non veg story किरण की कहानी
09-07-2018, 01:03 PM,
#36
RE: non veg story किरण की कहानी
किरण की कहानी पार्ट--13

लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर

हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा

गतांक से आगे........................

दूसरे दिन अशोक और एसके दोनो बाहर चले गये मैं घर मे अकेली रह गई. मैं बोहोत ही उदास थी इतने मे बेल बजी डोर खोला तो देखा के उषा आंटी डोर पे खड़ी मुस्कुरा रही है. उषा आंटी अपने मयके से आ गई थी और मेरे पास मिलने आ गई. एसके के साथ इतना टाइम गुज़रने के बाद मुझे उषा की याद भी नही आई थी अब उन्है देखा तो मेरे चेहरे पे मुस्कुराहट आ गई और मैं ने दिल मे सोचा के चलो कुछ तो एंजाय कर सकते है. उषा आंटी को बिठाया और कॉफी बना के ले आई दोनो कॉफी पीने लगे और इधर उधर की बातें करने लगे. मैं ने आंटी को आँख मार के पूछा के आंटी क्या कुछ खाने को मिला या मयके से भूकि ही वापस आई हो तो वो हस्ने लगी कुछ बताया नही और इतना कहा के तुम्हारी बोहोत याद आती थी मैं ने भी झूट कह दिया के हा मुझे भी तुम्हारी बोहोत याद आती थी जबके सच तो यह था के एसके के साथ रहते मुझे अशोक की याद भी नही आती थी तो इस आंटी की याद कैसे आ सकती है फिर हम ने वोही 69 वाले स्टाइल मैं एक दूसरे की चूतो को चूसा और अपनी चोटों को प्यास बुझाई. आंटी की चूत मे से ढेर सारा जूस निकला तो मैं ने हंस के कहा के वाउ आंटी इतना ढेर सारा

जूस लगता है कोई मिला नही तो फिर वो हस्ने लगी. मैं भी अकेली थी इसी लिए आंटी देर रात तक मेरे साथ ही रही और रात मे जाते जाते भी एक टाइम और हम ने एक दूसरे का जूस पीया और आंटी के चले जाने के बाद मैं अपने रूम मे सोने चली गई.

दूसरे दिन जब आंटी आई तो उनके साथ एक छोटी सी लड़की भी थी होगी कोई लग भाग 14 या 15 साल की. मैं ने दोनो को अंदर आने के लिए कहा कॉफी बना ने किचन मे चली गई. आंटी तो मेरे साथ फ्री थी ही वो भी किचन मे आ गई और बातें करने लगी तो उनके साथ ही वो लड़की भी आ गई. आंटी ने बताया के इस लड़की का नाम डॉली है इसके पेरेंट्स भी हमारे मोहल्ले मे ही रहते हैं. इसके मम्मी सराह और डॅडी जॉन दोनो रेलवे मे काम करते हैं. दोनो आंग्लो इंडियन क्रिस्चियन हैं. इनकी लोवे मॅरेज थी यह मुझे बाद मे पता चला. खैर. आंटी को डॉली की मम्मी ने बोला था के मुझ से पूछे के क्या मैं डॉली को उसके 10थ के एग्ज़ॅम के लिए कुछ मदद कर सकती हू. मैं ने कहा के आंटी आप को पता नही के अब मैं जॉब करने लगी हू और ऑफीस से काम घर मे ला के यही पे डाटा एंट्री करती हू जिसके लिए ऑफीस से मेरे घर मे एक कंप्यूटर भी आ गया है और मे उसको फुल टाइम नही दे सकती बॅस इतना कर सकती हू के उसको थोड़ा सा गाइड कर सकती हू और उसके होमवर्क मे या कोई डिफिकल्टी हो तो समझा सकती हू पर फुल टाइम नही पढ़ा सकती तो आंटी ने कहा के ठीक है यह कल से तुम्हारे पास आ जाएगी इसको इसके एग्ज़ॅम तक ही मदद करदो 10थ का इंपॉर्टेंट एअर है. मैं ने कहा के कोई बात नही यह कल शाम से आ जाए सुबह का टाइम मैं एसके के लिए फ्री रखना चाहती थी. डॉली बोहोत ही खूबसूरत लड़की थी एक दम से गुडया (डॉल) जैसी शयेद इसका नाम इसी लिए डॉली रखा होगा. क्रीम जैसा गोरा रंग, छोटे लाइट ब्राउन कलर के बालों की पोनी टेल जो उसके सर से लटक ती हुई बोहोत अछी लग रही थी. शॉर्ट स्कर्ट और ब्लाउस पहेना करती थी. चुचियाँ अभी छोटी ही थी छोटे साइज़ के संतरे जीतने होंगे. उसके ब्लाउस मे से उसके निपल का छोटा सा उभार सॉफ दिखाई दे रहा था. मीडियम बिल्ट थी उसकी लैकिन ऑन दा होल वो एक बे इंतेहा खूबसूरत डॉल जैसी थी और मुझे पक्का यकीन था के जब वो जवान होगी तो पता नही रास्ता चलते कितने लोग उसको देख के अपने पॅंट मे ही झाड़ जाएँगे. डॉली डॅन्स क्लासस भी अटेंड करती थी इसी लिए उसके लेग्स और थाइस भी बोहोत ही शेप मे थे और जब वो मुस्कुराती तो उसके गाल मे छोटे छोटे डिंपल पड़ते बोहोत ही मस्त दिखाई देते थे.

सुबह एसके आ जाते और मेरे साथ ही कॉफी पीते और फिर हम दो या तीन राउंड मस्त चुदाई का होता फिर वो ऑफीस चले जाते कभी तो डाइरेक्ट लंच से थोड़ा पहले आते और चुदाई के बाद लंच और फिर शाम को कॉफी पी के चले जाते. डॉली तकरीबन डेली शाम को 5 बजे के आस पास आ जाती और अपना काम करती रहती कभी उसे कुछ पूछना होता तो मैं उसको समझा देती कभी मथ्स कभी साइन्स कभी सोशियल. डॉली एक आवरेज स्टूडेंट थी लैकिन समझने पर जल्दी ही समझ जाती. मैं उसको अक्सर देखती रहती थी वो थी ही इतनी खूबसूरत.

एक दिन अछी ख़ासी बारिश हो रही थी एसके भी नही आ सके थे और अशोक कही बहेर टूर पे गये हुए थे दो दिन से चुदाई नही हुई थी तो मैं थोड़ा सा उदास थी. उस दिन शाम के टाइम जब डॉली आई तो वो अछी ख़ासी भीग चुकी थी तो मैं ने कहा के अरे डॉली तुम तो भीग चुकी हो चलो अंदर मैं तुम्है टवल देती हू अपने बदन ड्राइ कर लो और तुमको इतनी बारिश मे आने की क्या ज़रूरत थी कल आ जाती ना तो उसने कहा नही आंटी मुझे कुछ आप से समझना था कल हमारे क्लास मे साइन्स का टेस्ट है इसी लिए आना ज़रूरी था तो मैं ने कहा ठीक है पहले तुम चलो और अपना बदन पोंछ लो फिर पढ़ लेना. मैं डॉली को ले के अपने रूम मे आ गई और उसको बड़ा सा टवल दिया और कहा के तुम अपने कपड़े उतार दो और यह टवल लपेट लो. कपड़े जब सूख जाएँ तो पहेन लेना तो उसने कहा ठीक है आंटी. डॉली कुछ हेज़िटेट कर रही थी
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