RE: Kamukta Kahani जुआरी
कामिनी अपने पैरों को धीरे-२ नीचे लाने लगी, जैसे-२ वो पैर कुणाल के लंड की तरफ बढ़ रहे थे, उसका लंड पानी में झटके मार रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे बाथटब में कोई शार्क है, जिसे कामिनी अपने पैरों से पकड़ने जा रही है
और अंत में आकर उसने जब अपने कोमल पैर उसके सुपाड़े पर रखे तो कुणाल ने आँखे बंद कर ली
और किसी राजा की तरह टब में बैठकर वो कामिनी मेडम के पैरों को अपने लंड पर फील करने लगा
कामिनी ने अपने पैरों का फंदा उसके लंड पर लगाया और उसे दोहने लगी
कुणाल को ये सब फील करके परम आनंद की अनुभूति हो रही थी
कामिनी बड़े आराम से अपने पैरों की मसाज उसे दे रही थी, कुणाल को कड़क काम पसंद था इसलिए उससे सब्र नहीं हुआ और उसने कामिनी के पैरों को जोर से पकड़ कर उसे अपने लंड पर रगड़ दिया
कामिनी ने अपनी आँखे बंद कर ली और उसके जंगली बर्ताव और लंड का मजा लेने लगी...
ऐसा लग रहा था जैसे उसका पैर किसी बड़े से कैक्टस में उलझ गया है,
झांटो से भरे उसके लंड पर उसका पैर जब घिसाई कर रहा था तो उसे थोड़ी तकलीफ भी हो रही थी,पर उसने उस दर्द को सह लिया,
कुणाल ने अपनी मालकिन के पैरों को लंड पर रगड़ा और फिर उन्हें ऊपर लाकर अपनी जीभ लगा दी उसपर...
एक पल के लिए तो कामिनी भी अपनी जगह से उठ खड़ी हुई,
कुणाल ने उसके पैरों की उंगलियों को अपने मुंह में लिया और उसे ऐसे चूसने लगा जैसे उनमे से दूध निकल रहा हो...
कामिनी के लिए भी ये पहला मौका था जब कोई उसके पैरों को कुत्ते की तरह चाट रहा था
पर उसे मजा बहुत आ रहा था..
अचानक कामिनी को अपनी चूत पर कुणाल के पैरों का एहसास हुआ,
कुणाल ने अपनी टांग सीधी करके अपना अंगूठा उसकी चूत के दरवाजे पर लगा दिया था...
कामिनी ने अपनी जाँघे थोड़ी और चौड़ी कर ली और उसके लंड जैसे अंगूठे को अपने इंडिया गेट के अंदर घुस लिया
''ससससससsssssssssssssssss आआआआअह्ह्ह ''
वो सिसिया उठी , और उसके लंड को महसूस करते हुए अपनी आँखे बंद करके उस एहसास का मजा लेने लगी.
कुणाल भी कामिनी मेडम के अंगूठे को मुंह में लेकर ऐसे चूस रहा था जैसे वो उनकी क्लीट को चूस रहा हो...
माहौल बड़ा ही गर्म हो चूका था...
कामिनी की चूत अब कुछ बड़ा मांग रही थी...
वो अपनी जगह से उठी और एक ही झटके में उछलकर कुणाल की गोद में आकर बैठ गयी...
टब का आधे से ज्यादा पानी उछलकर बाहर गिर गया...
और उसके होंठों पर अपने होंठ लगाकर उसे चूसने लगी...
कुणाल भी कामिनी मेडम के मुम्मो को दिवाली के लड्डू समझ कर मसलने लगा..
और फिर उसने भी उनपर मुंह लगा दिया...
ऐसे अमीरी से भरे मोम्मे रोज-२ थोड़े ही मिलते है
और नीचे हाथ करके उसने बड़े ही प्यार से उसकी चूत को अपने खड़े हुए लंड पर लाकर सजा दिया
कामिनी भी कसमसाती हुई सी उसके लंड को चूत पर महसूस करके गुनगुना उठी और किलकारियां मारती हुई वो उसके लंड पर फिसलती हुई नीचे आने लगी..
