RE: Desi Sex Kahani बाली उमर की प्यास
बाली उमर की प्यास पार्ट--32
गतान्क से आगे............
"हे भगवान! जाने कौनसी बिजली गिर गयी है...हमारे गाँव पर...बताओ! कोई किसी पर भरोसा करे भी तो कैसे करे? दोस्त ही दोस्त की जान लेने लगेगा तो भरोसा किस पर रहेगा....?" हम घर पहुँचे तो चाची माथे पर हाथ रखे चाचा से बतिया रही थी....
"क्या हुआ मम्मी?" मीनू ने उपर जाते ही पूचछा...चाची की बात हमने सीढ़ियों से ही सुन ली थी...
"हुआ क्या बेटी...? वो मनीषा बता रही थी... बेचारे तरुण को सोनू ने ही मारा था....?" चाची उदासी भरे लहजे में बोली....
"सीसी..सीसी..क्या?" हम तीनो के पैरों तले की ज़मीन खिसक गयी...," ये क्या कह रही हो मम्मी.... वो क्यूँ खून करेगा....?" मीनू सकपका सी गयी.....
"मैं क्या कह रही हूँ..? ये तो मनीषा बता रही है आज!" चाची ने जवाब दिया....
"पर.. चाची.. उसने पहले क्यूँ नही बताया...? और.. और उसको कैसे पता?" मैं अपने आपको बोलने से रोक ना पाई......
"उसको पहले डर लग रहा था.. डर वाली बात भी ठीक है उसकी.. खंख़्वाह गाँव में दुश्मनी कौन मोल लेगा.... अब जब सोनू रहा ही नही तो उसने बता दिया सब कुच्छ...!"
"और सोनू को..? उसको किसने मारा....?" मीनू पास बैठ कर बोली.. हम दोनो अभी भी खड़ी ही थी......
"अब उसका क्या पता बेचारी को....? उसको तो किसी ने बाहर ही मारा है...! बुरी करनी का फल मिल ही गया ना उसको भी.....!" चाची बुदबुदाई....
"पर मम्मी... मनीषा को कैसे पता चला... खोल के बताओ ना सारी बात....!" मीनू उत्सुकता से बोली.....
"अरे उसने सब सुनी थी उनकी बातें... आवाज़ भी पहचान ली थी दोनो की... सोनू तरुण से कुच्छ माँग रहा था... उसने इनकार कर दिया तो सोनू ने चाकू घोप दिए बेचारे के पेट में.... मनीषा ने चीख भी सुनी थी... और बोलो.. पोलीस हमारे पिछे पड़ी है.. हमारी बेटी पर शक कर रही है......!" चाची मानव को कोसते हुए बोली....
"शक कहाँ कर रहे हैं मम्मी... वो तो बस मदद ले रहे हैं.. थोड़ी सी...!" मीनू खिसिया कर बोली....
"जा अपना काम कर... तुझे ज़्यादा पता है क्या इन पोलीस वालों का... ये ऐसे ही बात करते हैं.. मान में कुच्छ और बाहर कुच्छ.. मदद लेनी होती तो मनीषा से ना लेते.. दोबारा उसके पास गया 'वो' कभी... यहाँ आ जाता है भाग कर.. लोग भी जाने क्या क्या बातें करने लगे होंगे.....!" चाची चिड़ कर बोली....
"पर मम्मी... मनीषा उसके कॉलेज लाइफ के बारे में थोड़े ही बता सकती है... वो तो..." मीनू ने मानव का बचाव करने की कोशिश की....
"अब तो पता लग गया ना...? अब आने दो उस मुए को यहाँ... भला ये भी कोई तरीका हुआ उसका... आता है और हमें भगा देता है... तेरे पापा को तो आज ही पता चला... लड़की से पूचहताच्छ के लिए लेडी पोलीस होनी ज़रूरी होती है.....!" चाची का चेहरा ख़ूँख़ार हो गया.....
"छ्चोड़ो ना मम्मी... मुझ पर भी भरोसा नही है क्या...? वो सिर्फ़ काम की बातें पूछ्ते हैं....... अंजलि भी तो पास रहती है ना.... पूच्छ लो..!" मीनू नाराज़ सी होकर बोली...
"हां चाची.. सिर्फ़ काम की बातें ही करते हैं..." मैने चाची के बिना पूच्छे ही मीनू की हां में हां मिला दी.....
"चलो छ्चोड़ो.... और हाँ... मैने तेरी मम्मी को बता दिया था कि तू और पिंकी मीनू के साथ शहर गये हो... अपने पापा को मत बताना.. तेरी मम्मी मना कर रही थी......" चाची ने कहा तो मैं हड़बड़ा सी गयी...,"हां.. ववो.. चाची..."
"पिंकी.. ज़रा दो कप चाय तो बना दे बेटी.....!" चाचा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा....
