Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 09:08 PM,
#62
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
करीब 2 - 3 मिनट तक अच्छे से उसने चूत और उसके आस पास के हिस्से की अपने हाथ, उंगली और हथेलिओं से मालिश की. मालिश करते हुए सुजीत अपने भाग्य पे खुश था. दोस्तो हमने वो सीन मिस कर दिया कि सरला और सुजीत यहाँ तक पहुँचे कैसे चलो कोई बात नही पीछे चल कर देख लेते हैं कि आख़िर इन दोनो के बीच हुआ क्या था .................... माल पार्किंग में संजय की गाड़ी चले जाने पे बाबूजी ने उसे कहा था कि वो थोड़ी देर में माल आएँगे. वापिस कॉफी शॉप में जाके सरला के साथ एक और कॉफी ख़तम ही की थी कि बाबूजी का फोन आया. उसे जल्दी से मेन रोड पे आने को कहा आज ट्रॅफिक ज़ियादा था और गाड़ी देर तक पार्क नही कर सकते थे. सुजीत फटाफट सरला को बोल के भागा. पीछे पीछे सरला भी तेज़ी से चल पड़ी. जब सुजीत मेन रोड पे पहुँचा तो बाबूजी एक बड़ी गाड़ी की पिच्छली सीट पे बैठे थे. अगली सीट पे उनके दोस्त और उनकी वाइफ बैठी थी. सुजीत उन्हे पहचानता था तो नमस्ते कही और फिर बाबूजी से पुछा कि क्या हुआ. बाबूजी ने कहा कि आज उनके दोस्त ने देल्ही के लिए जाना था. पर अब प्रोग्राम चेंज हो गया है और कल दोपहर की ट्रेन से बाबूजी और उनका दोस्त दोनो देल्ही जाएँगे. 3 दिन बाद वापिसी होगी और बाबूजी रात दोस्त के घर पे ही रुकेंगे. अभी वो लोग एक काम ख़तम करके बाबूजी के लिए थोड़ी शॉपिंग करेंगे. बाबूजी ये सब समझा ही रहे थे कि अचानक एक पोलीस वाला आ गया और गाड़ी हटाने को कहने लगा. जल्दी जल्दी बाबूजी को अलविदा कहने के बाद सुजीत वापिस माल की तरफ मुड़ा और उसे मेन गेट पे खड़ी सरला नज़र आई. सरला की नज़रें उसको ढूँढ रही थी. उसके चेहरे पे थोड़ी परेशानी के भाव थे. चोली घाघरे में वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी और सुजीत के लंड नेएक दम से करवट ली.

शाम के 6 बज चुके थे और हल्का अंधेरा हो चला था. सुजीत 2 सेकेंड वही खड़ा सरला को देखता रहा और फिर अचानक से सरला ने उसे देखा और हाथ हिलाने लगी. हाथ हिलाने से उसके मम्मे और चूतर दोनो हिल रहे थे और ये नज़ारा सुजीत के लिए और भी सेक्सी था. उसका लोडा पूरा सलामी देने लगा और उसने अपने को कंट्रोल करने के लिए इशारे से सरला को पार्किंग में गाड़ी के पास पहुँचने को कहा. खुद वो दूरे रास्ते से पार्किंग में पहुँचा और गाड़ी में बैठ गया. शर्ट से किसी तरह से लंड के उभार को ढका. एसी ऑन किया और रुमाल निकाल के पसीना पोन्छा. इतने में सरला आ गई. दरवाज़ा खोलते हुए जब वो बैठने लगी तो पहले अपने घाघरे को अच्छे से समेटा. अन्यास ही सुजीत की नज़र उसके चुतडो पे चली गई. जो लंड थोड़ा सा शांत हुआ था वो फिर मचल उठा. तंबू में बॅमबू एक बार फिर दिखने लगा. इतने में सरला दरवाज़ा बंद करने के लए मूडी तो आधी धकि हुई और आधी नंगी साँवली चिकनी पीठ देख के तो प्री कम की बूँदें निकल आई. फटाफट सुजीत ने गाड़ी स्टार्ट की और 10 मिनट में ही शहेर के बाहर निकल आया. अब रास्ता सुनसान था पर घबराहट बहुत थी. इतनी सेक्सी औरत साथ में थी और लंड और मन दोनो में खलबली मची हुई थी. सरला ने उससे पुछा कि क्या प्रोग्राम है पर सिर्फ़ इतना ही कह पाया कि बताता हूँ लेट हो रहा है.

