मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:10 PM,
#45
RE: मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
मैने अपनी साड़ी खोलकर तार पर लटका दी. फिर जल्दी से अपनी पेटीकोट भी उतार दी और पूरी तरह नंगी हो गयी. मेरा गोरा बदन धूप मे चमक रहा था. मैं अपने नंगी चूचियों को दोनो हाथों से मसलने लगी. देखकर किशन ने भी अपना कुर्ता और बनियान उतार दिया और नंगा हो गया. जवानी के हवस मे हम दोनो इतने पागल हो गये थे कि खुले आसमान के नीचे पूरे नंगे होकर चुदाई करना चाह रहे थे.

मैं छत की रेलिंग पर हाथ रखकर झुक गयी और अपने चूतड़ किशन की तरफ़ कर दिये.

किशन मेरे चूतड़ों के पीछे आ खड़ा हुआ और उसने अपना खड़ा लन्ड मेरी चूत पर रखा. मेरी चूत तो पहले से ही चू रही थी. उसने सुपाड़े से मेरी चूत के होठों को अलग किया और फिर कमर से धक्का देकर सुपाड़े को मेरी चूत मे घुसा दिया. मैने मस्ती की सित्कारी भरी और कहा, "आह!! देवरजी, बस अब पूरा पेल दो जल्दी से!"

किशन ने मेरी कमर को पकड़ा और एक जोर का धक्का देकर पूरा लन्ड मेरी चूत मे पेल दिया. गरम चूत मे मोटे लन्ड के सुखद अनुभूति से हम दोनो ही गनगना उठे.

मेरी कमर को पकड़कर किशन पहले धीरे, फिर थोड़ी रफ़्तार से मुझे कुतिया बनाके चोदने लगा. आज वह अपने पे बहुत संयम बनाये हुए था. उसकी ठाप की ताल पर मेरी चूचियां हिलने लगी. बीच-बीच मे वह मेरी चूचियों को मसल भी देता था.

हाय, वीणा! क्या मज़ा मिल रहा था छत पर चुदवाने मे!

किशन "ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ! ऊंघ!" करके लन्ड पेल रहा था और मैं "आह! आह! आह! आह!" कर के जवाब दे रही थी.

हम करीब 5-10 मिनट ऐसे ही चुदाई करते रहे. उसमे मैं एक बार झड़ भी गई.

मैने किशन को कहा, "देवरजी, मेरे हाथ थक गये हैं! यह गुलाबी जाने कहाँ मर गयी है! दरी लाते लाते शायद किसी से चुदवाने लग गयी है."
"भाभी, बस और 5 मिनट ही लगेंगे!" किशन हांफ़ते हुए बोला, "मेरा बस होने ही वाला है."
"देवरजी! औरत की प्यास बुझने से पहले ही झड़ जाओगे? कैसे मर्द हो?" मैने कहा, "तुम्हारे भैया मुझे तब तक पेलते रहते हैं जब तक मैं झड़ झड़ के चूर नही हो जाती हूँ!"

किशन चुप हो गया और अपने सांसों को काबू मे करके मुझे पेलता रहा.

मैने किशन अपना लौड़ा मेरी चूत से निकालने को कहा. "देवरजी, तुम्हे आज एक नये तरीके से चुदाई सिखाती हूँ. तुम सीधे खड़े हो जाओ."

किशन सीधे खड़ा हो गया तो मैने उसके गले मे अपनी बाहें डाली और कहा, "मेरी कमर को पकड़ो और मुझे गोद मे ले लो!"
"क्यों, भाभी?" उसने पूछा.
"अरे करो ना! हम खड़े-खड़े चुदाई करेंगे." मैने कहा, "बहुत मज़ा आयेगा तुम्हे."

किशन ने मुझे पकड़ा तो मैने उसके गले का सहारा लेकर अपने पैरों से उसके कमर को जकड़ लिया. किशन ने दोनो हाथों से मुझे अपने सीने से चिपका लिया.

"देवरजी, अब एक हाथ से अपना लन्ड पकड़कर मेरी चूत मे सेट करो." मैने कहा.

