RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
“अह्ह्ह्ह अनु तुम्हारे हाथ कितने सॉफ्ट है….हां ऐसे ही पकडो…..” अनु ने अब मेरे लंड को मुट्ठी मे पकड़ रखा था….”प्लीज़ इसे हिलाओ ना….देखो जैसे वीना हिला रही है मेरे लंड को….” मैने स्क्रीन पर चल रही क्लिप को देखते हुए कहा. अनु कुछ देर ऐसे ही मेरे लंड को पकड़े बैठे रही….उधर जैसे क्लिप मे वो सीन आया, जब मैने वीना को पीठ के बल लेटा कर चोदना शुरू किया…..वैसे ही अनु की पकड़ मेरे लंड पर और कस गयी….
मेने अनु के हाथ से अपना हाथ हटा लिया, अनु वीना के चुदाई देख कर बेहद गरम हो चुकी थी….उसका पूरा ध्यान मॉनिटर की स्क्रीन पर चल रही वीना और मेरी चुदाई की तरफ था….और इसका फ़ायदा उठाते हुए, मैने अपना एक हाथ अनु की जाँघ पर रख दिया, तो अनु का जिस्म बुरी तरह से कांप गया…उसने शरम से लाल हो रही अपनी आँखो से मेरी तरफ देखा, और फिर अपने सर को झुका लिया….मैने अपना हाथ सरकाते हुए, उसकी दोनो जाँघो के बीच लेजाना शुरू कर दिया….मेरी इस हरक़त से अनु एक दम से कसमसा गयी…..और उसने अपनी जाँघो को आपस मे पूरे ज़ोर के साथ भींच लिया…..
मैने उसकी जाँघ को पकड़ कर एक तरफ फैलाना शुरू किया तो, मेरी हैरत का कोई ठिकाना नही रहा जब, उसने कोई विरोध नही किया…..मैने उसकी जाँघ को फैलाते हुए, अपने हाथ को उसकी इन्नर थाई तक पहुँचा दिया, जैसे ही अनु को अपनी जाँघ के अन्द्रुनि हिस्से पर मेरे हाथ का अहसास हुआ, तो इस बार अनु एक दम से सिसक पड़ि, उसकी आँखे मस्ती मे बंद हो गयी….और उसने अपनी पीठ को मेरी चेस्ट पर टिकाते हुए, अपने सर को पीछे की तरफ करते हुए, मेरे कंधे पर रख दिया…..अब अनु की दोनो जाँघो के बीच मे इतना गॅप था कि, मे आसानी से अपने हाथ को ऊपर लेजाते हुए, उसकी चूत को छू सकता था…..
और इस नेक काम में मैने ज़रा सी भी देर ना करते हुए, धीरे-2 अपने हाथ को उसकी चूत की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया….तो उसने मेरे लंड को छोड़ कर मेरे हाथ के ऊपर अपने दोनो हाथ रख लिए….”श्िीीईई नही सर……प्लीज़ मम्मी आ जाएगी….” अनु ने सिसकते हुए कहा….और मेरे हाथ के ऊपर अपने दोनो हाथ रख लिए….
अभी मे अपने हाथ को ऊपर ले जाकर अनु की चूत को छूने ही वाला था कि, बाहर से वीना की आवाज़ आई….”अनु ओ अनु…..” वीना की आवाज़ सुन कर अनु एक दम से हड़बड़ा गयी…..और मेरी गोद से उठ कर जल्दी से अपने कपड़े ठीक किए, और अपनी कॉपी उठा कर बाहर चली गयी…..मे भी उसके पीछे बाहर आ गया….
मुझे देख कर वीना ने स्माइल दी…..और फिर अनु की तरफ देखते हुए बोली…..”वो आज तूने बहुत देर लगा दी तो सोचा देख कर आती हूँ…..”
इससे पहले कि अनु कुछ बोलती, तो पहले मे बोल पड़ा….”हां वो आज सोचा कुछ देर और पढ़ा देता हूँ…..” इश्स बीच अनु बौंडरी फाँद कर अपने घर की छत पर से होते हुए नीचे चली गयी….जैसे ही वो नीचे गयी तो मे थोड़ा सा खीजते हुए फुसफुसाया…..”क्या है ऊपर क्यों आई तुम थोड़ी देर और रुक जाती तो क्या जाता तुम्हारा…”
वीना: वो मेरी बेहन आई हुई है…..तो अनु का पूछ रही थी…इसलिए मैने कह दिया कि, ऊपर छत पर पढ़ रही है….अगर कही वो ऊपर आ जाती तो, क्या जवाब देती मे उसे…..
मे: अच्छा अच्छा…..ठीक है……
वीना: (मुस्कराते हुए) नाराज़ क्यों होते हो तुषार जी…..सुनो मे अपनी बेहन के साथ बाज़ार जा रही हूँ….उसे कुछ खरीद दारी करनी है….उसके बाद मे उसके साथ उसी के घर चली जाउन्गी…..शाम को 6 बजे तक आउन्गी….अनु घर पर अकेली ही होगी…
मे: और तुम्हारा पति कहाँ है…..वो घर पर नही है…..?
वीना: नही आज वो अपने किसी दोस्त की शादी मे गया है…..दो दिन बाद लौटने वाला है…..
वीना मुस्कराते हुए नीचे चली गयी…..और मे बाहर चेयर पर बैठ गया. मे वीना के जाने का वेट कर रहा था कि, कब वो अपनी बेहन के साथ जाएगी….करीब 20 मिनिट बाद मुझे बाहर गली की तरफ से नीचे वीना की आवाज़ सुनाई दी. मे चेयर से खड़ा हुआ और बाहर गली की तरफ झाँका….तो देखा वीना अपनी बेहन के साथ जा रही थी……उसके साथ उसका बेटा विजय भी था….और फिर मुझे उसके घर के गेट के बंद होने की आवाज़ आई…..मे जल्दी से पीछे हुआ, और चेयर पर बैठ कर वेट करने लगा….मे देखना चाहता था कि, अनु की चूत मे कितनी आग भड़की हुई है….क्या वो खुद ऊपर आएगी……मे वही बाहर बैठा उसके ऊपर आने का इंतजार कर रहा था….
और उस वक़्त मेरी ख़ुसी का ठिकाना नही रहा जब अनु 15 मिनिट बाद ऊपर आई, उसने हाथ मे एक ग्लास पकड़ा हुआ था….उसे देख कर मे खड़ा होकर बौडरी के पास चला गया….वो सर झुकाए हुए धीरे-2 मेरी तरफ बढ़ी….और फिर दीवार के पास आकर खड़े होते हुए, उसने ग्लास को मेरी तरफ बढ़ा दिया…
.”ये क्या है….” मैने ग्लास को पकड़ते हुए कहा….
.”कोल्ड्रींक है…..मम्मी ने कहा था आप को देने के लिए….”
मे: ओह्ह अच्छा मैने सोचा कि शायद तुम खुद मेरे लिए लाई हो…..
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