RE: XXX Hindi Kahani मैं लड़की नहीं.. लड़का हूँ
उधर रोमा और टीना के दिल की धड़कनें तेज हो रही थीं.. क्योंकि शाम हो चुकी थी और अब नीरज के पास जाने का समय हो गया था।
टीना- यार मेरा तो दिल बड़ा घबरा रहा है.. अब क्या होगा?
रोमा- अरे कुछ नहीं होगा.. रुक मैं उसको फ़ोन करती हूँ।
रोमा ने नीरज को फ़ोन लगाया.. मगर उसका फ़ोन बन्द था। कई बार रोमा ने ट्राइ किया.. मगर कोई फायदा नहीं हुआ।
टीना- अरे क्या हुआ?
रोमा- यार कितनी बार ट्राइ किया.. फ़ोन बन्द है उसका..
टीना- चलो जान बची.. पड़ा होगा कहीं पीकर.. तू अब फ़ोन मत कर।
रोमा- यार कहीं उसने वीडियो नेट पर डाल दिया तो?
टीना- अरे ऐसे कैसे डाल देगा.. उसका फ़ोन बन्द है.. इसमें हमारी क्या ग़लती है.. और वैसे भी वो ऐसी ग़लती नहीं करेगा। तुमसे उसको बड़ा फायदा है.. तुमको वो ऐसे हाथ से जाने नहीं देगा। चल आज तो बच गए.. आगे का बाद में सोच लेंगे।
रोमा वहाँ से अपने घर चली जाती है और बस नीरज के बारे में ही सोचती रहती है। नीरज के व्यवहार से उसके दिल को बड़ा धकका लगा था। मगर टीना की इज़्ज़त बचाने के लिए उसने अपना दिल मजबूत किया हुआ था।
दोस्तो, अब यहाँ भी कुछ नहीं है.. उधर मीरा वापस आ गई है.. तो देखो वहाँ क्या हुआ होगा।
राधे कमरे में बैठा हुआ था.. मीरा को देख कर वो खड़ा हो गया। वो कुछ बोलता.. उसके पहले मीरा बोल पड़ी।
मीरा- अरे मेरे आशिक.. ऐसे मुँह लटकाए क्यों बैठे हो.. नीरज ठीक है ओके.. अब तुम टेन्शन मत लो.. मैं खुद उससे मिलकर आई हूँ। उसने माफी भी माँगी और तुम्हें भी सॉरी बोला है। अब उसको अपनी ग़लती का अहसास हो गया है.. वो हमें अब दोबारा परेशान नहीं करेगा।
राधे- ओह्ह.. थैंक्स.. भगवान ने मेरी सुन ली.. नहीं तो में अपने आपको कभी माफ़ नहीं कर पाता.. मुझे उससे मिलना है!
मीरा- अरे नहीं.. उसके कुछ दोस्त वहाँ आ गए थे.. डॉक्टर ने कहा है कि इसको मुंबई ले जाओ.. तो अच्छा रहेगा। बस उसके सर पर चोट आई है और पैर टूटा है.. वो ठीक है यार.. बाद में कभी आराम से मिल लेना।
राधे- ओके मीरा अच्छा हुआ कि उसको अपनी ग़लती का अहसास हो गया।
राधे ख़ुशी के मारे मीरा से लिपट गया और काफ़ी देर तक दोनों वैसे ही लिपटे खड़े रहे।
दोस्तो, अब आज की रात सेक्स होगा.. यह तो भूल ही जाओ.. कहानी थोड़ा गमगीन अवस्था में चल रही है.. तो चलो रात को फास्ट फॉरवर्ड करो और सीधे सुबह का सूरज निकलते हुए देखो।
दोस्तो, सुबह का सूरज तो निकला.. मगर इस सुबह ने रोमा के दिल की धड़कनों को बढ़ा दिया।
रोमा अभी भी टेन्शन में थी कि नीरज ने फ़ोन क्यों नहीं किया और अभी तक भी उसका फ़ोन बन्द है। कहीं ऐसा ना हो वो स्कूल जाए और वहाँ पहले ही सबके पास उसका एमएमएस पहुँच गया हो.. बस इसी उलझन में वो तैयार हुई।
उसकी माँ ने भी उसको कहा- आज तेरा चेहरा क्यों उतरा हुआ है?
मगर उसने बुखार का बहाना बना दिया। वो चाह रही थी कि माँ उसको स्कूल जाने से रोक दे.. मगर ऐसा हुआ नहीं और वो बेचारी बेमन से स्कूल के लिए निकल गई।
उधर रोज का आलम था.. ममता आई अपने काम में लग गई और मीरा भी स्कूल चली गई।
ममता- क्या हुआ साहेब जी.. आज बड़े उदास लग रहे हो.. रात को बीबी जी से झगड़ा हुआ क्या?
राधे- अरे नहीं.. ऐसा कुछ नहीं है.. आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है.. तो बस मूड खराब है.. तू अपना काम कर.. मुझे परेशान ना करना.. मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूँ।
ममता को लगा कि आज तो उसको लौड़े का स्वाद नहीं मिलेगा.. तो उसने भी मन मार कर अपनी चूत को समझा दिया और काम पर लग गई।
उधर टीना और रोमा स्कूल में बस इसी बात पर बात कर रही थीं कि आख़िर नीरज कहाँ गायब हो गया। मगर उनके लिए नीरज एक अनसुलझी पहेली की तरह हो गया था।
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