शहेर के बाहर आते ही सरला ने एक बार फिर पुछा कि बेटा बात क्या है बताओगे. इतनी जल्दी में क्यों हो. तब सुजीत ने गाड़ी धीमी करके बाबूजी के प्रोग्राम की बात बताई. सरला बात सुन के चिहुनकि और फिर उसकी आँखों में एक चमक उतर आई.

''तो ठीक है इसमे इतना घबराने वाली बात क्या थी बेटा..तुम इतनी स्पीड में गाड़ी चला के लाए....आराम से चलो कोई जल्दी नही है....घर ही तो जाना है...''

''नही आंटी आप नही समझोगे...जल्दी है...वैसे भी बाकी सब भी घर पहुँचने वाले होंगे....मुझे भी बहुत से काम है और फिर सड़क खाली है तो स्पीड से चलने में क्या है...'' सुजीत का हाथ अनायास ही अपने चेहरे पे चला गया. उसके माथे पे हल्का पसीना था.

''तुम तो ऐसे कर रहे हो जैसे पता नही तुम्हे कितना ज़रूरी काम है...आराम से चलो थोड़े मौसम का मज़ा लेते हुए...'' सरला समझ चुकी थी. लंड का उभार उसकी आँखों से बचा नही था. सुजीत को किस बात की जल्दी है ये उसे महसूस हो गया था. एक शादी शुदा मर्द और वो भी उससे उमर में छ्होटा और उपर से रिश्तेदार....मेरी चूत को लेके घर जाके मूठ मारेगा...ऐसे ख़याल मन में आते ही सरला की चूत पनिया गई थी.

जैसे ही सुजीत ने 5थ गियर में डालने के लए हाथ बढ़ाया तो सरला ने उसके हाथ पे अपना हाथ रख दिया. सुजीत हड़बड़ाया और उसकी तरफ देखा. सरला मुस्कुराइ और फिर हाथ को बढ़ाते हुए पॅंट के उपर ले गई. उभार पे हाथ फेरते ही सरला की आँखे फॅट गई और सुजीत तो जैसे स्टॅच्यू बॅन गया था. खुला मूह और चेहरे पे आश्चर्या के भाव. सोच समझ सब ख़तम हो गई थी. दिमाग़ सुन्न पड़ गया था. झटका तो तब लगा जब सरला ने पॅंट को पकड़ के ज़ोर से भींचा और एक सिसकी निकाली.

''ऊओह माआआअ.....तो इसस्स बड़े मोटे डंडे को शांत करने की जल्दी है बेटे को....ऊओह इतनी तेज़ गाड़ी ना चलाओ ...धीरे चलाओ और इसको शांति मैं देती हूँ ...यही अभी.....और इसको कहो कि ये मुझे भी शांति दे.....ख्हाअर्रच्छ की आवाज़ के साथ ज़िप खुल गई और हाथ अंडरवेर में से लंड को पकड़ के बाहर खींचने लगा. उसके बाद होंठ, जीभ, थूक और गालों से चूमते और सहलाते हुए सरला ने अपना रांड़पन दिखा ही दिया...और अब ये......ये खूबसूरत चुदी चुदाई चुड़क्कड़ चूत सुजीत की उंगलिओ के जादू से खिली जा रही थी.

''ऊऊऊओह बस कर जानू...चल पिछे हट...मुझे लंड पे झरना है...उंगली पे नही...ऊओह..'' सरला ने तेज़ी से सुजीत को धक्का मारा और फटाफट से घाघरे में से टांगे निकाल के दरवाज़ा खोला और नंगी बाहर निकल गई. पिच्छली सीट का दरवाज़ा खोल के वो झट से नंगी लेट गई और दोनो टांगे अगली और पिच्छली सीट्स के बॅक रेस्ट पे टिका के खोल दी. उसका उतावलापन देख के सुजीत को हल्की सी हँसी भी आई और उसका जोश भी दुगना हो गया. आराम से अपनी पॅंट निकाल के उसने दरवाज़ा खोला और फिर अपनी शर्ट और बनियान को धीरे धीरे उतारने लगा. उसे सरला को थोड़े तरसाना था.

