RE: Hindi Sex Kahaniya कामलीला
मैं फ्री हुआ तो मैडम जी कुछ ऐसी तस्वीरों के साथ हाजिर हुईं जिनमें शरीर पर अलग अलग चित्र बने हुए थे और उनके साथ दो मेंहदी के कोन थे।
“सुनो, तुम इस तरह मेरे जिस्म को सजा सकते हो?” उन्होंने तस्वीरें दिखाते हुए पूछा।
“हाँ हाँ… क्यों नहीं !”
उन्होंने अपनी टी-शर्ट उतार फेंकने में देरी नहीं की और मैं कोन सम्भाल के उनके नग्न गोरे और बेहद चिकने शरीर पर मेहंदी से डिज़ाइन बनाने लग गया।
पहले उनकी पीठ पर एक तिरछा चित्र उकेरा, फिर एक ऐसी बेल ली जो दोनो कांधों से ऐसे नीचे उतरती थी जैसे कोई नेकलेस पहने हुए हों।
इसके बाद उनकी नाभि को केन्द्र बना के उसके आसपास ऐसे डिज़ाइन बनाईं कि नाभि खूबसूरत से ज्यादा सेक्सी लगने लगी।
फिर उन्हें आदमकद शीशे के सामने खड़ा करके, जहाँ वो गर्दन घुमा कर अपने चूतड़ों को देख सकें, मैंने उनके चूतड़ों पर दो ऐसे विशाल लिंग उकेरे जो कि उनकी गांड के छेद की ओर तने हुए थे, उनके अंडकोष भी अंकित किये और तत्पश्चात उनके सामने, उनकी प्यारी सी चूत के ऊपर… ऊपर से नीचे आते दो ऐसे पंजे डिज़ाइन किये जो लगता था कि बस नीचे बढ़ के उनक़ी बन्द योनि को खोलने जा रहे हों।
काम पूरा हो गया तो वह इसी नग्न अवस्था में मेहन्दी सूखने तक घर की साफ़ सफाई और फिर खाना बनाने में लग गईं और मैं उन्हीं के डेस्कटॉप पर नैट से जूझने लगा।
इसी तरह दोपहर हो गई… मेहंदी सूख गई तो उन्होंने कॉटन की ढीली ढाली नाईटी पहन ली थी और काम निपटा कर मेरे सामने आ खड़ी हुईं।
“चलो अब मेहंदी छुड़ाने क वक़्त हो गया।” और मेरा हाथ पकड़ कर वे मुझे बाथरूम में ले आईं।
उन्होंने पहले अपनी नाईटी उतार के हैंगर पर टांगी और फिर मेरी चड्डी भी नीचे पहुंचा दी।
फिर शॉवर चालू करके मुझे उसके नीचे खींच लिया और मैं उनका इशारा समझ कर उन्हें चूमने-रगड़ने लगा और मेरे हाथ स्वयमेव उनके पूरे जिस्म पर ऐसे फिरने लगे कि पानी से गीली हुई मेहन्दी मेरे हाथों की रगड़ से छूटने लगी।
फिर जब सारी मेहंदी छूट गई तो वह मेरे होठों को बेकली से ऐसे चूसने लगीं जैसे खा ही जायेंगी और मैं भी उनके मुँह में जीभ डाल कर किलोलें करने लगा।
साथ ही मेरे हाथ उनके भीगे हुए पिस्तानों का ऐसा मानमर्दन कर रहे थे कि उनकी घुण्डियाँ जोश में आकर टन्ना गईं थीं।
मैडम का जोश बढ़ता गया और वह मेरे होठों को छोड़ कर मेरे गर्दन, कंधें, और सीने को चूमने लगीं, साथ ही वह मेरी छोटी छोटी किलोनियों को भी अपनी जीभ से चुभलाने लगीं, मेरे शरीर में सनसनाहट बढ़ने लगी।
मैडम नीचे होती मेरी नाभि तक पहुँची और अपनी जीभ की नोक से उसमें छेड़छाड़ करने लगीं।
इससे मेरे पप्पू में हलचल होने लगी और वह सर उठा कर ऊपर देखने लगा किन्तु उसे ज्यादा देर मैडम जी के मुंह की गीली गर्माहट से महरुम न रहना पड़ा और जल्दी ही मैडम ने उसे अपने मुँह में दबोच लिया और किसी ब्लू फ़िल्म की तरह उसे एकदम सधे हुए अंदाज़ में ऐसे चूसने लगीं कि मेरे दिमाग में फुलझड़ियाँ छूटने लगी।
जब मुझे लगा कि बस काफी हो गया तो मैंने मैडम का चेहरा थाम कर उन्हें अपने लंड से दूर कर दिया और खुद भी नीचे बैठ कर शॉवर के पानी में भीगते हुए ही उनके पूरे जिस्म को कुत्ते की तरह चाटने लगा।
उनकी गर्दन, कंधे, होंठ, चूचियाँ, घुन्डियाँ, पेट और पेड़ू के बाद अंत में जब उनकी योनिद्वार पर पहुँचा तो खरबूजे की महक वाले रस ने मेरि नसिका और जीभ का स्वागत किया।
मैं पहले उनके भगांकुर को जुबान की नोक से छेड़ते रहा, फिर साइड की कलिकाओं को होंठों में दबा दबा कर ज़ोर शोर से खींचने लगा और मैडम पानी की बूंदों में मस्त शरीर को मादक लहरें देतीं मीठी मीठी सिसकारियाँ के साथ मचलने लगीं।
उन्होंने मेरे सर को अपनी चूत पर दबा दिया और मैंने अपनी दो उंगलियों को उनकी चूत की गहराई में उतार दिया और जीभ की करामात दिखाते उंगलियों से बुर का चोदन करने लगा।
जल्दी ही उनकी ऐंठन से मुझे उनके चरमोत्कर्ष का अंदाजा होने लगा और मैंने उंगलियाँ निकाल कर उनकी समूची बूर में ऐसे मुँह और जीभ घुसा कर चाटने लगा जैसे ख़ा ही जाऊँगा और एक महक वाले रस क़ी बाढ़ मैंने अपने मुँह पर झेली, लेकिन साथ ही उन्होंने लग्भग चीखते हुए मेरे मुँह पर लिसलिसे पेशाब की तेज़ धार मारी, जिससे मैं थोड़ा पीछे हट गया।
|