RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--47
गतान्क से आगे..................
पिंकी चुपचाप आकर गाड़ी में बैठ गयी.... हॅरी भी कुच्छ पशोपेश में लग रहा था... होता भी क्यूँ नही.. आख़िर पहली बार उसके सपनो की रानी रात के सपने की तरह चाँदनी रात में उसके बराबर वाली सीट पर आकर बैठ जो गयी थी...,"क्या बात है...? तुम इतनी उदास क्यूँ लग रही हो..?" हॅरी ने कहते ही गाड़ी आगे बढ़ा दी....
"नही... कहीं दूर मत चलो प्लीज़... मुझे डर लग रहा है बहुत...?" पिंकी ने चेहरा लटका कर कहा....
"क्यूँ...? मुझसे डर रही हो क्या? तुम नही कहोगी तो मैं तुम्हे हाथ भी नही लगवँगा... इतना तो विस्वाश होगा ना तुम्हे....?"
"ये बात नही है... पहली बार ऐसे बाहर आई हूँ... और फिर पता नही दीदी ने आज शक क्यूँ किया...? यहीं रोक लो ना प्लीज़... ज़्यादा दूर मत चलो...!" सहमी हुई पिंकी ने हॅरी के गियर पर रखे हुए हाथ को थाम लिया....
"ओके ओके... यहीं खड़ी कर देता हूँ, बस! खुश?" हॅरी ने मुस्कुरकर गाड़ी साइड में लगा दी..,"अब बताओ; क्या इरादा है?"
"कुच्छ नही..!" पिंकी हॅरी का आशय समझ कर लजा गयी....
"अपना वादा तो याद होगा ना...?" हॅरी ने अपने होंटो पर जीभ फेरी....
"ंमुझे डर लग रहा है...!" पिंकी ने झुरजुरी सी लेते हुए कहा....
"किस बात का....?" हॅरी ने अपने हाथों में उसका चेहरा थाम लिया...
"पपता नही... पर... सच में मुझे डर लग रहा है...." पिंकी ने अपनी मोटी मोटी आँखों के झरोखे से हॅरी की ओर देखा....
"थोड़ा इधर तो आओ एक बार.. मुझे जी भर कर तुम्हे चूम लेने दो...!" कहकर हॅरी जैसे ही अपनी बाईं ओर झुका पिंकी ने लाज़कर अपनी पलकें बंद की और अपने आपको पिछे खींचने की कोशिश की... पर ये कोशिश सिर्फ़ दिखावटी थी जो लज्जावाश उत्पन्न हुई थी.... हॅरी के होन्ट जैसे ही पिंकी के लरजते सुर्ख गुलाबी अधरों पर टीके... उसने सिसकी लेकर उनके बीच फासला कर लिया... अब दोनो के होन्ट एक दूसरे के होंटो से सिले हुए थे....
पिंकी की साँसें धौकनी की तरह चलने लगी.... मखमली छातियाँ बड़ी तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी.... पिंकी के चेहरे को अपने हाथों में समेटे हॅरी की कोहनियों पर छातियों का दबाव धीरे धीरे बढ़ने लगा था.... हॅरी को समझते देर ना लगी कि ऐसा पिंकी अपनी चूचियाँ में भड़क चुकी आग को दबाने के लिए कर रही है....
हॅरी धीरे से अपना एक हाथ पिंकी के गालों से नीचे सरकता हुआ लाया और उसकी चूची पर रख लिया... पिंकी चिंहूक कर पिछे हट गयी...,"ययए.. ये मत करो प्लीज़...!"
"मैं कुच्छ नही कर रहा जान... सब कुच्छ अपने आप ही हो रहा है... तुम्हारी कसम.... मुझे देखने दो ना छ्छूकर... तुम्हारा बदन....!" हॅरी ने कहा और फिर पिंकी की तरफ से किसी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा किए बगैर ही उसका सिर अपनी गोद में रख लिया...
"आहह..." पिंकी ने मंन में घूमड़ घूमड़ कर उभर रही उत्तेजना पर काबू पाने के लिए अपनी जांघों को कसकर भींच लिया.... अपने घुटने मोदकर वह सीधी हो गयी.. अब उसके नितंब दूसरी सीट पर मचल रहे थे और कमर से उपर वाला हिस्सा हॅरी की गोद में सिमटा हुआ था.....
"आआ...नआईईईईईईई...." जैसे ही हॅरी ने पिंकी के होंतों को चूमते हुए अपना हाथ उसकी कमीज़ के अंदर डाला.. पिंकी उच्छल पड़ी थी....
हॅरी ने अपना हाथ वापस ना खींचते हुए उसके मखमली कमसिन पेट पर नाभि के उपर जमा दिया....,"क्या हुआ?"
"कमीज़ के अंदर नही प्लीज़... गुदगुदी हो रही है बहुत.. हे हे हे..." पिंकी का पेट हॅरी के हाथों का स्पर्श पाकर थिरक उठा था....
"ये गुदगुदी नही है जान... ये तो इशारा है कि तुम्हारा शरीर मेरे हाथ की छुअन अपने रोम रोम पर महसूस करने के लिए तड़प रहा है..." हॅरी कहकर अपने हाथ को और उपर चढ़ने लगा....