''अबे कुत्ते...भोसड़ी के...क्या मस्ती ले रहा है...साले हरामी डाल ना जल्दी...उउफ़फ्फ़.. दे मुझे अपना गधे का लंड ...घोड़े का नही ...टत्तूओ का लंड ...घोड़ा तो तेरा सबसे बड़ा भाई है और ..वो मेरा हरामी दामाद है घोड़ा....तुम तीनो भाई एक ही नसल के हो...ऊओम्मा...मैं जल रही हूँ और तुझे मज़ा आ रहा है हरामी...आजाअ नाअ.. जानुउऊ...पेल ना मुझी...प्लेआासी...'' सुजीत की सुस्ती को देख के सरला की आग और भड़क रही थी और अब उसके मूह से भद्दी भद्दी बातें सुन के सुजीत और भी उत्तेजित हो गया. आआव ना देखा ताव और सुजीत ने झट से जगह बनाते हुए सरला की कमर पकड़ ली और अपना फनफनाता हुआ लोडा उसकी चूत के मुख्य द्वार पे लगा दिया. सुजीत का लंड आगे से थोड़े पतला और बीच से बहुत मॉटा था. उसका लोडा मोटाई में सखी की कलाई के बराबर था. सरला के चहरे पे उत्तेजना के भाव देख के सुजीत से रहा नही गया. फुउूऊच की आवाज़ के साथ एक ही झटके में भीगी हुई मुनिया ने 9 इंच का मॉटा लंड निगल लिया.

''ऊओहमाआआअ.....मर गेयीईयियी........''' सरला काफ़ी ज़ोर से चिल्लाई.

''ऐसे थोड़े मरने दूँगा जान...अभी तो तुझे बहुत चुदना है...मेरे और मेरे गधे भाई से और फिर मेरे घोड़े भाई से भी...सबके लंड खाने हैं तेरी इस रंडी चूत ने...और सबका बीज लेना है तूने..जहाँ तू एक तरफ दादी बनेगी वही हम तीनो भाई तुझे मा भी बनाएँगे इस उमर में...'' सुजीत ने उसके मम्मे निच्चोड़े और 2 - 3 लंबे धक्के लगाए. चूत पूरी खुल चुकी थी और सरला दर्द और सुकून के मारे अपना सिर दोनो तरफ हिला रही थी.

''साले मदर्चोद ..तेरे लंड से बचूंगी तभी तो बाकी दोनो के लूँगी ....जालिम कैसे पेल रहा है...तेरी मा जैसी आंटी हूँ...जन्न्नुऊऊउ...ऊहह धीरे हां ऐसे ..ऊहह माआ....इतना सुख...इतना सुकूओन.....सखी मैके क्यों नही आती अब समझ में आता है...जिस घर में ऐसे घोड़े गधे हों वहाँ से कौन जाना चाहेगा.....और उसका घोड़ा तो सबसे शानदार लंबा है...ऊओ हां चोद और कस के..ज़ाआण्णूऊउ...ऊओ सुजीत बेटा चूड्दद..मस्स्टटत्...ऊहह..एस्स.....फक मी.. यू बस्टर्ड..यस ...अँग्रेज़ी में बोलूँगी तुझे...फक मी ..क्या कहते हैन्न...चोद मदर्चोद ज़ियादा बढ़िया है...या आंटी चोद...ऊहह एस्स...चूस साले हरामी और चूस मेरे मम्मे भी चूस...एस्स....लगा रह ऊहह माआ.....झरँगिइइ...ऊओह हाआंन्‍णणन् ली झर गई .......सखी तेरे जेठ ने तेरी माआ चोद दी........ऊऊआहह..आअनन्नह....''' सरला इतना ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी कि अगर दिन होता तो पक्का भीड़ इकट्ठी हो जाती.

''हां आंटी...तेरी जैसी आंटी हो तो कौन छोड़ेगा...सभी पेलेंगे...और तू मा जैसी है तो मदर्चोद तो हो ही गया.....ऊओह जनन्न मैं भी आया.....लेले....ऊओ ईससस्स.......'' दोनो मम्मे निचोड़ते हुए सुजीत भी धक्के लगाने बंद करके अपने लंड की धारें चूत में डालने लगा. अपनी गांद को टाइट करके उसने काफ़ी सारी पिचकारियाँ छोड़ी और हर पिचकारी पे उसको चूत का सिकुड़ना महसूस होता रहा. निगोडी चूत कोई भी रस छोड़ना नही चाहती थी. ऊफ्फ इतनी उमर में भी चूत में इतना कसाव था. पर क्या ये कसाव ज़ियादा दिन तक रहेगा अब जबकि 3 - 3 मुश्टंडे लंड इस चूत को बजाएँगे.......?? जो भी हो अभी तो मेरी है और अब इसको चाटना भी है....ऊओह क्या खींचती है लंड को अंदर..
क्रमशः.........................................
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