किशन ने वैसा ही किया. जब लन्ड का सुपाड़ा मेरी चूत मे घुस गया मैने ऊपर से दबाव डालकर पूरा लन्ड अपनी चूत मे घुसा लिया.

वीणा, किशन तुम्हारे बलराम भैया की तरह बलवान नही है, इसलिये वह थोड़ा लड़खड़ा रहा था. पर मैं उसके गले का सहारा लेकर अपनी कमर ऊपर-नीचे करके चुदने लगी. मेरी चूचियां उसके सीने पर एकदम पिचक गयी थी और उसके किशोर सीने से रगड़ खा रही थी.

"हाय, देवरजी! क्या मज़ा आ रहा है खड़े-खड़े चुदवाने मे!" मैने कहा, "तुम्हे आ रहा है मज़ा?"
"ऊंघ!" किशन ने बस इतना ही जवाब दिया.
मैने हंसकर कहा, "देवरजी, सुबह शाम दो बार मुझे अपने लौड़े पर लेकर ऐसे चोदोगे, तो तुम्हे कसरत करने की ज़रूरत ही नही पड़ेगी."
"हाँ, भाभी!" किशन ने अपने फूलती सांसों को काबू मे करते हुए कहा.

मैं किशन की गोद मे चढ़े दो ही मिनट चुदी थी कि पीछे से गुलाबी की आवाज़ आई, "हाय भाभी! ई का कर रही हैं आप!"

गुलाबी की आवाज़ सुनते ही किशन ने मुझे छोड़ दिया और मैं ज़मीन पर आ गिरी. उसका लौड़ा मेरी चूत से निकल गया और बहुत जल्दी ढीला हो गया. वह शरमा के अपने हाथों से अपना लौड़ा ढकने लगा.

"कलमुही, कहाँ चुदाने गयी थी?" मैने गुलाबी को गुस्से से कहा. "कितनी देर लगती है तुझे एक दरी लाने मे?"

गुलाबी ने हम देवर-भाभी के नंगे बदन पर नज़र डाली और मुस्कुराकर बोली, "भाभी, पहिले तो हमे दरी मिल ही नही रही थी. फिर हम दरी लेकर आ रहे थे तो मेरा मरद पूछने लगा कि हम दरी लेके कहाँ जा रहे हैं. उसे समझाने मे ही इतना समय लग गया!"

उसने छत के दरवाज़े की तरफ़ हल्का सा इशारा किया, जिसका मैं यह मतलब समझी कि रामु वहाँ से छुपकर हमे देख रहा है.

किशन अभी भी बेचैन सा खड़ा था. गुलाबी उसके नंगे बदन को भूखी आंखों से देख रही थी.

"गुलाबी तु दरी बिछा." मैने कहा, "आधी चुदाई मे आके टोक दिया तुने. मेरी चूत लौड़े के लिये बुरी तरह कुलबुला रही है."

गुलाबी ज़मीन पर दरी बिछाने लगी और बोली, "भाभी, किसन भैया तो बहुत सरमा रहे हैं हमसे!"
"मैं अभी इसकी शरम दूर किये देती हूँ." मैने कहा और उसके हाथ धीले लौड़े पर से हटाकर उसे हिलाने लगी.

"भाभी, हम गुलाबी के सामने कैसे कर सकते हैं?" किशन बोला.
"तो क्या हुआ?" मैने कहा और दरी पर बैठ गई. "वह तो बस हमे देखेगी. कुछ करेगी थोड़े ही?"

मैने यह बताना उचित नही समझा कि छत के दरवाज़े के पास छुपा रामु भी हमारे कुकर्म को देख रहा है.

"पर भाभी, बहुत अजीब लग रहा है." किशन दरी पर बैठकर बोला, "हम नंगे हैं और गुलाबी ने कपड़े पहने हुए हैं."

थोड़ा अजीब तो मुझे भी लग रहा था. मैं पहले कभी गुलाबी के सामने नंगी नही हुई थी. पर मुझे हमारे हालत पर रोमांच भी हो रहा था.

