RE: Kamukta Kahani जुआरी
पायल ने बड़ी मासूमियत से अपने नहाने का टाइम टेबल विजय को दे डाला..
विजय फुसफुसाया : "और क्या -2 करती हो...''
पायल : "जी मालिक, कुछ कहा क्या आपने...?''
विजय : "अर्रे नही...वो मैं कह रहा था की चाय पीने का मन था...सो''
पायल : "ओह्ह ...मैं भूल ही गयी... आप चलिए अपने कमरे में ...मैं कपड़े पहन कर, चाय बनाकर लाती हूँ बस...''
विजय मन में बोला 'हाय , कपड़े पहनने की क्या जरूरत है मेरी जान, नंगी ही आ जा '
अब विजय का मन तो नही कर रहा था वहां से जाने का, पर फिर भी चल दिया वापिस.
पायल ने फटाफट अपने कपड़े पहने और अपने मालिक के लिए चाय बनाकर ले आई.. विजय भी अपने कपड़े चेंज करके चेयर पर बैठा था..
हमेशा की तरह पायल ने एक कॉटन की साड़ी पहनी हुई थी इस वक़्त...
उसकी कमर का नंगा हिस्सा इस वक़्त विजय को काफ़ी उत्तेजित कर रहा था...
चाय देकर जैसे ही वो जाने लगी तो विजय बोला : "सुनो पायल...वो तुमसे एक ज़रूरी बात करनी थी...''
''जी मालिक''
विजय : "बैठ जाओ..''
उसने कुर्सी की तरफ इशारा किया पर वो ज़मीन पर पालती मारकर बैठ गयी..
विजय : "मैने सुना है की तुम्हारा पति कोई काम धंदा नही करता...''
अपने मालिक की बात सुनकर वो रुन्वासी सी हो गयी...
उसे लगा की शायद वो उन्हे घर से निकालने की बात करेंगे..
वो बोली : "नही मालिक...वो..उनकी समझ मे..कुछ आता ही नही...मैं तो समझाकर थक चुकी हूँ ''
विजय : "और सुना है वो दारू भी पीता है...जुआ भी खेलता है..''
अब तो सच में उसे डर लगने लगा था...
वो थोड़ा आगे खिसक आई और विजय के पैर पकड़ कर बोली : "मालिक...मैने आज ही उसे समझाया है...आप चिंता ना करो..वो अपनी आदतो को जल्दी ही बदल देगा..आप मेरा विश्वास कीजिए..''
विजय ने उसकी बाहे पकड़कर उसे उपर उठा लिया... और खुद भी खड़ा हो गया.. और उसे लगभग अपने बदन से सटा कर बोला : "अरे नही पायल... मेरा वो मतलब नही था.. मैं तो चाह रहा था की वो कोई काम करे..इन्फेक्ट मैं तो सोच रहा था की उसे तुम्हारी कामिनी मेडम का ड्राइवर रख लूं ... कुछ पैसे भी आएँगे तुम लोगो के पास और उसकी आदते भी सुधर जाएँगी...''
ये सुनते ही पायल की आँखो में आँसू आ गये...
पहले कामिनी मेडम ने उनपर ये उपकार किया था की उन्हे रहने की जगह दे दी और अब उनके पति कुणाल को भी नौकरी दे रहे है... एक दम से दुगनी खुशी के एहसास जैसा था ये सब..
इसी बीच विजय के हाथ उसकी कमर के उसी नंगे हिस्से पर थे जहां से उसके शरीर का कर्व शुरू होता था...
यानी पेट से नीचे की फेलावट...
वो उसपर अपने हाथो को लगभग धँसाता हुआ सा बोला : "और उसकी सेलेरी होगी 15000''
इतने पैसे सुनकर तो उसकी आँखे और भी ज़्यादा फेल गयी...
उसे खुद 10 हज़ार मिलते थे.. जिसमें वो अभी तक दोनो का खर्चा चला रही थी..
उपर से ये 15 हज़ार और मिलने लगे तो उनकी जिंदगी कितनी सुधर सकती है, ये सोचकर वो खुशी से मरी जा रही थी.
उसे इस बात का एहसास तक नही हो रहा था की विजय उसकी कमर के गुदाज हिस्से को मसल रहा है..
विजय तो तभी समझ गया की वो कितनी झल्ली किस्म की औरत है, इसे चोदने में कितना मज़ा आने वाला है, ये उसने सोचना शुरू कर दिया.
पर वो ये काम बड़े आराम और इत्मीनान से करना चाहता था...
पायल अब उसके लिए उस मछली की तरह थी जो बाहर के समुंदर से निकलकर उसके स्वीमिंग पूल में आ चुकी थी, जिसे वो जब चाहे, काँटा डालकर
पकड़ सकता था...
उसके साथ खेल सकता था...
उसका मज़ा ले सकता था.
इसलिए अभी के लिए उसने उसे जाने दिया...
वो पायल को पहले अपने एहसानो के नीचे दबा लेना चाहता था, उसके बाद ही अपनी चाल चलनी थी उसे ताकि पायल चाहकर भी उसकी बीबी से कुछ ना बोल सके.
दूसरी तरफ कुणाल फिर से अपनी चॉल में पहुँच चुका था, उसके सारे अय्याश दोस्त वहीं जो रहते थे...
आज कुणाल अपनी बीबी के पार्स में से 2000 रुपय लेकर आया था... और उसे किसी भी कीमत पर कल की हार का बदला लेना था राजू से.
एक बार फिर से बाजी लगनी शुरू हो गयी...
कुणाल ने ज़्यादा रिस्क नही लिया शुरू में, इसलिए बिना कोई ब्लाइंड चले ही वो पत्ते देख लेता, अच्छे आते तो चाल चलता वरना पैक कर देता..
और इसी समझदारी की वजह से उसने जल्द ही 2 के 10 हज़ार कर लिए...
और फिर वो मौका भी आ गया जिसके लिए वो आज वहां आया था, एक गेम फँस गयी, जिसमें दोनो चाल पे चाल चलते चले गये... अंत में आकर दोनो के पास 1-1 हज़ार रुपय बचे.. पर आज कुणाल कल वाली भूल नही करना चाहता था, इसलिए आख़िरी के 1 हज़ार बीच में फेंककर उसने शो माँग लिया.. कुणाल के पास आज कलर आया था, जबकि राजू के पास इक्के का पेयर था.
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