RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
खानदानी चुदाई का सिलसिला--30
गतान्क से आगे..............
बाबूजी के लंड की पिचकारीओं से मिन्नी भाव विभोर हो गई और सारा माल मूह में भरती चली गई. माल काफ़ी था और मूह से बाहर निकलने वाला था कि राखी थोड़ी सी टेडी हुई और अपने मूह को टट्टों के ठीक नीचे ले गई. मिन्नी के मूह की साइड से निकली वीर्य की धारें बाबूजी के टट्टों से फिसलती हुई सीधा राखी के होठों पे पड़ी. फटाफट लपलपा के राखी अपने होठों को जीभ से सॉफ करती रही. बाबूजी के वीर्य का स्वाद हमेशा ही उसको मज़ा देता था. इतने में मिन्नी ने बाबूजी का लोडा छोड़ दिया और राखी के होठों से अपने होंठ मिला दिए. अब दोनो जेठानी देवरानी एक दूसरे से लिपट गई और साइड से एक दूसरे को दबोच के एक एक मम्मो आपस में रगड़ते हुए गहरी गहरी किस्सस करने लगी. बाबूजी का वीर्य दोनो के मूह में भरा हुआ था. धीरे धीरे उसे गटाकने में दोनो को मज़ा आ रहा था और साथ ही साथ दोनो की जीभें भी आपस में भिड़ रही थी. इतने में सरला भी आगे को हुई और उनसे चूमा चॅटी करने लगी.
सखी जो की अबतक काफ़ी चुद चुकी थी और 2 बार स्खलित हो चुकी थी अचानक से कुच्छ सोच के संजय से अलग हो गई. संजय जो कि ऑलमोस्ट छूटने के लए रेडी था हैरान रह गया. तभी सखी ने उसका लंड पकड़ा और उसे उठाया और उसे लेके बाकी के ग्रूप के नज़दीक आ गई. फिर वो भी कुत्ति बनी और संजय के लंड के टोपे को मरोड़ते हुए उसे मुठियाते हुए सभी औरतों के मूह की तरफ कर दिया. अब चारों औरतें कुत्ति बनी हुई थी और संजय का लंड उनके आपस में जुड़े हुए गालों के बीच लहरा रहा था. संजय समझ गया कि सखी उसके वीर्य का स्वाद एक टाइम पे सबको चखवाना चाहती है. उसने आव ना देखा ताव और ज़ोर से लंड मुठियाना शुरू किया. 4रों औरतें रॅंडियो की तरह एक दूसरे से जीभ मिलाए हुए मूह खोले उसके वीर्य का इंतजार कर रही थी कि अचानक से सुजीत भी राखी की चूत छोड़ के दूसरी तरफ से आके खड़ा हो गया.
''एसस्स भैया एक साथ छोड़ना......सालिओ के मूह भर दो.....नहला दो...कुत्तिओ को....उउउम्म्म्म भैया रेअदययययी ??? मैं बस 2 - 3 बार में आया.........आप मेरी रांड़ सास और अपनी बहू के मूह पे छोड़ो मैं अपनी चुदास भभिओ को पिलाता हूँ........ एससस्स........ये लो राखी भाभी......मिन्नी भाभी....अपने देवेर का स्वाद लो.......उउररगज्गघह पिच्छ पिचह पिच पिचह पिचह प्सीहह...........उउउम्म्म्मम पिओछ्ह्ह्ह'' करहाते हुए एक के बाद एक 7 पिचकारियाँ संजय ने राखी और मिन्नी के मूह पे मार दी. दोनो के चेहरे वीर्य से सन्न गए और जगह जगह से वीर्य के धारे टपकने लगे. दोनो जैसे कई दिनो की भूखी एक दूसरे को किस करने लगी और एक दूसरे का चेहरा चाटने लगी. इतने में सखी ने राखी के गाल चाटने शुरू कर दिए और सरला ने दोनो से अपनी जीभ भिड़ा दी. सुजीत 4रों का रांड़पन देख के एक दम उत्तेजित हो गया और उसने भी सरला मूह खुलवा के उसमे पिच पिच करते हुए 4 - 5 पिचकारियाँ मार दी. सरला का मूह भरते ही ब्बाकी 3नो औरतें उसपे एक साथ टूट पड़ी. पहले बाबूजी और अब संजय और सुजीत के वीर्य मिश्रण से सबके चेहरे भरे हुए थे. पर सबसे कम सखी को मिला था और राजू से ये सहन नही हुआ. वो एक झटके में मिन्नी की चूत से बाहर हुआ और लगभग दौड़ते हुए उसने संजय को धक्का मारा और साइड किया. राजू अपने लंड को कस के सुपादे के नीचे से भींचे हुए था और उसने खट्ट से लंड का सूपड़ा सखी के मूह में घुसेड़ा और हाथ लंड से हटा लिया.
