RE: hindi sex kahaniya ज़िद (जो चाहा वो पाया)
मे: यार मे सोच रहा था….कि अगर तुम बुरा ना मानो….तो क्या तुम्हारी पत्नी मेरे लिए सुबह का नाश्ता और रात का खाना बना सकती है….मतलब कि उन्हे खाना बनाने के लिए मेरे घर आने की ज़रूरत नही है…जो भी आपके घर मे बनता है…वो साथ मे मेरे लिए भी बना लिया करे…उसके बदले मे जो मेरे खाने का खरचा होगा वो मे आपको दे दूँगा…महीने के महीने…..
कमलेश: अगर घर पर खाना बनाना है तो कोई दिक्कत नही….मे आज जाते ही बोल दूँगा…..
उसके बाद दारू ख़तम करने के बाद मे और कमलेश घर पर आ गये….मे भी थोड़ा नशे मे था…..इस लिए रास्ते मे खाना ढाबे पर ही खा लिया और फिर रात को 10 बजे घर पहुँचा और फिर पता नही नशे मे कब सो गया….अगली सुबह जब उठा तो रूटीन के मुताबिक मे बाहर आकर ब्रश करने लगा…..कमलेश भी बाहर ही था….वो मेरे पास आया….
कमलेश: तुषार भाई मैने आपकी भाभी को कह दिया है….वो आपका नाश्ता और रात का खाना बना दिया करेगी…
मे: बहुत -2 मेहरबानी आपकी कमलेश भाई….
कमलेश: कोई बात नही तुषार भाई आप बेगाने थोड़े ही हो…..
कमलेश ने अपना पन दिखाते हुए कहा….”अच्छा आप का नाश्ता भिजवा दूं…..” उसने मेरी ओर देखते हुए कहा…
.”नही भाई मे नाश्ता 9 बजे के पास करता हूँ..थोड़ी देर बाद…..”
कमलेश: ठीक है मे तो ड्यूटी जा रहा हूँ….वीना को बोल देता हूँ….
मे: ठीक है भाई….
उसके बाद मे अंदर आया फ्रेश हुआ….शवर लिया…और फिर बाहर अपनी चेयर लगा कर बैठ गया…आज मे मन ही मन बहुत खुश था..जैसे मैने सोचा था….वैसे-2 मे अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहा था….अभी मे कुछ ही देर बैठा था….मुझे वीना के घर की सीडीयों से किसी के ऊपर चढ़ने की आवाज़ सुनाई दी….मैने सीडीयों की तरफ देखा तो वीना ऊपर आ रही थी….वीना दीवार के पास आई….और दीवार पर अपने दोनो हाथ रखते हुए बोली….”आपका नाश्ता ला दूं…..”
मैने वीना की तरफ देखा तो उसके होंठो पर हल्की सी मुस्कराहट थी…..
मे: हां ला दीजिए….(मे चेयर से खड़ा हो गया…और दीवार के पास जाकर खड़ा होकर उसकी तरफ देखने लगा…..)
मे: आपको एक बात कहूँ….
वीना: जी….
मे: आपकी उम्र कितनी है….?
वीना: (मेरा ऐसा सवाल पूछने से वो थोड़ा सा चोंक गयी…)जी क्यों….
मे: वो दरअसल आपको देखने से लगता नही है कि, आपकी इतनी बड़ी बेटी है और बेटा भी है….और कमलेश भाई की एज तो बहुत ज़्यादा लगती है आपसे…..
वीना: (शरमाते हुए) जी 33 साल…..
मे: (चोन्कने का नाटक करते हुए) क्या 33 साल पर आपकी बेटी तो….
वीना: जी वो हमारे यहाँ लड़कियों की शादी जल्दी ही कर देते है…..
मे: ओह्ह अच्छा….वैसे आप दिखाने मे 33 की भी नही लगती…ऐसा लगता है कि आपकी उम्र ज़्यादा से ज़्यादा 25 साल के होगी…..
वीना: (वीना के चेहरे का रंग अपनी तारीफ सुनते हुए शरम से लाल हुआ जा रहा था….ख़ासतोर पर जब तारीफ करने वाला लड़का मेरे जैसा हॅंडसम और जवान हो…) जी काहे को झूट बोल रहे हो आप…हम कहाँ से जवान दिखाई देते है…..
मे: (वीना की चुचियों की तरफ घुरते हुए) हर तरफ से आप जवान ही तो दिखाई देती हो…..
वीना जान चुकी थी कि, मेरा इशारा किस ओर है….और ये बात जानते ही उसके गाल एक दम टमाटर की तरह लाल होकर दहकने लगे थे…..”मे आपका नाश्ता लेकर आती हूँ….” वीना शरमाते हुए जल्दी से नीचे चली गयी…
.मे फिर से बैठ गया और उसके वापिस आने का इंतजार करने लगा…..थोड़ी देर बाद वो हाथ मे नाश्ते की थाली लिए ऊपर आई…..वो अभी भी शर्मा रही थी….वो दीवार के पास आकर खड़ी हो गयी… मैने उसके चेहरे को ध्यान से देखा…..उसके बाल बिखरे हुए थे….शायद सुबह से काम मे लगी हुई थी…..