मैने कहा, "तो फिर गुलाबी भी कपड़े उतार देगी. क्यों गुलाबी?"
"भाभी, हम भी कपड़े उतारें?" गुलाबी ने एक नज़र दरवाज़े की तरफ़ देखा और चौंककर कहा.
"हाँ, क्यों नही?" मैने कहा, "हम तेरे सामने नंगे हैं. तु हमारे सामने नंगी नही हो सकती?"

गुलाबी बार-बार दरवाज़े की तरफ़ देख रही थी और आना-कानी कर रही थी. मैने गुस्से से उसे देखा तो उसने हारकर अपनी चोली उतार दी, और नज़रें नीची करके खड़ी हो गई. उसके सांवली, भरी भरी चूचियां नंगी हो गयी तो किशन ललचाई नज़रों से उन्हे देखने लगा.

"क्यों, देवरजी, गुलाबी की चूचियां पसंद आयी?" मैने पूछा.
"हाँ, भाभी. बहुत सुन्दर हैं." किशन ने लार टपकाते हुए कहा, "पर आप जितनी सुन्दर नही हैं." उसने जल्दी से जोड़ा.
"बस बस, और मक्खन मत लगाओ! गुलाबी की चूचियां मुझे से बड़ी और ज़यादा मज़ेदार हैं." मैने कहा, "अब तुम भी उसे अपना लौड़ा खड़ा करके दिखाओ, जो वह देखने के लिये आयी है."

गुलाबी की चूचियों के दर्शन से किशन का लन्ड काफ़ी ताव मे आ गया था. मैं किशन के साथ दरी पर बैठ गयी. फिर अपना सर उसके जांघों के बीच झुकाया और उसके लन्ड को मुंह मे लेकर चूसने लगी. तुरंत उसका लन्ड तनकर खूंटे की तरह खड़ा हो गया.

मैने किशन के लौड़े को मुंह से निकाला और गुलाबी से पूछा, "बोल गुलाबी, कैसा लगा तुझे अपने किशन भैया का लन्ड?"

गुलाबी की आंखे वासना से लाल थी. वह अपने निप्पलों को चुटकी मे लेकर मींज रही थी. मुझे बोली, "बहुत सुन्दर है, भाभी."
"आ ज़रा हाथ मे लेकर देख."
"नही, भाभी." उसने दरवाज़े की तरफ़ देखा और कहा.
"साली, फिर तु सती-सावित्री बनने लगी!" मैने कहा, "तु जिससे डर रही है, उसकी हिम्मत नही कि तुझे कुछ बोले. आ, इधर आ."

गुलाबी ने एक बार दरवाज़े की तरफ़ देखा, फिर हमारे पास दरी पर आके बैठ गयी.
मैने किशन का खड़ा लन्ड गुलाबी के हाथ मे थमा दिया जिसे वह धीरे धीरे हिलाने लगी. उसका शरीर इस नये लन्ड को छूकर सिहर उठा.

किशन की नज़र न जाने कब से गुलाबी की जवानी पर थी. अब उसका सपना साकार होता दिखाई दे रहा था. उसने एक हाथ बढ़ा कर गुलाबी की एक चूची दबायी. गुलाबी मस्ती मे सित्कार उठी, "ओह!!"

"गुलाबी, किशन भैया के लन्ड को चूसने का मन कर रहा है?" मैने पूछा.
गुलाबी ने मुस्कुराकर मुझे देखा तो मैने उसके सर को पकड़कर किशन के लौड़े पर झुका दिया.

गुलाबी ने किशन के लन्ड को अपने नरम होठों मे ले लिया और धीरे धीरे चूसने लगी. किशन मज़े मे सित्कार उठा, "हाय, भाभी! आह!! उफ़!!"

मैं गुलाबी के नंगे चूचियों को हाथों से दबाने लगी.

गुलाबी काफ़ी गरम हो गयी थी. एक हाथ से किशन के लन्ड को पकड़कर चूस रही थी. अपना दूसरा हाथ उसने अपने घाघरे मे डाल दिया और अपनी चूत मे उंगली करने लगी.

"गुलाबी, घाघरा उतारकर आराम से बैठ." मैने कहा और उसके कमर से उसके घाघरे को खोल दिया.
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