Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 09:16 PM,
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
बाबूजी ने भी पिछे झुक के बैठते हुए अपना लास्ट पैंतरा चला.

''जिसकी भी बात तुम कर रही हो मेरी सम्धन जी....उसको तुम सोच भी नही सकती.....और रही बात तुम्हारी मदद की तो उसकी तो ज़रूरत ही नही पड़ेगी कभी......पर तुम्हारा भोग तो मैं लगा सकता हूँ.....आज अभी यहीं.........जब तुम ही बिच्छने को तैयार हो तो मैं क्यों पिछे हटु......पर एक बात है कि अगर आज मैने भोग लगा दिया तो ये कोई पक्का नही कि आगे कब होगा...'' बाबूजी ने भी सरला के गालों को सहलाते हुए जवाब दिया.

''आज भी होगा और आयेज भी.....आज अगर तुमने कर दिया तो ऐसे पागल हो जाओगे जैसे की कोई कुत्ता कुत्ति की सूंघ लेके हो जाता है......हमेशा मौका ढुंढोगे मुझे पकड़ने का.....ये बात मेरी तरफ से पक्की है...'' सरला ने उनकी जुड़ी हुई उंगली को मूह में दबोच के उसपे जीभ चालनी शुरू कर दी.

''अच्छा अगर ऐसी बात है तो फिर तुम्हे उसकी मदद की ज़रूरत पड़ेगी जो मेरे बिस्तर को रोशन करती है......अगर वो मान गई तो एक साथ तुम दोनो को बिस्तर पे रोशनी करने का मौका आए दिन मिलता रहेगा.......'' बाबूजी उंगली चुस्वाते हुए बोले.

''अच्छा अब वो छिनाल कम्मो मेरी मदद करेगी तुम्हारा लोड्‍ा लेने के लए......उस साली की क्या औकात है.......कल की छोकरी है वो और मैं हूँ पड़ी लिखी खेली खिलाई चूत......मेरे सामने उसकी क्या बिसात....'' सरला अचानक से उत्तेजित हो गई और गुस्से में बोली.

''छिनाल तो वो है और तुम भी हो .......पर एक बात समझ लो कि मेरे बिस्तर मे रोज़ आने के लए तुम्हे उसे पटाना ही पड़ेगा. हर दोपहर को जब बहुएँ सोती है तो बस वही एक है जो घर में जागती है.......और वही है जो मौका देख के मेरे नीचे आती है......अब अगर तुम्हे नीचे आना है तो पहले उसकी चूत को पटाओ......फिर उसकी चूत भी बंद रहेगी और उसके होंठ भी और तुम अपनी मर्ज़ी से कुत्ति बन के इस कुत्ते को रोज लेना.....समझी मेरी बुध्हु सम्धन...'' बाबूजी ने नज़दीक जाके प्यार से पुच्कार्ते हुए सरला की नंगी पीठ पे चुंबन लेते हुए कहा.

''ऊऊऊहह.....उम्म्म्ममम......राजपाल.......उम्म्म्ममम क्या जादू है तुम में.....छोड़ो उस छिनाल को...अभी जो छिनाल तुम्हारे सामने है उसको देखो मेरे बलमा........ऊओह हान्ं...उउम्म्म्म....उउंम्म स्ल्लुउर्र्रप्प...उउंम...पुच...पुच...उउम्म्म्म...स्ल्लुउर्रप्प्प......'' पीठ पे चुंबन पाते ही सरला पागल होने लगी. तैयार होते हुए ही उसकी चूत गिलगिला गई थी और अब तो कमाल ही हो गया. उसने अपना मूह मोड़ के बाबूजी को किस करना शुरू कर दिया. थूक से भरे हुए होंठों से लिपस्टिक बाबूजी के होठों पे लग गई. कम्मो का ये सब देख के बुरा हाल हो रहा था. सरला की बातो से उसके बदन में आग लग गई थी. सरला उसे गालियाँ दे रही थी तो गुस्सा आ रहा था पर अब उसके इस मादक अंदाज़ को देख के कम्मो की चूत में चीटियाँ रेंग रही थी. उसने तुरंत अपनी कछि उतार दी और घाघरे को उठा के चूत में उंगली डालने लगी.

