RE: Antarvasna kahani जुआरी
और ढक्कन खुलते ही कुणाल दिमाग की सारी नसें खुल सी गयी.
वो बोला : "मेडम....आप पीती भी है...?''
कुणाल के इतना कहने की देर थी की वो आश्चर्य से उसे देखने लगी...
उसे शायद विश्वास नही हो पा रहा था की कुणाल को पता चल गया है की वो वोड्का पी रही है..
ये तो इंपॉर्टेंट वोड्का थी, जिसमें स्मेल भी नही आती थी पीने के बाद
वो अक्सर पार्लर में या पार्टी में भी यही ब्रांड पिया करती थी, पर आज तक किसी को पता नही चल सका था की वो पानी नही वोड्का है...
पर कुणाल ने एक पल मे ही जान लिया...
और पहचानता भी क्यो नही, दारू में पी एच डी जो कर रखी थी उसने.
कामिनी भी समझ गयी की वो काफ़ी घाघ किस्म का आदमी है और इससे कुछ भी छुपाना बेकार है.
वो बोली : "हाँ ...अक्सर जब भी मैं खुश होती हूँ, तो ये पी लेती हूँ...''
और फिर कुणाल की ललचाई नज़रों की तरफ देखते हुए बोली : "ये लो...तुम भी पी के देखो..''
इतना कहकर उसने लगभग आधी बची हुई बॉटल उसकी तरफ लहरा दी...
कुणाल की तो आँखे चमक उठी, दारू देखकर नही बल्कि उसपर लगी कामिनी के होंठो की लाल लिपस्टिक देखकर...
उसने तुरंत वो बॉटल हाथ में ले ली और एक ही झटके से उसे अपने काले होंठों से लगाकर गटागट पीने लगा...
अंदर से आ रहे वोड्का से ज़्यादा वो उसके मुँह पर लगी कामिनी के नर्म होंठों की लाली का स्वाद ले रहा था...
और उसे पीते हुए ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वो बॉटल को नही बल्कि कामिनी के होंठों को चूस रहा है.
कामिनी भी उसे इस उतावलेपन से बॉटल पीते देखकर हैरान थी...
पर वो समझ गयी थी की वो ऐसा क्यो कर रहा है...
और कुछ सोचकर वो मंद-2 मुस्कुराने लगी...
और एक बार फिर से उसकी नज़रें कुणाल के लंड के उभार की तरफ चली गयी.
कामिनी उसके उभार को देख रही थी और कुणाल उसके उभारों को..
गाड़ी चलाते हुए अब उसे हल्का-2 सुरूर सा हो रहा था...
ठीक वैसा ही जैसा कामिनी पर था इस वक़्त...
इसलिए दोनो ही बिना किसी शर्म के एक दूसरे को निहार रहे थे.
कुणाल ने नोट किया की कामिनी मेडम की टाइट ड्रेस में अचानक दो बिंदु उभर आए...
और वो और कुछ नही उसके निप्पल्स थे जो शायद कुणाल के लंड की तरफ देखते हुए उजागर हो गये थे.
अब तो कुणाल के लिए गाड़ी चलाना भी कठिन हो गया..
और जब उसने अपने लंड को एडजस्ट करने के लिए उसपर हाथ रखा तो कामिनी की नज़रें वहां चिपकी रह गयी...
उसे इस वक़्त शायद ये एहसास भी नहीं रह गया था की वो एक मंत्री की बीबी है और अपने ड्राइवर को इतनी गंदी नज़रों से देख रही है.
लंड के आकार का तो उसे बाहर से ही अंदाज़ा हो गया था...
कम से कम 8 इंच का तो था वो...
ऐसे नाग को पिटारे में बिठाये रखना अब कुणाल के लिए भी काफ़ी मुश्किल हो गया था.
वो तो शुक्र था की जल्द ही वो बंगले पर पहुँच गये...
दोनो की हालत खराब थी.
कुणाल ने गाड़ी अंदर खड़ी की तो कामिनी लड़खड़ाती हुई सी बाहर निकली, उसकी चाल को देखकर कोई भी बता सकता था की मेडम ने पी रखी है...
वो उसकी मटक रही गांड को देखकर अपने लंड को कार में बैठे -2 ही मसलने लगा और सोचने लगा की कब वो दिन आएगा जब इसे नंगा करके इसकी गांड में अपना लंड पेलेगा.
अपने बेडरूम में पहुँचकर कामिनी ने एक-2 करके अपने सारे कपड़े उतार दिए...
आज उसकी ब्रेस्ट पहले से ज़्यादा फूली हुई लग रही थी...
इनमे दौड़ रहा खून आज कुछ ज़्यादा ही गर्मी पैदा कर रहा था...
उसकी मांसपेशिया और निप्पल्स पूरी तरह से उभरकर बाहर निकले हुए थे.
वो अपने बदन को उपर से नीचे तक सहलाने लगी...
और फिर जैसे उसे कुछ याद आया और उसने पायल को आवाज़ दी..
वो किचन मे काम कर रही थी, अपनी मालकिन की आवाज़ सुनते ही दौड़ती हुई वो उनके बेडरूम में आ गयी...
और वहाँ पहुँचकर उसने देखा की कामिनी पूरी तरह से नंगी होकर अपने आप को शीशे में निहार रही है...
एक पल के लिए तो बेचारी सकपका सी गयी.
फिर डरते-2 बोली : "जी मालकिन, आपने बुलाया था क्या ?''
कामिनी ने मस्ती भरी नज़रों से उसे देखा और बोली : "हाँ ....बुलाया था...चल आजा ज़रा...बदन दुख सा रहा है आज...मालिश कर दे''
पायल भी उसके हाव भाव देखकर हैरान सी थी...
इतनी बेशर्मी से अपने नंगे जिस्म की नुमाइश उन्होने आज तक नही की थी...
और बात करते हुए वो अपनी ब्रेस्ट के निप्पल्स को जिस तरह से मसल रही थी, वो देखकर पायल के बदन में भी टीस सी उभरने लगी...
आज तक इतनी बेफिक्री से कपड़े उतारकर कामिनी मेडम नही खड़ी हुई थी..
पर अभी जैसा व्यवहार वो कर रही थी उसे देखकर लगता था जैसे कोई धंधे वाली अपने कस्टमर से बात कर रही है..
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