राजू का झरना इस आधे घंटे की चुदाई का सबसे बढ़िया द्रिश्य था. संजय ने सखी के दोनो गालों पे हाथ रखा हुआ था. सरला, मिन्नी और राखी एक दूसरे के मूह को चाट रही थी और राजू के वीर्य का इंतेज़ार कर रही थी. तभी सरला ने सखी के होठों की किनारी पे जीभ चलानी शुरू कर दी. राखी ने एक हाथ बढ़ा के अपने जेठ के टटटे थाम लिए और उन्हे हल्का हल्का मसाज करने लगी और राजू कमर पे हाथ रखे हुए सिर उपर उठाए ज़ोर ज़ोर से हाथी की तरह चिंघार्ते हुए सखी के मूह में झरने लगा. उसका लंड बहुत भयंकर रूप से झटके खा रहा था और उपर से सखी की जीभ उसके लंड के टोपे के निच्चे हिस्से पे रगड़ रही थी. 3 - 4 पिचकारियो के बाद अचानक से राजू को उन्मान्द का ऐसा झटका लगा कि लंड छितक के बाहर निकल आया और 2 - 3 पिचछकारियाँ सखी के मूह और संजय की थाइस पे गिरी.
बाकी 3नो औरतें ये देख के ऐसे टूटी जैसे कि भूखी शेरनिया हों. मिन्नी ने एक हाथ से सखी का मूह पकड़ लिया और उसको खोलते हुए राजू का वीर्य शेर करने लगी. राखी ने मूह टेडा करके राजू का लंड मूह में भर लिया और ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे करने लगी. करीब 7 इंच मूह में भर लेने के बाद उसने एक बार फिर से राजू के टटटे सहलाए और आख़िरी पिचकारी अपने गले के नीचे उतरवा दी. राजू ने उसका सिर और भी दबा दिया जिससे की राखी के नथुने फूल गए और साँस अटक गई. उसके गाल भी फूल गए और राजू ने कस्स कस्स के उसके मूह में 4 - 5 घस्से मारे और लार टपकाता लंड बाहर कर लिया. राखी को खाँसी का एक दौर आ गया और उसकी लार बाबूजी के लंड और टट्टों पे गिरने लगी. सरला जो कि संजय की थाइस पे गिरा राजू का वीर्य चाट रही थी वो अब बाबूजी के लंड पे जुट गई और राखी की लार को चाटने लगी.
सखी और मिन्नी का चुंबन ख़तम होने का नाम ही नही ले रहा था और दोनो बाकी सबको धक्का मार के एक दूसरे से चिपक के कार्पेट पे लेट गई. बगल में घुटनो के बल बैठा हुआ संजय उनकी चूमा चाती को देखता रहा और सुजीत और राजू अपने अपने लंड थामे कार्पेट पे हाँफने लगे. बाबूजी का लंड सरला की जीभ से एक बार फिर खड़ा होने लगा पर उनके शरीर में जैसे जान नही थी. सरला की भीगी हुई चूत अभी भी उनके होठों से चिपकी हुई थी. और इस प्रकार बाबूजी की फॅमिली का चुदाई का एक और अध्याय ख़तम हुआ.
अब आगे देखते हैं कि इतनी चूते और इतने लंड आगे क्या क्या गुल खिलाते हैं.
मंडे की सुबह की शुरुआत धीमी थी. सभी सुस्ती में उठे. रात को एक एक राउंड और हुआ था. उसमे सभी औरतें एक के बाद एक सभी मर्दों की गोद में बैठ के चुद्ति रही. म्यूज़िकल चेर की तरह एक के बाद एक नए लंड को नई चूत मिलती. सभी बहुत अच्छे से चुदे और चोदा और मज़े लेके एक दूसरे को दिखा दिखा के गंदी गंदी बातें बोलते हुए झड़े. सरला के चुदाई में शामिल होने से एक बात तो पक्की हो गई थी. अब सबकी ज़ुबान पे हल्की हल्की गालियाँ आनी शुरू हो गई थी. कहाँ पहले सिर्फ़ रंडी चूत, लंड, चूचे, चोदो, फाड़ डालो, पेलो जैसे शब्दों का इस्तेमाल होता था. वहीं अब गालियाँ बहेन चोद, बहेन की लोदी, मदर्चोद, सास चोद, ससुर चोद, छिनाल, कुत्ति, भद्वे जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल होने लगा था. बीच बीच में अब थोड़ा सा प्यार के साथ साथ चुतडो पे थप्पड़ बजाने का भी रिवाज सा बनता जा रहा था. बाबूजी के चूतड़ो को छोड़ के ऑलमोस्ट सभी ने एक दूसरे के चूतड़ो पे थप्पड़ लगा दिए थे.
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