स्टाफ वॉर्ड में जाकर शिल्पा को जगा दिया...,"उठ.. ड्यूटी पर जाना है तुझे...!" पोलीस वाला उसके साथ साथ ही था.....
"अर्रे हां... उस लड़की को बुलाया होगा... अंजलि को...! उसको यही छ्चोड़ गये थे ना...! उनकी जान पहचान की है..." महिला पोलीस कर्मी ने कहा....,"मैं अभी उठाती हूँ...!"
"अंजलि?.. नही नही... उन्न दोनो को... ववो.. क्या नाम थे यार... डॉली और सीमा... हां....!" पोलीस वाले ने कहा....
"ठीक है... लाओ.. उनका पर्चा दो!" महिला पोलीस कर्मी ने हाथ बढ़ा कर कहा....
"पर्चा सुबह भेज देंगे यार.... तुम्हे नही पता कितनी मारा मारी चल रही है... ववो.. कमीना...!"
"पर कहीं मेडम गुस्सा ना करें सुबह उठकर... ये ऐसी ही है...चिड़चिड़ी सी.... क्या करूँ... अब जगाउन्गि तो गुस्सा करेंगी...!"
"छ्चोड़ ना यार... रोज रोज तो ऐसे होता है... मैं जाते ही जनाब का फोन करवा दूँगा.....!" पोलीस वाला उनके साथ बाहर आ गया....
"दीदी दीदी....!" उनके बाहर निकलते ही भयभीत सी अंजलि ने चदडार से मुँह निकाल कर अपनी साइड में सो रही पोलीस वाली को जगाया.....
"सोने दे ना यार.... अब तो आई हूँ.... सुबह होने वाली है वैसे भी...!" पोलीस वाली ने उसको झिड़कते हुए कहा.....
"दीदी.. ववो... हॅरी...!" अंजलि ने उसको एक बार फिर हिलाया.....
"क्या हॅरी हॅरी यार... तू ज़्यादा जासूस मत बन.... पकड़ा जाएगा अपने आप... पोलीस वालों ने चारों और नाके लगा रखे हैं... सो जा....!"
"वो.. ववो.. यहीं आया हुआ है.. पोलीस की वर्दी में है....!"
"सीसी..क्क्याअ...!" पोलीस वाली की नींद एक दम उड़ गयी... पर उठ कर बैठ जाने के बावजूद उसकी आवाज़ नही निकली....,"कहाँ...?"
"अभी अंदर आया था... मैने थोड़ी सी चदडार उठाकर देखा.....!" अंजलि लेते लेते बोल रही थी... वह बहुत ज़्यादा डर गयी थी.....
"कुच्छ हथियार था क्या उसके पास...?" पोलीस वाली ने सहम कर पूचछा....
"पता नही.. ये तो...!" अंजलि ने जवाब दिया.....
"सो जा... अपने साथ मुझे भी मरवाएगी क्या? 6-7 खून तो पहले ही कर चुका है... उसको क्या फ़र्क़ पड़ेगा....?" पोलीस वाली वापस लेट गयी... और डरी सहमी हुई चदडार की औट में से ही दरवाजे को घूर्ने लगी......
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"फोन ज़रूर करवा देना मेडम के पास... मेरी ड्यूटी 7 बजे ख़तम होगी.... उस'से पहले पर्चा भिजवा देना या इन्न लड़कियों को...." पोलीस वाली ने शिल्पा को उन्न दोनो लड़कियों के हाथों में लगी हथकड़ियों का दूसरा छ्होर थामकर पोलीस ज़ीप में बैठाते हुए कहा.....
"तुम फिकर मत करो!" ड्राइविंग सीट पर बैठा हॅरी मुस्कुराया और गाड़ी स्टार्ट करके दौड़ा दी.........
"क्या क्या बता दिया इनस्पेक्टर साहब को...?" हॅरी ने गाड़ी चलाते हुए एक पोलीस नाके से पार करके पूचछा..... पोलीस की गाड़ी देख कर नाके पर खड़े पोलीस वालों ने अपने बारर्ओर खींच लिए थे.... सुबह के तीन बजे भारी ट्रक्स और सायरेन बजाती घूम रही गाड़ियों के अलावा कुच्छ दौड़ भी नही रहा था शहर की सड़कों पर......
"हमें कुच्छ पता ही नही है सिर... हमने तो आज तक उसको देखा भी नही है.... हम क्या बतायें?" डॉली ने मुरझाए चेहरे से साथ बैठी शिल्पा को देखते हुए कहा.... साँवली सी शिल्पा शक्ल सूरत की बड़ी प्यारी थी.... नयी नयी पोलीस में भरती हुई थी... जोश अभी कायम था... जवानी भी...!