उधर बाबूजी का लंड शॉर्ट्स में से बाहर आ चुका था और सरला की मुट्ठी में था. सरला की साड़ी उपर से उतर चुकी थी और ब्लाउस भी खुला पड़ा था. उपर से अब वो पूरी नंगी थी और बाबूजी उसके चूचे चूसने में व्यस्त थे.बाबूजी की जीभ के नीचे वो बुरी तरह से कराह रही थी. उसकी मोनिंग बढ़ती जा रही थी. जब भी बाबूजी उसका निपल काटते तो सरला की गान्ड कसमसाने लगती और मुट्ठी टाइट हो जाती. बाबूजी ने अपनी पूरी एक्सपर्टीस दिखाते हुए उसके मम्मे दबाना और चूसना चालू रखा. फिर एक झटके में उन्होने अपना सिर पिछे किया और नशीली आँखों से सरला को देखा. सरला ने भी नशीली आँखों से उनको देखा और दोनो एक साथ झटके से एक दूसरे पे टूट पड़े. बाबूजी और सरला एक दूसरे के गाल, कान होंठ, माथा और चेहरे के बाकी हिस्से और गर्दन को बेतहाशा चूमने लगे. उनका वहशिपन देख के कम्मो दंग रह गई और उत्तेजना में खड़े खड़े ही झाड़ गई. अपनी चीखो को दबाने के लए उसने मूह में हाथ रख लिया और ज़ोर से अपने को ही काट खाया.

अब बाबूजी और सरला का वहशिपन अगली सीमा पे पहुँच गया और अपने सामने खड़ा करके एक के बाद एक बाबूजी ने सरला के बाकी कपड़े उतार दिए. बाबूजी के सामने पूरी नंगी खड़ी सरला ने बस हाइ हील्स के सॅंडल पहने हुए थे. जैसे ही वो नंगी हुई उसने एक बार अपने बालों में हाथ फेरा और फिर बाबूजी को बालों से पकड़ के खड़ा कर दिया. आनन फानन में बाबूजी भी नंगे हो गए और दोनो खड़े खड़े एक दूसरे को सहलाने और चूसने लगे. हाइ हील्स में सरला का कद बाबूजी के बराबर हो गया था और दोनो एक दूसरे की गान्ड मसलते हुए रस्पान कर रहे थे. दोनो के मूह से लार टपक रही थी. फिर बाबूजी ने उसके निपल पाकर के खींच दिए और सरला दर्द से करहा उठी. मादरचोद की गाली उसके मूह से अपने आप ही निकल आई और बाबूजी ने उसके बदले में उसको घुमा के खड़े खड़े ही उसकी गान्ड पे 3 - 4 थप्पड़ धर दिए. सरला इससे पहले कि और कुच्छ कहती बाबूजी ने उसे वही कार्पेट पे कुतिया बना दिया और खुद उसकी चूत के नीचे सिर लगा दिया. सरला समझा गई कि पहले उसकी चूत का रस बाबूजी के मूह में जाएगा और उसने भी गान्ड घुमाते हुए चूत की फांके दोनो हाथों से खोली और धम्म से बाबूजी के मूह पे बैठ गई.

बाबूजी की लप्लपाति जीभ सरला की चूत के फांकों पे फिर रही थी. चिकनी चूत में से मस्त खुश्बू आ रही थी. बाबूजी उसकी चूत की फांकों पे लंबे लंबे स्ट्रोक्स लगा रहे थे. बीच बीच में उसके चुम्मे भी ले रहे थे. सरला हल्के हल्के गान्ड घुमा रही थी. इसी बीच वो अपने चूतर पकड़ के फांके खोल देती और गान्ड की दरार में उंगली चला रही थी. उसकी गान्ड में भी खुजली मची हुई थी. इसलिए छेद में थूक से भरी उंगली भी कर रही थी. बाबूजी का लंड उसकी आँखों के सामने था पर उसको मूह में लेने का मन नही था. वो बाबूजी को थोड़ा तरसाना चाहती थी.



उधर सरला की आहें सुन के कम्मो का हाल बुरा हो गया था. सोफे की वजह से वो ज़मीन पे होती हुई चीज़ें तो देख नही पा रही थी. पर सरला का सिर और उसके उरोजे बीच बीच में दिख रहे थे. बाबूजी की कोई आवाज़ नही आ रही थी इसलिए उसे पता था कि सरला उनके मूह पे चढ़ि हुई है.

''चूऊऊऊसस्स्सस्स हराअमिीईई ऊऊऊऊऊऊमाआआ............''' सरला का एक मिनी ऑर्गॅज़म हुआ और उसका सिर ज़ोर ज़ोर से हिलने लगा. अब कम्मो की चूत ने आग बरस दी और उसने वहीं दरवाज़े के पास खड़े खड़े अपने कपड़े उतारे और दौड़ते हुए कमरे में नंगी दाखिल हुई. उसकी पैरों में बँधी पाजेब और चूड़ियों की खनक से बाबूजी को उसके आने का पता चल गया. उनका ध्यान सरला की चूत से बहते हुए रस से हट गया और दिमाग़ में एक ही बात आई कि कम्मो ने सब गड़बड़ कर दी. {आर उन्हे क्या पता था कि आगे क्या होने वाला है.