''आआआआय्य्यीइइइइइइ शेरअअअअअअअअ aahhhhhhhhhh मर्रर्रर्र गयीईईईई उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ''
रात को दारु के नशे में उसके लंड को लेकर इतनी तकलीफ नहीं हुई थी जितनी अभी हो रही थी
पर मजा दुगना मिल रहा था उसे अभी
और फिर कुणाल ने उसके मुम्मो और होंठों को चूसते हुए, नीचे से उसकी गांड पर हाथ लगाकर , ऐसे झटके लगाए की टब का रहा सहा पानी भी कब निकल गया उन्हें पता ही नहीं चला
और हर झटके से कामिनी अपने ओर्गास्म के करीब पहुँच रही थी
और अंत में आकर जब उसकी चूत ने पानी छोड़ा तो वो कुणाल के बालों को पकड़कर, ऊपर मुंह करके इतनी जोर से चीखी की किचन में काम कर रही पायल को भी वो चीख सुनाई दे गयी...
पर वो बेचारी उसे सुनने के अलावा कुछ और कर ही नहीं सकती थी..
और कामिनी के पीछे-२ कुणाल ने भी अपना पानी उसकी चूत में ही निकाल दिया...
कामिनी उसके सीने पर हांफती हुई सी गिर पड़ी...
कुणाल ने पानी दोबारा चला कर टब को फिर से भर लिया और उसके बाद काफी देर तक वो अपनी मालकिन के हर अंग को झाग वाले पानी से साफ़ करता रहा..अब उसे एक नया एहसास मिल रहा था.
बाहर निकलकर कुणाल ने कामिनी को अपनी गोद में उठाकर बेड पर जाकर लिटा दिया..
और अपने हाथो से उसे ब्रा और पेंटी पहनाई , ऐसा करते हुए वो मन में सोच रहा था की काश ये काम वो रोज कर पाए
उसके बाद कुणाल ने भी कपडे पहन लिए और जब वो नीचे जाने लगा तो कामिनी ने उसे पीछे से आवाज देकर कहा : "सुनो कुणाल, वो इन्द्राणी को भी तुम्हारी ताश वाली ट्रिक्स सीखनी है, कही जाकर सो मत जाना, वो आने ही वाली है ''
कुणाल समझ गया की ये ताश का खेल तो एक बहाना है, जरूर कामिनी ने अपनी सहेली को उसके हरियाणवी लंड के बारे में कुछ ख़ास बताया होगा, जिसका मजा लेने वो आ रही है
वो मुस्कुराता हुआ, सर हाँ में हिलाकर नीचे चला आया
अब उसकी आँखों के सामने इन्द्राणी मेडम का चेहरा नाच रहा था
कामिनी मेडम की बाथरूम में जबरदस्त चुदाई करने के बाद कुणाल अपने कमरे में आ गया
थोड़ी देर में पायल उसके लिए नाश्ता ले आई पर उसकी हिम्मत नही हुई की वो अपने पति से ये पूछ ले की कामिनी मेडम के साथ क्या कर रहे थे...
आज कई सालो के बाद वो इस वक़्त चुदने से भी बच गयी थी वरना अपने पति को सुबह उठाने का मतलब होता था की पहले अपनी चूत मरवाओ और फिर उसे नाश्ता कारवाओ.
वैसे भी पायल खुद कौन सा दूध की धूलि रह गयी थी अब...
अपने मालिक से चुदाई करवाकर और वो भी अपने पति के सामने, वो भी उसी रंग मे रंग चुकी थी जिसमे रंगकर कुणाल इतने सालो से अपनी जिंदगी के मज़े ले रहा था..
वैसे होना भी यही चाहिए, पति-पत्नी को एक दूसरे पर ज़्यादा रोक-टोक नही रखनी चाहिए, जहाँ जिसकी मर्ज़ी हो , वो वहां जाकर अपनी जवानी के मज़े लूट ले..
नाश्ता करके कुणाल फिर से सो गया, उसे दोपहर के लिए अपनी एनर्जी भी तो सेव करनी थी.
जब वो उठा तो 1 बजने वाला था, पायल भी वहां नही थी..वो उठा और शेव बनाकर, सॉफ सुथरे कपड़े पहनकर कोठी में आ गया..
वहां ड्रॉयिंग रूम में कामिनी और पायल बैठकर बाते कर रहे थे...
वो शायद अभी कुछ देर पहले ही आई थी..पायल उनके लिए किचन में चाय बना रही थी..
कामिनी उसे देखकर बोली : "आओ कुणाल, इन्हे तो तुम जानते ही हो, ये आज ख़ास तौर पर तुमसे वो ताश की ट्रिक्स सीखने आई है...ताकि दीवाली पर कुछ स्पेशल जलवा दिखा सके...''
जलवे वाली बात पर दोनो खिलखिलाकर हंस दी..कुणाल भी मुस्कुरा दिया..
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