"नही... नही.. सच में गुदगुदी हो रही है... अया.. छ्चोड़ो ना.... प्लीज़... मैं फिर कभी तुम्हारे पास नही आउन्गि... छ्चोड़ो मुझे..." बुरी तरह से तड़प उठी पिंकी का विरोध तब तक ही था जब तक उसके एक उरोज पर हॅरी की हथेली ने कब्जा नही जमा लिया था.... जैसे ही ऐसा हुआ.. पिंकी अपनी जिंदगी की पहली मादक अंगड़ाई लेकर सिसकी और उचक कर हॅरी के होंटो पर टूट पड़ी... बावली सी होकर...
बारी बारी से दोनो उरोजो का प्रयप्त मर्दन करने के बाद हॅरी का हाथ वापस नीचे खिसका और अपने आप ही ढीली हो चुकी सलवार में घुसने की कोशिश करने लगा.... पिंकी ने एक बार फिर कसमसकर पल भर के लिए अपनी जांघें कसकर भींची; पर तुरंत ही उसको अपनी कमरस से भीग चुकी योनि पर तरस आ गया और दोनो घुटने उसने विपरीत दिशाओं में फैलाकर अपने नितंब उपर उचका दिए... वह अब भी हॅरी के होंटो से ही लिपटी हुई थी...
हॅरी ने हाथ थोड़ा और अंदर सरकया और जब बाहर निकाला तो उसकी अंगूठे के साथ वाली दोनो उंगलियाँ भीगी हुई थी...,"तुम.. कमाल की हो जान...!" हॅरी पिंकी के होंटो से अलग होता हुआ बोला...
"उन्न्ह... करो ना...!" आँखें बंद किए हुए ही पिंकी मस्ती में बड़बड़ाई और फिर से हॅरी के होंटो पर झपटने के लिए उच्छली....
"क्या करूँ जान...!" हॅरी उसके कान के पास अपने होन्ट लेकर आया और बोलकर उसके कान को हूल्का सा काट खाया....
कामग्नी की लपटें अब अपने प्रचंड रूप में पिंकी के सीने में दहकने लगी थी...,"कुच्छ भी करो... पर करो ना जान.. मैं पागल हो गयी हूँ... पता नही क्या हो.....!"
पिंकी ने अपनी बात पूरी भी नही की थी कि उनके सामने अचानक तीव्र प्रकाश के आ जाने से दोनो की आँखें छूंढिया गयी... पिंकी हड़बड़ाहट में सीधी बैठ कर अपने कपड़े ठीक करने लगी.....
उनके सामने एक गाड़ी आकर रुकी थी... दोनो इस'से पहले कुच्छ समझ पाते.. गाड़ी से उतरे चार लोगों में से एक ने हॅरी की तरफ आकर गाड़ी का शीशा खटखटाया...
"ये कौन हैं हॅरी?" पिंकी बुरी तरह घबरा गयी थी....
"चिंता मत करो... पोलीस वाले होंगे... मैं अभी इनको निपटा देता हूँ...!" हॅरी ने कहा और अपनी गाड़ी का शीशा नीचे किया....,"जी.. भाई साहब... क्या?"
हॅरी की बात पूरी होने से पहले ही उस आदमी ने रेवोल्वेर निकाल कर हॅरी की कनपटी से सटा दी....,"चल बाहर निकल.... गुरुकुल की लड़की के साथ मस्ती करता है सस्सला!"
"प्पर... पर आपको चाहिए क्या?" हॅरी के चेहरे पर तनाव उभर आया था....
"बाहर निकल नही तो भेजे में घुसेड दूँगा... तेरे साथ ये लड़की भी जाएगी फोकट में... चल बाहर आ..." आदमी ने दूसरा हाथ अंदर डालकर खिड़की को खोल दिया था... पिंकी बुरी तरह काँपते हुए अंदर ही अंदर सिसकने लगी थी....
"ओके ओके... आता हूँ यार... पर प्राब्लम क्या है तुम्हारी...." हॅरी जैसे ही गाड़ी से बाहर निकला... दो और रिवॉलवर्स उस पर तन गयी...,"चल.. पिछे बैठ सस्सले!"
सब कुच्छ इतनी जल्दी में हुआ कि इस'से पहले हॅरी कुच्छ और बोलता... बाहर खड़े आदमियों में से 2 हॅरी को लेकर पिछे बैठ चुके थे... और तीसरा आदमी ड्राइविंग सीट पर कब्जा जमा चुका था... उसने बाहर सिर निकाल कर चौथे को हिदायत दी...,"अपनी गाड़ी लेकर पिछे पिछे आ जाओ!"
"ज्जई.. !" चौथे आदमी ने कहा और सामने खड़ी गाड़ी की तरफ चला गया.....
"मुम्मय्ययययययययी........ !" पिंकी ने बुरी तरह रोना शुरू कर दिया था....
"आए... चुप कर चिड़िया.. नही तो तेरे छिड़े को उड़ा देंगे अभी के अभी...!" ड्राइविंग सीट पर बैठे आदमी ने कहा और गाड़ी एक अंजान मंज़िल की तरफ बढ़ा दी.....
"प्पपर.. पर भाई साहब आप लोग चाहते क्या हो..? हमने ऐसा क्या किया है जो....!"
"आए... बोला ना चुप करके बैठा रह.. जिंदगी प्यारी नही है क्या? वैसे भी तू हमारे काम का नही है.. अपनी चिड़िया को वापस लेकर आना चाहता है तो चुपचाप बैठा रह... सब समझ जाएगा... अब की बार बोला तो तेरी...!"
क्रमशः........................
गतान्क से आगे..................
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