कम्मो ने जैसे ही दौड़ना शुरू किया और उसकी आवाज़ सरला के कानो में पड़ी उसने अपनी मस्ती और नशे से भारी आँखें खोल दी और दरवाज़े की तरफ देखा. गठे हुए बदन की कम्मो के मोटे मोटे झूलते हुए चूचे देख के सरला को राखी की याद आ गई और माल का किस्सा याद आ गया. उसने झट से अपनी बाहें खोल दी जैसे कि कोई लवर अपने पार्ट्नर को बुलाता है. कम्मो के चेहरे पे खुशी आ गई और वो दौड़ते हुए सरला की बाहों में आ गई. उसके ऐसा करने से सरला का बॅलेन्स बिगड़ गया और दोनो एक दूसरे के बदन को बाहों में पकड़े हुए कार्पेट पे गिर गए. सरला कम्मो के नीचे थी और दोनो के चूचे आपस में घिस रहे थे और गर्मी का आदान प्रदान कर रहे थे. कम्मो पे भी वही वहशी पन सवार था जो कि बाबूजी और सरला पे थोड़ी देर पहले था और उसने भी तबड तोड़ सरला को चूमना शुरू कर दिया.

सरला उसके इस हमले से जितनी सर्प्राइज़्ड हुई उससे कहीं ज़्यादा वो गरम हो गई. कुच्छ सेकेंड के लिए उसने अपनी बहन खोल दी और बाजू सिर के पिछे लगा दी. कम्मो को ज़ुबान और होठों को उसने अपना पूरा बदन समर्पित कर दिया. कम्मो उसकी नंगी बॉडी को देख के किसी जवान लड़के की तरह पागल हो गई और उसके चेहरे, गर्दन, कान, आर्म्पाइट्स, मम्मो, नाभि, पेट, चूत, थाइस और पैरों की उंगलिओ तक उसको चूमती चाट्ती रही. उधर इतना सब कुच्छ अचानक हो जाने से बाबूजी सोफे का सहारा लिए बैठे हुए खुले मूह से सब कुच्छ होता हुआ देख रहे थे. सरला की मोनिंग ने ज़बरदस्त रूप ले लिया था. सिसकारियाँ और गालियाँ दोनो एक साथ उसके मूह से निकाल रही थी. कम्मो भी चुंबनो के बीच बीच में गालियाँ दे रही थी.

''ऊऊहह हराम की जनि कहाँ थी इतने दिन तू....खा जा मुझे कुत्ति.....तेरी मस्त चूची का दाना डाल मेरी भोस में ...उउम्म्म्मम रगड़ उसको मेरी चूत के दाने पे......ऊओ माआ.......साअली हरामज़ादी काट मत....बहेन की लौडि उपर आ ...तेरे होंठ चूसने दे.....तेरा ये गाँव की छोरी सा चोदु बदन मुझे बाहों में लेने दे........उउउम्म्म्म कम्मूऊ....मेरी छिनाल बन ...और मुझे तेरी रांड़ बना....उउम्म्म्ममममम....तेरी चूत से चूत मिलाने दे........'' सरला अब तड़प रही थी.

''हां बीबी जी आज से तू मेरी रांड़ और मैं तेरी.....उउफफफफ्फ़ बीबीजी तेरी उमर को देख के सोचा भी नही था कि इतनी बढ़िया चूत होगी तेरी....इसे तो मैं रोज़ खाउन्गि.....उउम्म्म्मम कुत्ति की चूत है ...कितना रस छोड़ती है.....हाअए.....पच..पुच...पुच...उउम्म्म्मम.....स्लूउर्र्ररप्प्प....उूउउफफफ्फ़...इसको चाट के तो मेरे जोबन में भी आग लग गई...........उउउम्म्म्ममम....ले मेरे होंठ चूस मेरी हरामी मालकिन......और देख ले तेरे यार का लोड्‍ा कैसे हम दोनो को देख के टाइट हो रखा है....इसका भी कुच्छ कर दे...मेरी चूत में लगवा दे.....उउम्म्म्म मेरी प्यारी रंडी सहेली....दिलवा दे प्लीज़.........तेरी चूत को भिगो भिगो के पीउंगी......'' कम्मो चूत रस से भीगे होंठ लेके वापिस सरला के उपर आ गई और उसको चुंबन देने के लिए अपना मूह खोल दिया.
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