RE: Kamukta Kahani जुआरी
हालाँकि वो सिर्फ़ देख ही पाए थे
पर उन्हे ऐसे खुल्ले आम करते देखना भी करने से कम नही था...
और उन्हे अच्छी तरह से पता था की आने वाली गेम्स में ये रहे-सहे पर्दे भी गिर जाएँगे..
अब अगली गेम की बारी थी...
और उससे पहले उन्हे ये भी डिसाईड करना था की उसमें हार-जीत होने पर क्या होगा..
विजय ने पत्ते बाँटे , सभी की नज़रें और कान विजय की तरफ ही थे...
विजय : "अब अगली गेम के लिए थोड़ा चेंज करना होगा.... यानी, जो मसाज तुम दोनो ने एक दूसरे को दी है, वही अब एक दूसरे के हसबैंड्स को देनी होगी...''
यानी, विजय हारा तो उसकी बीबी कामिनी, कुणाल को मसाज देगी
और
कुणाल हारा तो पायल को विजय के पास एक बार फिर से मसाज देने आना होगा..
विजय के हरामी दिमाग़ में हर तरह के ख़याल और संभावनाए आ रही थी, जिन्हे वो इस जुए के खेल के मध्यम से साकार करना चाहता था.
और वो ये भी जानता था की उसकी कही बात को ना मानने की किसी में भी हिम्मत नही है...
एक तरह से देखा जाए तो वो अपनी दबी हुई कुंठस्त भावनाओ को इस खेल के माध्यम से बाहर निकाल रहा था.
पर वो ये नही जानता था की उसके अलावा उसकी बीबी और कुणाल के बीच भी कुछ ख़ास चल रहा है, शायद इसलिए वो उसकी किसी भी बात का विरोध नही कर रहे थे...
पायल तो उसके लंड का स्वाद चख ही चुकी थी.
पत्ते तो ऑलरेडी बंट ही चुके थे, इसलिए उसने उपर वाले का नाम विजय ने अपने पत्ते उठा लिए...
इस गेम में वो जीतना चाहता था ताकि कुणाल की बीबी उसकी मसाज कर सके..
और हुआ भी ऐसा ही..
उसके पास सीक़वेंस आया था..... 8,9, 10 का.
उसने जोरदार तरीके से हंसते हुए पत्ते नीचे फेंक दिए...
कुणाल के पास इस बार भी पेयर आया था, 10 का...
पर सीक़वेंस के सामने वो बेकार था.
कुणाल ने पायल की तरफ देखा और धीरे से बोला : "चल जा....साब की मालिश कर दे...''
ये एक ऐसी लाइन थी जिसमें वो एक तरह से अपनी बीबी को ये कह रहा था की जा,साहब को खुश कर दे...
पायल भी एक बार फिर अपने मालिक को मालिश करने के नाम से तप सी गयी....
उसके हाथ पैर फूल से गये...
हालाँकि ऐसा उसके साथ पहली बार नही हुआ था, पर अब इसलिए हो रहा था क्योंकि उसका पति और मालिक की बीबी सामने बैठकर वो नज़ारा देखने वाले थे...
विजय उठकर उसी सोफे पर जाकर लेट गया जहाँ कुछ देर पहले आधी नंगी होकर पायल अपना बदन मसलवा रही थी ..
और पायल से बोला : "चल, आजा जल्दी से...''
पायल धीरे-2 चलती हुई वहां आ गयी...
कामिनी वहां से हटकर कुणाल के साथ वाली चेयर पर आकर बैठ गयी...
जहां से दोनो पूरे सीन को सॉफ तरह से देख पा रहे थे.
विजय ने देखा की पायल अभी तक हिचकिचा रही है...
वो थोड़ी कड़क आवाज़ में बोला : "सुना नही....जल्दी आओ यहाँ और शुरू करो...''
अपने मालिक की वही सुबह वाली डांट सुनकर उसके बदन में फिर से तेज़ी आ गयी....
उसने आनन-फानन मे तेल की शीशी उठाई और उनके करीब जाकर खड़ी हो गयी...
विजय ने एक बार फिर से घूर कर देखा तो उसने उनके कपड़े उतारने शुरू कर दिए...
पहले कुर्ता..
फिर पयज़ामा और फिर बनियान भी.
अब विजय सिर्फ़ एक बॉक्सर में लेटा हुआ था.
कमरे में मौजूद दोनो औरतें अच्छे से जानती थी की उस बॉक्सर के नीचे की चीज़ कैसी है...
कामिनी तो बरसों से चुदती आई थी उस लंड से...
इसलिए उसे कुछ ख़ास दिलचस्पी नही रह गयी थी इस खेल में.
वो तो बस यही सोच रही थी की काश कुणाल जीत जाता ये गेम...
वो उसके काले कलूटे बदन को अपनी नर्म उंगलियों से मसलकर मसाज करती..
ठीक वैसे ही जैसे उसने जंगल की झाड़ियों में उसके लंड को पकड़ कर मूठ मारी थी उसकी...
भले ही अभी के लिए ये नही हो रहा था पर वो जान चुकी थी की आने वाली गेम्स में ऐसा मौका उसे ज़रूर मिलेगा...
इसलिए वो बड़ी ही प्यासी नज़रों से कुणाल को देख रही थी, जो उससे सिर्फ़ 2 फीट की दूरी पर बैठा अपने लंड को मसल रहा था.
इस वक़्त कुणाल का ध्यान अपनी बीबी पायल पर था
वो शायद देखना चाहता था की वो गाँव की भोली भाली औरत आज अपने पति के सामने किस हद्द तक खेलने की हिम्मत रखती है...
पर उसे ये नही पता था की वो सारी हदें तो सुबह ही पार कर चुकी थी, अपने मालिक को ऐसी ही मसाज देकर और उनके लंड को पीकर..
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