"पर.. तुम शहर से बाहर कहाँ लेकर जा रहे हो.... इनस्पेक्टर साहब कहाँ हैं....?" शिल्पा उनीनदी सी थी... अचानक उसने बाहर झाँक कर पूचछा.....
"एक डेड बॉडी मिली है.... साहब वहीं पर हैं... इनको शिनाख्त के लिए बुलाया है....!" हॅरी अब निसचिंत हो चुका था......
शिल्पा ने मुँह पिचकाया और वापस सीट से सॅट कर अपनी आँखें बंद कर ली.....
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"आए... गया क्या वो?" बाहर तैनात पोलीस वाली जैसे ही पानी पीने के लिए अंदर आई... अंजलि के साथ लेटी हुई पोलीस वाली ने चदडार से मुँह निकाल कर पूचछा....
"हां... गया...! लड़कियों को लेने आया था...." पानी पीकर वापस मुड़ते हुए पहली ने जवाब दिया.....
"फिर....?" दूसरी उच्छल कर बैठ गयी......
"फिर क्या? भेज दिया.... पर्चा सुबह आएगा....!"
"किययाया? अरी 'ववो' हॅरी था.... उन्न लड़कियों का बॉस?"
ड्यूटी पर तैनात पोलीस वाली की तो जैसे जान ही निकल गयी...,"ययए... ये क्या कह रही है तू...? पहले क्यूँ नही बताया...? गयी मेरी नौकरी तो... हे भगवान.....! ये मुझसे क्या हो गया....."
"मैं कौनसा उसको जानती थी.... इस'ने बताया है अभी... मुझे तो अब पता चला...."
"पर दीदी.. मैने तो...!" अंजलि बोलने लगी तो पोलीस वाली ने उसको झिड़क दिया...,"चुप कर... अभी भी टाइम है... वी.टी. करवा दे.... शकुंतला को बोलकर... वरना तू तो गयी....!"
"पर... पर... कहेंगे क्या? ववो तो ऐसे उल्लू बना गया जैसे....!" पहली ने पूचछा....
"ऐसे मत कहना... बोलना पोलीस की वर्दी में आया था और आते ही कनपटी पर रेवोल्वेर लगाकर छुड़ा ले गया.... फालतू में चूतिया बन'ने की ज़रूरत नही है.. समझी... कर दे फोन.....!"
"पर... पर ववो तो... उसके साथ मैने शिल्पा को भी भेज दिया.... उसको तो सब पता है ना... वो तो सच ही बताएगी बाद में....!" पहले वाली काँपने लगी थी......
"उसका क्या पता अब बचेगी भी या नही... बाद की बाद में सोचेंगे... तू वी.टी. करवा जल्दी.... शहर में होगा तो पकड़ तो लेंगे उसको... कौनसी गाड़ी में आया था.....?"
"पोलीस ज़ीप थी.... चल मेरे साथ आजा यार... तू उसको बता देना देना क्या बोलना है...?"
"क्यूँ घबरा रही है यार..... यहाँ कम से कम मर्डर तो नही किए.... सिटी थाने में देखा क्या हाल करके गया है.... कुच्छ नही बिगड़ेगा तेरा.... चल मैं चलती हूँ तेरे साथ...."
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"व्हाआत....? ये क्या बक रहे हो...." मानव सुनते ही उच्छल पड़ा....
"जी सर... अभी वी.टी. हुई है...." वाइर्ले ऑपरेटर लगभग भागता हुआ ऑफीस में आया था....,"वह मेरी बेटी शिल्पा को भी ज़बरदस्ती पोलीस ज़ीप में बिठाकर ले गया...... जल्दी कुच्छ कीजिए सर....!" डब्ल्यू.ओ. हाथ जोड़कर गिड़गिदने लगा.....
"इसकी मा की... स्साला.... पोलीस ज़ीप कहाँ से आई उसके पास...?" मानव ने खड़ा होते ही टेबल पर मुक्का मारा.....,"कौनसी ज़ीप थी....?"
"इसके बारे में उनको कुच्छ नही पता सर.... आप कुच्छ कीजिए ना...!"
"घंटा ड्यूटी करती हैं स्साली ववो... कम से कम ज़ीप का नंबर. तो देख लेती.... कितनी देर पहले हुआ है ये सब....?"
"अभी 1 मिनिट पहले ही रिपोर्ट हुई है साहब.... 5 मिनिट पहले वारदात हुई है... मेरी बेटी तो वैसे भी बहुत भोली है जनाब....!" डब्ल्यू.ओ. गिड़गिडया... उसको बस अपनी बेटी की पड़ी थी.....
"भोली है तो इस लाइन में क्या...." मानव गाली बकते बकते रह गया.... पर वो बुरी तरह भनना गया था...," साले तनख़्वाह पाने के लिए भरती हो जाते हैं.... ज़ीप निकलवओ बाहर....!"
गतान्क से आगे................
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