RE: Chodan Kahani दस लाख का सवाल
एक बार फिर जीभ से जीभ मिली और हम दोनों एक नशीले एहसास में खो गए. मुझे पहली बार पता चला कि होंठों से होंठों और जीभ से जीभ का मिलन इतना मज़ेदार हो सकता है. मज़ा शायद वहीदा को भी आ रहा था. तभी वो पूरी तन्मयता से मेरी जीभ से अपनी जीभ लड़ा रही थी.
मेरा हाथ फिर से वहीदा के जिस्म का जायजा लेने में लगा था. इस बार उसका हाथ भी निष्क्रिय नहीं था. वो भी मेरे जिस्म को टटोल रही थी और सहला रही थी. हमारा चुम्बन ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था. न मैं पीछे हटने को तैयार था
और न वहीदा. हमारी जीभ एक-दूसरे के मुंह के हर कोने को टटोल रही थी. कुछ देर बाद वहीदा ने सांस लेने के लिए अपने मुंह को मेरे मुंह से अलग किया तो मेरी नज़र उसके सीने पर गई. ओह, क्या दिलफरेब मम्मे थे! गोरे-गोरे, एकदम अर्ध-गोलाकार और गर्व से उठे हुए! साइज़ में नारंगियों के बराबर और वैसे ही रसीले भी! उनके मध्य में उत्तेजना से तने हुए निप्पल! मेरी नज़र उन पर अटक सी गई. और फिर मेरा मुंह अपने आप एक मम्मे पर पहुँच गया. मेरी जीभ उस पर फिसलने लगी. उसका सफर मम्मे की बाहरी सीमा से शुरू होता था और निप्पल से थोडा पहले ख़त्म हो जाता था. एक मम्मे को नापने के बाद मेरा मुंह दूसरे मम्मे पर पहुँच गया, फिर वही खेल खेलने.
शुरू में तो लगा कि वहीदा भी इस खेल का मज़ा ले रही थी पर फिर वो बेचैन दिखने लगी. उसने मेरे सिर को पकड़ कर अपना निप्पल मेरे मुंह में घुसा दिया. मैंने अपनी जीभ से निप्पल को सहलाना शुरू किया तो उसका शरीर रोमांच से लहराने
लगा. मैंने उसके दूसरे मम्मे को अपने हाथ में ले लिया और उसे मसलने और दबाने लगा. इस दोहरे हमले से वहीदा पगला सी गयी. उसका जिस्म बेकाबू हो कर मचलने लगा. उसकी गर्मी बढ़ती देख कर मैं भी जोश में आ गया. मेरे मुंह और
हाथ का दबाव बढ़ गया. मैं उसकी चूंची को चूसने के साथ-साथ उसके निप्पल को अपने दांतों के बीच दबाने लगा. मेरी मुट्ठी उसकी दूसरी चूंची पर भिंची हुई थी. दोनों चून्चियों का जी भर कर मज़ा लेने के बाद मैंने नीचे की ज़ानिब रुख किया. मेरा
मुंह उसके सुडौल और सपाट पेट और उसके मध्य में स्थित नाभि की सैर करने लगा.
वहीदा अब बुरी तरह मचलने और फुदकने लगी थी. मेरा मुंह उसकी पुष्ट और दिलकश जाँघों पर पहुँच गया. मैं उसकी पूरी जाँघों पर अपनी जीभ फिराने लगा, पहले एक जांघ पर और फिर दूसरी पर. उसकी जाँघों का मनमोहक संधि-स्थल मेरे मुंह
को निमंत्रण देता प्रतीत हो रहा था मानो कह रहा हो कि आओ, मेरा भी स्वाद चखो. जाँघों के मध्य एक पतली सी दरार थी, कोई तीन इंच लम्बी और बालरहित. मेरी जीभ जाँघों के मध्य पहुंची तो वहीदा ने उन्हें जोर से भींच लिया. मैंने यत्न कर
के उसकी जाँघों को चौड़ा किया और अपनी जीभ उसके तने हुए क्लाइटोरिस पर रख दी. जब मेरी जीभ ने उसे सहलाना और चुभलाना शुरू किया तो वहीदा का शरीर बेतहाशा फुदकने लगा. उसने मेरे सर को पकड़ कर जबरदस्ती ऊपर उठाया और
हाँफते हुए बोली, “ये क्या कर रहे हैं, एहसान साहब? प्लीज़, ऐसा मत कीजिये.”
मैंने वहीदा को ताज्जुब से देखा. वो उठने की कोशिश कर रही थी. मैंने उसे कहा, “वहीदा, मेरी जान! मैं तो तुम्हे खुश करने की कोशिश कर रहा हूँ. मैंने सोचा था कि तुम्हे ये अच्छा लगेगा.”
“अच्छा तो लग रहा है,” वहीदा ने जवाब में कहा. “पर ऐसा भी कोई करता है!’
अब मुझे एहसास हुआ कि युसूफ शायद ऐसा नहीं करता होगा इसलिए वहीदा को यह अजीब लग रहा था. कुछ भी हो, उसने यह तो मान लिया था कि उसे यह अच्छा लग रहा था. मैंने सोचा कि मैं उसे चुदाई का पूरा मज़ा दे दूं तो यह चिड़िया
लम्बे अरसे तक मेरे जाल में फंसी रह सकती है. मैंने उसे प्यार से कहा, “मैं तो ऐसा करता हूं और करूंगा. तुम बस आराम से लेट कर इसका लुत्फ़ उठाओ.”
मैंने वहीदा को फिर से लिटाया और इस बार मैंने उसकी चूत को अपने निशाने पर लिया. मैं उसकी रसीली चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा. वहीदा ने अब अपने आप को पूरी तरह मेरे हवाले कर दिया था. एक कहावत है कि अगर बलात्कार
अवश्यम्भावी है तो लेट कर उसका मज़ा लेना चाहिए. शायद वहीदा ने मान लिया था कि अगर चूत-चुम्बन अवश्यम्भावी है तो लेट कर उसका मज़ा लेना चाहिए. मैं चाटने के साथ-साथ अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर बाहर करने लगा. अपनी चूत
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