Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 09:19 PM,
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
कविता आंटी उन्हे खुले मूह से देख रही थी. हम सभी कन्फ्यूज़्ड थे. ये सब अचानक हो रहा था और अंकल का ये सब कहना बड़ा अजीब सा लग रहा था....ये सब क्या था कुच्छ समझ नही आया. आंटी अंकल को देख रही थी और अंकल उन्हे. इतने में अंकल एक घुटने के बल बैठ गए. उन्होने आंटी का हाथ पकड़ा और दूसरे हाथ से उनके गाल पोन्छे.

राकेश अंकल - कविता देखो देखो मेरी तरफ.....मैं मानता हूँ कि मैं एक आयाश किस्म का आदमी हूँ. लड़कियाँ औरतें मेरी कमज़ोरी हैं....तुम अच्छे से जानती हो कि मैने हमेशा एक आवारा की तरह हर औरत को देखा है. पर अगर तुम्हे याद हो तो बेटी की शादी तक मैने कभी कोई ग़लत हरकत नही की. उसके बाद तुमने मेरी तरफ देखना छोड़ दिया. तुम्हे लगने लगा कि तुम अब दादी नानी वाली केटेगरी मे आ गई हो. और मैं अकेला पड़ गया.....बस तभी ये सब हुआ. और हां मैं शक करता था कि तुम्हे और बच्चों को पता है पर तुमने कभी कुच्छ कहा नही और पुछा नही तो मैने भी बात नही कही. पर मेरे मन में एक सवाल रहता था कि तुम पूछती क्यों नही.........आज जब अवतार जी ने ये सब बातें छेड़ी तो मुझे लगा कि जैसे तुम्हे मेरे से प्यार नही था....कि तुम मुझसे पूछती मुझे ताना देती या लड़ाई करती.........मैने सिर्फ़ तुमसे और तुमसे प्यार किया है....बाकी सब जो भी किया वो वासना थी और कुच्छ नही....एक टेंपोररी रिलीफ......मज़ा कह सकती हो.....

अंकल की ये सब बातें सुन के आंटी थोड़ा और रोने लगी. अंकल ने उन्हे अपने कंधे से लगा लिया. बाकी सब बड़े गौर से ये सब देख रहे थे. कोई कुच्छ नही बोला. सब अपनी दारू भी भूल चुके थे. आंटी रोते रोते अंकल से लिपट गई. तब अंकल ने उन्हे उठा के अपने गले से लगा लिया. आंटी के रोते चेहरे को उपर उठा के उनके आँसू पोन्छने लगे. शायद आंटी पूरी बात समझ चुकी थी. अंकल के कंधो पे हाथ रखे रखे वो उन्हे देखती रही. फिर अंकल ने नीचे झुक के उन्हे किस किया. किस हल्का था ...उसका जवाब आंटी ने भी वैसे ही दिया...पर इसके बाद जो हुआ वो काफ़ी रोमॅंटिक और सेक्सी था. अंकल ने आंटी को पकड़ के ज़ोर से किस करना शुरू कर दिया. देखते देखते दोनो एक दूसरे में खो गए और शायद आदत से मजबूर अंकल का हाथ आंटी के मम्मो पे चला गया और उनके निपल को छेड़ने लगा. किस करते करते आंटी के मूह से सिसकारियाँ निकलने लगी और शायद वो भी आदत से मजबूर थी...और उन्होने साड़ी के नीचे से अपनी एक टाँग मोड के उठा दी और अंकल की थाइ से रगड़ने लगी.

ये सब देख के अचानक से सब ठीक हो गया और संजय ने एक ज़ोर की सीटी मारी और फिर सबने ज़ोर से तालियाँ बजानी शुरू कर दी. पता नही कैसे सब को ये सीन देख के बहुत अच्छा सा लगा और सभी मर्द उठ के अपने अपने पार्ट्नर के पास पहुँच गए. बाबूजी, मा और राज को छोड़ के सभी अपने अपने पार्ट्नर के साथ किस्सिंग करने लगे. राज और मा एक दूसरे के नज़दीक खड़े थे. अचानक से मा को क्या हुआ पता नही और उन्होने राज को खींच के किस करना शुरू कर दिया. राज एक दम हक्का बक्का रह गया. बाकी सभी अपने अपने किस मे मशगूल थे पर मेरी नज़र मा पे पड़ चुकी थी. राज कुच्छ सेकेंड तक तो भोचक्का था पर फिर उसने भी अपने जोहर दिखाते हुए मा को पूरा साथ देना शुरू कर दिया. अचानक से मा का हाथ राज की पॅंट के उपर चलने लगा और एक सिसकी के साथ उसका हाथ मा के मम्मे निचोड़ने लगा. बाबूजी जो कि ये सब थोड़ी दूर खड़े देख रहे थे हल्का सा लड़खड़ाते हुए दोनो के नज़दीक पहुँचे और मा के पिछे से उनकी गर्दन पे किस करने लगे. राज के लिए ये दूसरा झटका था.

सभी अपने अपने पार्ट्नर के साथ किस्सिंग और स्मूछिंग मे लगे हुए थे और बीच मे शोभा दीदी और जीजू का किस टूटा. जीजू का चेहरा मा की तरफ था और वो फटी आँखों से मा को देखने लगे. उनको उस तरफ देखता देख शोभा दीदी भी देखने लगी. मा की नज़र उनपे पड़ी तो उन्होने राज को किस करते हुए आँख मार दी. मा के एक मम्मे पे बाबूजी का हाथ था और दूसरे पे राज का. राज का चेहरा पकड़े हुए मा उसे किस कर रही थी और गान्ड पिछे धकेल के बाबूजी के उभार पे रगड़ रही थी. शोभा दीदी को मा की मस्तिओ के बारे में पता था तो उन्हे इतना सर्प्राइज़ नही हुआ जितना कि जीजू को हुआ था. दीदी ने मस्ती मे आते हुए जीजू के हाथ अपनी गान्ड पे रख दिए और उनके लंड को पॅंट के उपर से दबाने लगी. इतने मे बाकी सब भी धीरे धीरे बाबूजी, राज और मा की तिकड़ी को देखने मे लग गए.

मा का मूह राज के थूक से भरा हुआ था. बाबूजी उनकी पीठ पे किस करते हुए उनकी नाइटी को खोल रहे थे. नाइटी के बाहर का हिस्सा उतर के ज़मीन पे पड़ा हुआ था. अब मा के बदन पे सिर्फ़ अंदर वाला नूडल स्ट्रॅप वाला हिस्सा था जो कि उनकी थाइस तक कवर किए हुआ था. मा का एक नूडल स्ट्रॅप नीचे उतर चुका था और उनका एक मम्मा बाहर था जिसे अब राज बड़े मज़े से चूस रहा था. बाबूजी ने मा का चेहरा पकड़ा हुआ था और उनकी उंगलियाँ और हथेली मा के चेहरे पे रेंग रहे थे. इतने मे मैने बाकी सबको देखा. सब बड़े ध्यान से तीनो की तरफ देख रहे थे. ऑलमोस्ट सभी आदमी अपने अपने पार्ट्नर के मम्मे दबाने में बिज़ी थे और औरतों के हाथ पॅंट्स के उपर से लंड सहलाने मे. इतने मे राजू भैया ने मिन्नी भाभी को कुर्सी पे बिठा दिया और अपनी पॅंट की ज़िप खोल के रोड बाहर निकाल दिया.
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