मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:17 PM,
#75
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
इधर गुलाबी और किशन को नाटक करने मे बहुत मज़ा आ रहा था. गुलाबी ने किशन के पैंट को खोलकर उतार दिया था. किशन ने कोई चड्डी नही पहनी थी और उसका 7 इंच का किशोर लन्ड तना हुआ था.

गुलाबी उसके ऊपर चढ़ गयी. अपने घाघरे को कमर तक उठाकर उसने अपनी चूत किशन के मुंह पर दबा दी. फिर उसके लन्ड को मुंह मे लेकर मज़े से चूसने लगी. उसकी नंगी चूचियां किशन के पेट पर दब रही थी. नीचे से किशन उसकी चूत को चाटने लगा तो गुलाबी जोर जोर से "उम्म!! उम्म!! उम्म!!" की आवाज़ करने लगी.

गुलाबी की आवाज़ को सुनकर अमोल बोला, "गुलाबी यह कैसी आवाज़ें निकाल रही है, जीजाजी?"
"साले साहब, इस मामले मे मेरा वर्षों का अनुभव कहता है वह किसी के साथ मुंह काला कर रही है." मेरे वह बोले, "पर यह उसके लिये कोई नई बात नही है."

"जीजाजी, रामु कुछ कहता नही है?" अमोल ने हैरान होकर पूछा.
"वह क्या कहेगा?" मेरे वह बोले, "उसकी जोरु गाँव भर मे सबसे मुंह काला करवाये फिरे तो वह कर भी क्या सकता है?"
"तो क्या वह गुलाबी को संतुष्ट नही कर पाता?" अमोल ने पूछा.
"ऐसी बात नही है." मेरे वह बोले, "रामु एक जवान पट्ठा है, पर गुलाबी जैसी छिनाल की प्यास कभी एक मर्द से नही बुझती. इसलिये रामु दुखी होने की बजाय गुलाबी के कुकर्मो को देखकर मज़े लेता है."
"जीजाजी, गुलाबी किसी और के साथ मुंह काला करे तो रामु को मज़ा कैसे आ सकता है?" अमोल ने और हैरान होकर पूछा.

मेरे वह हंसे और बोले, "अमोल, तुम ने कभी एक मर्द-औरत को चुदाई करते देखा है?"
अमोल थोड़ा हिचकिचा कर बोला, "फ़िल्म मे देखा है, जीजाजी."
"मज़ा आता है देखकर?"

अमोल कुछ नही बोला तो मेरे वह बोले, "अमोल, हम दोनो ही वयस्क ज़िम्मेदार मर्द हैं. दुनियादारी समझते हैं. यौन-सुख के विषय मे संकोच करने की अब तुम्हारी उम्र नही है."
"मज़ा आता है, जीजाजी." अमोल ने जवाब दिया.
"जब फ़िल्म देखकर इतना मज़ा आता है, तो सोचो अपनी आखों से एक औरत को एक मर्द से चुदवाते देखोगे तो कितना मज़ा आयेगा."
"बहुत मज़ा आयेगा, जीजाजी." अमोल उत्साहित होकर बोला.
"रामु को भी आता है." मेरे वह बोले, "खासकर जब अपनी पत्नी किसी और मर्द से चुदवाये तो देखकर बहुत ही उत्तेजना होती है."

अमोल चुप रहा तो मेरे वह बोले, "अमोल, तुम देखना चाहोगे एक मर्द-औरत की चुदाई?"
"जी, जीजाजी." अमोल ने कहा.
"तो फिर चलो, देखते हैं गुलाबी किससे चुदवा रही है." मेरे वह बोले.

तभी झाड़ी के पीछे से गुलाबी की मस्ती भरी आवाज़ आयी, "हाय किसन भैया! बहुत मस्त चाट रहे हैं आप! आह!! हम तो झड़ जायेंगे!"

सुनकर मेरे वह बोले, "अच्छा तो किशन यहाँ गुलाबी को लेकर जवानी का मज़ा लूट रहा है."

अमोल ने हैरान होकर कहा, "गुलाबी किशन से भी करवाती है?"
"हूं. बहुत दिनो से वह किशन से चुदवा रही है."
"आप अपने भाई को कुछ नही कहते?" अमोल ने पूछा.
"इसमे कहने का क्या है? जवान लड़का है. लड़की चूत देगी तो मारेगा ही." मेरे वह बोले, "ऊपर से मैं किस मुंह से उसे कुछ कहूं?"
"क्यों?"
"गुलाबी की यह हालत मैने ही तो बनायी है."

