RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
और ये कहकर मैने सारी बात सिलसिलेवार कह दी, दोनो बड़ी हैरत से मेरी बात सुन रहे थे.फिर ताबू बोल पड़ी
ताबू:"देखो ये सब पर्सनल चाय्स है, मैं शौकत और इनायत के अलावा किसी को अपना जिस्म नही दे सकती"
मैं:"ठीक कहा, ये सब पर्सनल चाय्स ही है, कोई तुमको फोर्स नहीं कर रहा,इट ईज़ ऑल अबाउट गिव आंड टेक"
शौकर:"हां आरा तुमने ठीक कहा, कोई किसी कोई फोर्स नहीं कर रहा"
मैं:"ताबू, तुम बहोत डिफेन्सिव हो जाती हो, ये सब सुनकर"
ताबू:"नहीं आरा, मुझे ये सब बहोत ऑड लगता है, मैने बचपन मे ही अपने डॅड को खो दिया और मैं अपने ससुर
से अपने डॅड का प्यार पाना चाहती हूँ, किसी लवर का नहीं, आगे सब तुम्हारी मर्ज़ी है, लेकिन मुझे इसमे
मत घसिटो"
मैं:"ऑफ-कोर्स ताबू, कोई तुमसे ज़बरदस्ती नही करेगा."
शौकत:"मुझे लगता है कि ताबू को थोड़ा स्पेस और टाइम देना होगा, अच्छा तुम ये बताओ कि तुम इतनी सुबह क्या यही
कहने आई थी"
मैं:"हां मेरी जान, साना और तुम्हारी मा, तुम्हारे लिए बेकरार हैं"
शौकत:"क्या वाकई"
मैं:"हां बिल्कुल"
शौकत:"अभी तो मुझे ऑफीस जाना है, कल सनडे है तो फिर आज रात को देखते हैं"
मैं:"तुम कम्से कम उनसे कुछ कह तो आओ कि तुम राज़ी हो या नहीं"
शौकत:"ठीक है मैं कह के आता हूँ"
शौकत को ये नहीं मालूम था कि सब नंगे ही बैठे हैं
शौकत अपनी मा के कमरे की तरफ बढ़ा तो देखा ही साना बिस्तर के सहारे अपने दोनो हाथो के सहारे खड़ी है और
ससुरजी पीछे से उसकी चूत मारने मे बिज़ी हैं और दूसरी तरफ इनायत ने अपनी मा को उसी बिस्तर पर लिटा रखा है
और इनकी दोनो टाँगो के बीच ज़मीन पर ही उनकी टांगे उठाए उनको पेल रहा है. ये नज़ारा देख कर शौकत को जोश
आ गया और वो सीधा इनायत के पास जाकर उसे कंधे पर हाथ रख कर उसका ध्यान अपनी तरफ खेचने लगे.
इनायत ने शौकत को देखा तो उसको आगे कर दिया लेकिन शौकत को देख कर सासू जी ने अपनी चूत अपने हाथो से
ढक ली.
शौकत:" मुझे भी मौका दो"
ससुरजी थोड़ा रुक से गये लेकिन फिर इनायत बोल पड़े
इनायत:"हां अम्मी,थोड़ा इनको भी प्यार दो ना"
सासू जी ने कुछ कहा तो नहीं लेकिन अपने हाथ अपनी चूत से हटा लिए और फिर शौकत ने अपने पाजामे से अपना
लॉडा निकाल कर सीधा अपनी मा की बुर मे पेल दिया और उनके उपर झूल कर उनके लिप्स कर किस करने लगा
, इनायत ताबू के कमरे मे नंगे चल पड़े और मैं पास पड़ी कुर्सी पर बैठ कर ये सब नज़ारा देखने लगी. करीब
दस मिनिट्स बाद देखा तो इनायत ताबू को गोद मे उसके पीठ से अपने पैर को झकड़े थी और इनायत हवा मे ही ताबू को
पेलता हुआ इस कमरे मे ले आया, ताबू इस वक़्त सेक्स के नशे मे थी, इसलिए वो कुछ कहना नहीं चाहती थी,
इनायत ने ताबू को साना और सासू जी के बीच मे पीठ के बल लिटा दिया और उनकी टांगे हवा मे उठा कर उसको शौकत की तरहा चोदने लगा. साना, मेरी सास और ससुरजी किसी भूके जानवर की तरहा ताबू के नंगे जिस्म को देख रहे थे.
कुछ देर बाद ताबू झाड़ गयी और उठ कर इनायत को स्मूच देने लगी. मेरे ससुरजी अब पूरे जोश मे थे और वो खुद जाकर
इनायत को हटा कर खुद ताबू के होंटो को चूसने लगे. ताबू इससे पहले कि कुछ कह पाती, ताबू को वापस पीठ के बल
लिटा कर जल्दी से ससुरजी ने अपने लॉडा उसकी चूत मे पेल दिया और ज़ोरदार झटके लगाने लगे. ताबू ने अब इनकार नही
किया और वो भी उनका साथ देने लगी और बोलने लगी "हां अब्बू और ज़ोर से, और ज़ोर से, मुझे साना की तरहा ही अपनी बेटी की तरहा पेलिए"
इस वक़्त ताबू और ससूजी का जोश देखते ही बनता था और ये खेल एक घंटे तक इसी तरहा चलता रहा और फिर वो दोनो
अलग हुए.
ये सुबह अजीब सी थी, आज के बाद हम सब घर वाले ज़्यादा तर नंगे ही घूमते, जो जिस को चाहता वो उसको प्यार करता
मैं ज़्यादतर शौकत के साथ ही सोती और ताबू ज़्यादातर ससुरजी के साथ, साना और उसकी मा अब इनायत के रूम मे ही सोते
. हमको ये नहीं मालूम था कि ये कहानी आगे एक और मज़ेदार मोड़ लेने वाली है, तो दोस्तो आप भी उस वक़्त का इंतेज़ार कीजिए
समाप्त
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