इसलिए खुद को सँवारने का मोका ही नही मिला होगा उसे….मे खड़ा हुआ और उसके हाथ से नाश्ते की थाली पकड़ ली…”अच्छा आपका बेटा तो स्कूल जाता है…पर आपकी बेटी स्कूल नही जाती…क्यों….?” मेरी बात सुन कर वो चुप हो गयी….फिर कुछ देर सोच कर बोली…”वो दरअसल हम अभी गाओं से आए है ना….तो इस साल बेटी का दाखिला नही करवा सके….*** क्लास तक पिछले साल पढ़ी है…अगले साल इसका भी दाखिला करवा देंगे….”
मैने गोर किया कि, ये कहते हुए उसका चेहरा कुछ बुझ सा गया था….फिर वो वापिस जाने के लिए मूडी, तो उसने अपने दोनो हाथो को सर के पीछे लाते हुए अपने बालो को खोला और फिर उन्हे इकट्ठा करते हुए उन्हे बांधने लगी….एक पल के लिए मैने उसके खुले हुए बालो को देखा….उसके बाल उसके नितंबों तक लंबे थे….और उसकी पीठ पर खुले हुए बाल बहुत अच्छे लग रहे थे….”सुनो….” मैने पीछे से आवाज़ दी….तो वो मेरे पास आ गयी…..”जी और कुछ चाहिए क्या…” उसने थाली मे देखते हुए कहा
…”नही और कुछ नही चाहिए…वो मे कहना चाहता था कि, आप अपने बाल खुले ही रहने दें…...आप के बाल खुले हुए बहुत अच्छे लगते है आप पर…..”
मेरे बात सुन कर वो फिर से शरमाते हुए मुस्कराने लगी…और मूड कर नीचे जाते हुए अपने बालो को बांधने लगी…उसने पलट कर मुझे नही देखा और नीचे चली गयी…तभी मुझे विक्रांत की कॉल आई….जिससे मुझे विशाल ने पिछली रात मिलवाया था….उसने मुझे बताया कि उसने एक छोटा सा नॉवेल मुझे मेल कर दिया है…और अगर हो सके तो मे उसको आज शाम 5 बजे तक उसको हिन्दी मे टाइप करके वापिस मेल कर दूं…मैने नाश्ता किया और अपने रूम मे जाकर पीसी ऑन किया और बैठ कर उसके नॉवेल को हिन्दी मे टाइप करने लगा….
अब तक मे वीना के नेचर को काफ़ी हद तक जान चुका था…..वीना उन औरतों मे से नही थी कि, जो जल्द ही किसी के पास चली जाए…..और मे ये भी जानता था कि, अब वो तब तक ऊपर नही आएगी….जब तक कोई ज़रूरी काम नही होगा…क्योंकि वो खाली बर्तन नीचे ले जा चुकी थी….इसीलिए मेने अपना काम शुरू कर दिया….और शाम 5 बजे तक काम निपटा दिया और विक्रांत को मेल भी कर दी….काम निपटाने के बाद मे रूम से बाहर आया….
वीना छत पर थी….वो नीचे छत के फरश पर चटाई बिछा कर बैठी हुई थी. साथ मे उसका बेटा भी था…जिसे वो उसके स्कूल का होमवर्क करवा रही थी…पर एक बात जो मैने नोटीस की….वो देख कर मेरा दिल ख़ुसी से उछल पड़ा…वीना सुबह के मुकाबले काफ़ी फ्रेश लग रही थी…शायद काम निपटा कर उसने नाहया होगा…उसने बाल भी धोए हुए थे और उसके बाल भले ही अब सुख चुके थे….पर उसने अपने बालो को बाँधा नही था……उसके माथे पर उसकी लटे बार-2 हवा से उड़ कर आ रही थी…..उसने अपने चेहरे से अपने बालो को हटाते हुए जैसे ही मेरी तरफ देखा तो उसके होंठो पर हल्की से मुस्कान फैल गयी….
मे बाहर गली वाली बाउंड्री पर खड़ा होकर नीचे गली मे देखने लगा…और बीच-2 मे उसकी तरफ देखता…कभी-2 हम दोनो की नज़रें आपस मे टकरा जाती. तो अपनी नज़रें झुका कर अपने बेटे की कॉपी मे देखते हुए काम करवाने लग जाती…थोड़ी देर बाद नीचे उसकी बेटी अनु की आवाज़ आई…..” मम्मी चाइ बन गयी है…” वीना उठ कर चली गयी….मैने अभी तक गोर से उसकी बेटी को नही देखा था…मे वहाँ खड़ा सोच रहा था कि, वीना की बेटी भी उसकी तरह कयामत होगी….थोड़ी देर बाद वीना दो कप चाइ लेकर ऊपर आई….और मेरी तरफ बढ़ी….”चाइ पी लीजिए…”
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