RE: kamukta kahani यादें मेरे बचपन की
खैर… फिर से कहानी पर आता हूँ…
कुछ ही दिनों में मुझे काम-दर्शन का सिलसिला रोकना पड़ा क्योंकि छुट्टियों के कारण मेरी दो बुआ (डैडी की बड़ी बहनें) अपने बच्चों के साथ हमारे यहाँ रहने के लिए आ गई।
दोनों बुआ को एक लड़का और एक लड़की थी। मुंबई वाली बड़ी बुआ का लड़का राहुल 20 वर्ष का और लड़की अनन्या (अनु) राहुल से छोटी थी।
इसी तरह जयपुर वाली छोटी भुआ का लड़का सचिन 18 वर्ष का और लड़की सुनीता (सोनी) सचिन से छोटी थी।
दोनों भैया तो बड़े थे इसलिए वो मुझसे दूर ही रहते थे पर राधिका और सोनी की मेरे से बहुत पटती थी। हम तीनों साथ-साथ बैडमिन्टन खेलते, घूमने जाते, साईकिल चलाते, विडियो गेम्स खेलते और स्केटिंग करते थे।
कुल मिला कर हम हर गर्मी की छुट्टियों में बहुत ज्यादा मजे करते थे पर इस बार जब वो लोग आये तब एक बार तो मुझे अच्छा नहीं लगा क्योंकि वो उसी गेस्ट रूम में रुके थे जिसकी खिड़की से मैं अपने मम्मी-डैडी को सैक्स करते देखा करता था।
हालांकि कुछ दिन साथ रहने पर मुझे बैडमिन्टन खेलने, घूमने-फिरने, साईकिलिंग, स्केटिंग, छुपा-छुपी खेलने आदि में बहुत मजा आने लगा था।
वो लोग हमारे यहाँ लगभग डेढ़ महीने से भी ज्यादा रुके और फिर अपने-अपने घर चले गये और मेरा सैक्स-दर्शन फिर से शुरू हो गया।
इस दौरान डैडी कुछ विडियो कैसेट्स भी लाते थे जिन्हें मैं छुप-छुपा कर देख ही लेता था।
समय गुजरने लगा… बातें करते एक साल बीत गया दोनों बुआ फिर छुट्टियों में आईं और चली गई।
अब मैंने स्कूल के अपने दोस्तों से भी सैक्स की चर्चा करना शुरू किया तो पता चला कि उनमें से कुछ ही सैक्स के बारे में जानते थे और जो जानते थे वो भी मुझ से बहुत पीछे थे।
हालांकि मैंने कभी किसी दोस्त को अपने मम्मी-डैडी की रति क्रीड़ा के बारे में नहीं बताया था।
एक बार एक दोस्त ने अपने घर पोर्न मूवी की विडियो कैसेट लाकर हम सब दोस्तों को दिखाई तो दूसरे सभी दोस्त ऐसी चीज पहली बार देखने के कारण अपने आप को धन्य समझ रहे थे और मैं मन ही मन अपने आप पर गर्व महसूस कर रहा था कि मैंने तो ये सब कई बार लाइव भी देखा है।
इस तरह जिंदगी बीत रही थी… अब मैं कभी-कभी ही मम्मी-डैडी को सैक्स करते देखा करता था और वैसे भी केवल देखने से अब मन भर गया था… अब मैं कुछ नया करना चाहता था।
पलक झपकते ही एक साल और बीत गया और फिर छुट्टियाँ आ गई साथ ही मेरी बड़ी बुआ भी राहुल और अनन्या (अनु) के साथ हमारे घर रहने आईं।
इस बार छोटी बुआ किसी कारण नहीं आ पाई थी।
अब मैं भी बड़ा हो रहा था। मेरी नादानी समझें या उम्र का प्रभाव, अब मैं किसी भी सुन्दर लड़की या महिला को सैक्स की नज़र से ही देखता था चाहे वो कोई भी हो इसलिए इस बार मेरे मन में अनु के लिए भी सैक्स की भावनाएँ जागृत हो उठी थी।
पहली बार मैंने अनु के बदन को हवस की नजर से तो पता चला कि बढ़ते हुए उरोजों, मांसल टांगों, और पुष्ट नितंबों वाली अनु सैक्स करने के लिए परफेक्ट थी इसलिए उनके मन के सैक्स ज्ञान को टटोलने के लिए मैंने थोड़ी-थोड़ी द्विअर्थी बातें, जोक्स शुरू कर दिए थे।
खेलते समय मैं कभी-कभी जानबूझकर उसके उरोजों पर भी हाथ लगा देता था।
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