मीनू किसी को बिना कुच्छ बोले नीचे भाग गयी... मुझे भी तरुण और सोनू के बारे में जान'ने की दिलचस्पी थी.... मैं भी तुरंत उसके पिछे पिछे हो ली....
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"ये मनीषा झूठ तो नही बोल रही दीदी?" मेरे मंन में उथल पुथल सी मची हुई थी.....
"क्यूँ? उसको क्या मिलेगा झूठ बोल कर.... पर फिर सोनू को किसने मारा यार...?" मीनू मेरे बात पर प्रतिक्रिया देने के बाद बोली....,"और.. सोनू क्या माँग रहा होगा उस'से... जिसके बदले उसने खून कर दिया!"
"क्या पता.. आपके लेटर माँग रहा हो...!" मैने आइडिया लगाया...
"पर 'वो तो उसकी जेब में ही मिल गये ना... ऐसा करता तो वो उनको लेकर नही जाता क्या?" मीनू बोली....
"वो... तरुण का फोन...? उसमे भी आपके फोटो थे ना...? और ववो.. स्कूल वाली वीडियो भी..."
"हाँ ...ये हो सकता है...! पर तरुण का फोन तो उसके पास है जो अब हमें फोन कर रहा है....!" मीनू झल्ला कर बोली....
"हो सकता है उसीने फोने छ्चीन कर खून कर दिया हो उसका......" मैं असमन्झस से बोली...,"कुच्छ समझ नही आ रहा दीदी.. सोनू का फोन ढोलू के पास... तरुण का किसी और के पास..."
"अब पता लग जाएगा... मानव ढोलू से सारी बातें उगलवा लेगा.... पता नही क्या होने वाला है .. हे भगवान!" मीनू हाथ जोड़ कर बोली.....
"फोन कर लो ना दीदी.... अभी....!" मैने मीनू से कहा...
"नही.. वो अपने आप ही कर देगा.. उसने शाम को फोन करने को बोला था ना... ऐसे बार बार अच्च्छा नही लगता....!" मीनू शायद मेरे सामने उस'से बात नही करना चाहती थी......
"उसको ये तो बता दो... मनीषा वाली बात!" मैने ज़ोर देकर कहा...
"बता दूँगी थोड़ी देर में....!" मीनू ने एक बार फिर मुझे टालने की कोशिश की....
"बता दो ना दीदी.. अभी...!"
"चल ठीक है.. जीने वाला दरवाजा बंद कर दे....!" मीनू ने कहकर फोन निकाल लिया...
मेरे दरवाजा बंद करके आते ही उसने मानव को फोन लगा दिया....
"हां मीनू!" मानव की प्यार भरी आवाज़ हमारे कानो में गूँजी.. पर वो थोड़ा बिज़ी लग रहा था....
"ववो.. एक बात बतानी थी...!" मीनू ने हिचकते हुए कहा... मुझे लग रहा था कि ये हिचक मेरी वजह से है....
"बोलो ना!" उसने फिर कहा... अब दूसरी तरफ से आ रही आवाज़ें कम सुनाई देने लगी थी....
"वो.. मनीषा कह रही है कि तरुण को सोनू ने मारा था...."
"क्क्याअ?" मानव भी चौंक पड़ा...,"कौन मनीषा....?"
"वो ही जिसने चौपाल में आवाज़ें सुनी थी....!" मीनू ने याद दिलाया....
"ओह्ह हां... पर उसने पहले क्यूँ नही कहा ये सब....!" मानव कुच्छ सोचने के बाद बोला....
"पता नही... वो तो कह रही है कि पहले उसने 'सोनू' के डर से नही बोला कुच्छ... बाकी आप पूच्छ लेना... आपको कुच्छ पता लगा...?" मीनू बोली....
"क्या? किस बारे में...?" मानव ने यूँही शांत लहजे में पूचछा.....
"ढोलू ने कुच्छ बताया नही क्या?" मीनू ने मेरी और देख कर मुँह बनाया...
"ओह्ह.. ना! इसने तो और उलझा दी हैं बातें...!" मानव बोला....
"क्या मतलब?" मेरी भी कुच्छ समझ नही आया था....
"मतलब वही.. धाक के तीन पात.. कुच्छ खास फयडा नही हुआ... इसको ज़्यादा कुच्छ पता नही है....!"
"पर सोनू का फोन भी तो इसीके पास है ना... और तरुण वाले फोन पर भी इसकी बात होती हैं... फिर ये भाग क्यूँ रहा था पोलीस से....?" मीनू ने एक ही साँस में जाने कितनी बातें बोल दी...
"हां.. वो सब तो बता दिया... पर केस तो अब भी वहीं का वहीं है... 'उस' आदमी के बारे में कुच्छ खास पता नही चल पाया...." मानव ने लंबी साँस छ्चोड़ते हुए कहा....