"आपने?" अमोल और हैरान हो गया.
"हाँ. गुलाबी पहले एक अच्छी भली पतिव्रता लड़की थी." मेरे वह बोले, "एक दिन मैने उसका बलात्कार किया और अपने लन्ड का ऐसा स्वाद चखाया कि अब वह अपनी चूत मे नये नये लन्ड न ले तो उसे चैन नही आता है."
"आपने उसका बलात्कार किया था?" अमोल ने हैरान होकर पूछा.
"साले साहब, अपने घर मे ऐसी कसक माल गांड मटकाते घूमती रहेगी तो कोई भी जवान मर्द उसका बलात्कार कर बैठेगा!" मेरे वह बोले.
"यह आप बिलकुल ठीक कहते हैं, जीजाजी!" अमोल ने सम्मती जतायी.
"लगता है इस मामले मे तुम्हे भी बहुत अनुभव है!" मेरे वह हंसकर बोले, "चलो देखते हैं गुलाबी क्या कर रही है."

अमोल और तुम्हारे भैया झाड़ी की ओट मे आये और झांक कर गुलाबी और किसन को देखने लगे. दोनो दबी आवाज़ मे बातें करने लगे, पर मैं ऐसी जगह पर छुपी थी कि मुझे उनकी बातें साफ़ सुनाई दे रही थी.

गुलाबी अब भी किशन पर चढ़ी हुई थी. उसका घाघरा कमर तक चढ़ा हुआ था और उसने अपनी चूत किशन के मुंह पर दबा रखी थी. किशन उसकी सफ़ा की हुई चूत को मज़े से चाट रहा था. गुलाबी भी किशन के लन्ड को मुंह मे लेकर मज़े से चूस रही थी और अपनी नंगी गांड को हिला हिलाकर अपनी चूत किशन के मुंह पर घिस रही थी. उसकी "उम्म!! उम्म!! ओह!! आह!!" की आवाज़ खेत के सन्नाटे मे गूंज रही थी.

उसे देखकर अमोल के मुंह से निकला, "हे भगवान!"

"कितना कामुक दृश्य है, है ना?" तुम्हारे भैया बोले.
"हाँ, जीजाजी." अमोल ने जवाब दिया, "बहुत ही अश्लील लग रहे हैं दोनो. और बहुत ही उत्तेजक!"
"देखकर तुम्हारा लन्ड ठनका कि नही?" मेरे वह बोले, "मेरा लन्ड तो पैंट फाड़कर बाहर आने को है."
"हाँ, जीजाजी." मेरा भाई बोला, "मेरी भी यही हालत है."
"तो अपना लन्ड बाहर निकाल लो, आराम मिलेगा."
"आपके सामने?"
"अरे संकोच छोड़ो, यार!" मेरे वह बोले, "संकोच से चुदाई का मज़ा खराब होता है. अपना लन्ड हाथ मे पकड़कर हिलाओ और गुलाबी की चुदाई का मज़ा लो. लो, मैं भी अपना निकाल लेता हूँ."

मुझे दिखाई तो नही दिया, पर शायद दोनो ने अपना अपना लन्ड पैंट से निकाल लिया और मुट्ठी मे लेकर हिलाने लगे. मुझे अपने भाई के लन्ड को देखने की बहुत उत्सुकता होने लगी.

उधर गुलाबी को बहुत ही चुदास चढ़ गयी थी. वह उठ बैठी और बोली, "किसन भैया, अब हमसे और रहा नही जा रहा! अब हमको चूत मे आपका लौड़ा लेना है."

फिर वह खड़ी हुई और उसने अपना घाघरा उतार दिया और पूरी तरह नंगी हो गयी. उसके पाँव मे पायल, हाथ मे कांच की चूड़ियाँ, गले मे मंगलसूत्र, और माथे पर सिंदूर था. बाहर खुले मे इस तरह नंगी खड़ी वह बहुत ही कामुक लग रही थी.

"जीजाजी, यह गुलाबी तो बहुत ही सुन्दर चीज़ है!" अमोल बोला, "उफ़्फ़, क्या क़यामत लग रही है नंगी होकर!"
"गुलाबी चोदने के लिये भी बहुत उमदा माल है, साले साहब!" मेरे वह बोले, "मेरा तो उसे चोदकर जी नही भरता. लगभग रोज़ ही उसे चोदता हूँ."

"जीजाजी!" अमोल चौंक कर बोला, "यह आप क्या कह रहे हैं? मेरी दीदी के रहते आप गुलाबी के साथ..."

"भाई, बुरा मत मानना," मेरे वह बोले, "तुम्हारी दीदी भी बहुत ही मस्त चीज़ है और चुदवाने की बहुत शौकीन है. मैं उसे बहुत प्यार करता हूँ. पर एक आदमी का मन एक औरत को चोदकर नही भरता. तुम शादी करोगे तो तुम भी समझोगे. पति-पत्नी जल्दी ही आपस की चुदाई से ऊब जाते हैं. फिर आदमी मौका मिलते ही दूसरी औरतों को चोदने लगता है. और औरत भी मौका मिलते ही दूसरे मर्दों से चुदवाने लगती है."
"पर मेरी दीदी..."
"अमोल, तुम्हारी दीदी भी कोई सती-सावित्री नही है." मेरे वह बोले, "वह मेरे पीछे क्या किये फिरती है मुझे पता है, पर मैं नज़र अंदाज़ करता हूँ. और वह भी मेरी ऐयाशियों को नज़र अंदाज़ करती है. यही है एक सुखी दामपत्य का राज़. मज़े लो और मज़े लेने दो."

"मतलब, दीदी को पता है आपके गुलाबी के साथ संबंध हैं?"
"पता भी है और उसने कई बार गुलाबी और मेरी चुदाई को देखा भी है." मेरे वह बोले, "तुम्हारी दीदी एक खुले विचारों को औरत है. आम औरतों की तरह लड़ाई-झगड़ा करने की बजाय वह इसका आनंद उठाती है."
"और आपने मेरी दीदी को भी देखा है..." अमोल ने कहा.
"कई बार देखा है. बहुत मज़ा आता है उसकी चुदाई देखकर." मेरे वह बोले.

सुनकर अमोल खामोश हो गया. मुझे लगा उसे मेरे बारे मे यह सब सुनकर सदमा लग गया है. 

"क्या हुआ, साले साहब?" मेरे वह बोले, "अपनी दीदी के बारे मे सुनकर सदमा लग गया क्या?"
"नही, जीजाजी...मेरा मतलब हाँ..."

"अमोल, तुम्हारी दीदी तुम्हारी बहन ही नही, एक औरत भी है. और एक बहुत ही चुदक्कड़ औरत है." मेरे वह बोले, "अपनी चूत और गांड मरा मराकर थकती नही है. तुम ने तो गौर किया ही होगा कितने सुन्दर, उठी उठी चूचियां हैं उसकी. और कैसे अपनी सुडौल गांड को मटका कर चलती है. जो भी मर्द देखता है उसका लन्ड खड़ा हो जाता है. तुम्हारा भी होता होगा."
"जीजाजी, वह तो मेरी बहन लगती है..."
"अरे छोड़ो यार, यह मत बोलो तुम ने कभी अपनी दीदी को गलत नज़रों से नही देखा है." मेरे वह बोले, "सब मर्द देखते हैं और अपनी बहन को चोदने की कल्पना करके अकेले मे मुठ मारते हैं."

अमोल भी शायद ऐसा ही करता था, इसलिये वह चुप रहा. मेरा भाई मेरी जवानी को ताकता रहता है और मुझे चोदने की कल्पना करता है सोचकर मैं रोमांच से भर उठी.

उधर किशन ने अपनी कमीज उतार दी थी और पूरा नंगा हो गया था. गुलाबी उसके पास बैठी और उसे अपने घाघरे पर लिटाकर उस पर चढ़ गयी. अपने पैरों को किशन के दोनो तरफ़ रखकर वह अपनी चूत किशन के खड़े लन्ड पर रगड़ने लगी. किशन के खड़े लन्ड का सुपाड़ा गुलाबी की गीली और चमकती चूत के फांक मे ऊपर-नीचे होने लगा.

किशन ने गुलाबी की लटकती मांसल चूचियों को अपनी मुट्ठी मे ले लिया और दबाने लगा और उसके नर्म होठों को पीने लगा. उसकी सांसों को सूंघकर बोला, "गुलाबी, तुने शराब पी रखी है?"
"बस थोड़ी सी पीये हैं, किसन भैया!" गुलाबी मचलकर बोल, "सराब पीये बिना हमको चुदाई का पूरा मज़ा नही आता."
"साली बेवड़ी!" किशन बोला और गुलाबी को चूमने लगा.

सुनकर मेरा भाई बोला, "जीजाजी! यह गुलाबी शराब भी पीती है?"
"यह पूछो कि यह क्या नही करती!" मेरे वह बोले, "इसे चरस-गांजा मिल जाये तो यह वह भी पीने लगेगी. बिलकुल ही बर्बाद हो गयी है."
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