"पर.. क्या पता ये झूठ बोल रहा हो....?" मीनू ने आशंका जताई....
"ना! मुझे नही लगता... पेशेवर अपराधी अदालत में जाकर झूठ बोलते हैं.. पोलीस के सामने नही.. इनको पता होता है कि यहाँ तो सब कुच्छ बताना ही पड़ेगा.. चाहे शुरू में बता दो.... या हड्डियाँ सीधी होने के बाद... बाकी रात को एक घंटी और लूँगा इसकी.. देखो कुच्छ और निकल कर आ जाए तो.... अभी तो मैं गाँव आ रहा हूँ.. मनीषा से मिलने... चाय पीने आ जाउ क्या?" मानव कहने के बाद हँसने लगा....
"कल आ जाना.. मम्मी पापा कहीं जा रहे हैं कल... मम्मी बहुत गुस्सा हैं आपसे.. जिस तरीके से आप आते हो!"
"तो ठीक है.. अब की बार सेहरा बाँध कर आउन्गा.. तब तो गुस्सा नही करेंगी ना....!" मानव ने हाज़िरजवाबी का परिचय दिया.....
मीनू के मुँह से एक बोल भी ना निकला.... पर मेरे मंन में एक सवाल रह रह कर उमड़ रहा था...,"सर.. ववो.. तो क्या आप ढोलू को छ्चोड़ दोगे..?"
"भाई कुच्छ नही मिला तो छ्चोड़ना तो पड़ेगा ही... वैसे अगर तुम्हे निज़ी दुश्मनी निकालनी हो तो 7/11 में अंदर करवा सकता हूँ हफ़्ता भर....!" मानव बोला....
"नही.. पर वो गाँव में आकर मुझसे......."
मेरे पूरी बात बोलने से पहले ही मानव समझ गया...," ये तुमने अब सोचा है... ये तो तुम्हे बहुत पहले सोच लेना चाहिए था....."
मैं एकदम से डर गयी..,"वो तो मुझे छ्चोड़ेगा नही.. अगर वापस आ गया तो.. मैने उसको पकड़वाया है....!" मैं घबराकर बोली....
"कौन कहता है?" मानव अजीब से ढंग से बोला..,"तुमने कैसे पकड़वाया है उसको... ये तो पोलीस का कमाल था...."
"नही.. मुझे सच में बहुत डर लग रहा है..." मैं उसकी बात को नज़र अंदाज करती हुई बोली.....
"अच्च्छा... तुम क्या मुझे आइवेइं ही समझती हो...? मैने ये बात तभी सोच ली थी जब तुमने कहा था कि तुम ढोलू को पकड़वा सकती हो... चिंता मत करो.. मैने सब सेट कर रखा है पहले से ही.." मानव मुस्कुराया....
"कैसे?" मुझे चैन नही आया था....
"ये लो! कह दिया ना कोई दिक्कत नही होगी... ढोलू यही समझता है कि तुम्हे नही पता था कि ऑटोडराइवर एक पोलीस वाला है...."
"प्लीज़ बता दो ना.. ऐसे मुझे चैन नही आएगा.." मैने याचना सी की....
"कल पेपर के बाद पोलीस संदीप को उठा लाई थी.. पूचहताच्छ के बहाने... ! अभी थोड़ी देर पहले छ्चोड़ा है उसको.... ढोलू का फोन सरविलेन्स पर तो लगा ही हुआ था... तुम्हारी और ढोलू की जो बातें रात को हुई थी.. उनमें से कुच्छ मैने संदीप को सुनवा दी.... और उस'से पूचछा कि ये लड़की कौन है! उसके तुम्हारा नाम बताने के बाद मैने उसके सामने ही ऐसे ही किसी को फोन करके तुम्हारा नाम पता देकर तुम पर 'कड़ी' नज़र रखने को कह दिया था... और बस स्टॅंड के बाहर एक 'ऑटो' का प्रबंध करने की बात भी कही थी.... आज मैने उन्न दोनो के सामने भी इस बात को उठाया था.. बाकी बात संदीप ने खुद उसको समझा दी होंगी....
अब ढोलू जिंदगी भर यही समझेगा कि मेरे बिच्छाए जाल में फंसकर तुम 'मेरी' ऑटो में बैठ गयी होगी... इसी को कहते हैं कि हींग लगे ना फिटकरी.. और रंग चोखा.. समझी!" कहकर मानव हँसने लगा तो मैं भी उसके साथ हंस पड़ी...
अचानक मुझे कुच्छ याद आया...,"तो क्या आपने ढोलू के साथ मेरी बात...!" मेरा चेहरा लाल हो गया...
"सुनी हैं.." मानव हंसता रहा...," तुम बहुत शातिर हो!"
क्रमशः.....................
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