Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 09:00 PM,
#28
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
खानदानी चुदाई का सिलसिला--10

गतान्क से आगे..............



दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा इस कहानी दसवाँ पार्ट लेकर हाजिर हूँ

बाबूजी ने थोड़े नीचे झुक के कम्मो के चेहरे को पकड़ा और उसके होंठो को हल्के से चूमा. कम्मो की आँखें मूंद गई, बाबूजी के होंठो का स्प्रश बहुत अच्छा था, उनकी मूच्छों से उसको हल्की सी गुदगुदी उठी. बाबूजी ने हाथ बढ़ा के उसका रिब्बन खोल दिया और उसके रेशमी बाल खुल के उसकी कमर तक लहरा गए. बाबूजी ने उसके बालों मे अपनी उंगली फेरी और माँग के दोनो तरफ उनको सेट किया. माँग में हल्का सिंदूर लगा हुआ था. बाबूजी ने आगे झुक के उसकी माँग को चूमा और फिर उससे थोड़े पिछे हट गए. पता नही शायद दोनो के दिल एक दूसरे की बात सुन रहे थे. कम्मो ने बिना कुच्छ बोले नीचे झुक के बाबूजी के चरण च्छुए और अपनी माँग में हाथ फेरा. जैसे ही वो उठी बाबूजी ने उसे अपनी छाती से लगा लिया और भींच लिया. बाबूजी को कम्मो पे बहुत प्यार आ रहा था और साथ ही साथ उनकी वासना भी भड़की हुई थी.

कम्मो ने बाबूजी की छाती से लगते हुए उनके कुर्ते के नीचे हाथ लगाया और धोती की गाँठ को टटोला. धोती खुल के पैरों में गिर गई. उसके बाद कम्मो ने बाबूजी का कुर्ता उठना शुरू किया और उतार कर बिस्तर पे फेंक दिया. बाबूजी अब पूरे नंगे खड़े थे और उनका 7 इंच का लंड लोहे की तरह कड़क हुआ पड़ा सलामी दे रहा था. कम्मो ने थोड़े पिछे हट के उनके लंड को निहारा और फिर ज़मीन पे घुटनो के बल बैठ गई. हाइट की वजह से कम्मो का सिर बाबूजी के लंड से थोड़े नीचे था. उसने सिर उठा के पहले उनके सरीखे लंड को अच्छे से निहारा और फिर अपने छ्होटे छ्होटे हाथों से उसे पकड़ लिया. कम्मो के गरम हाथों का स्पर्श मिलते ही बाबूजी का बदन काँप उठा. उनके मूह से कम्मो के नाम की एक सिसकारी निकल गई.

कम्मो के चेहरे पे एक मुस्कान आई और उसने अपनी जीभ निकाल के उसकी नोक बाबूजी के लंड की आँख पे लगा दी. बाबूजी के लंड की आँख से प्री कम की बूंदे निकल रही थी. कम्मो ने लंड की आँख को जीभ की नोके से टटोला और प्री कम की एक लार उसके होंठो पे आ गई. कम्मो पिछे हुई तो प्री कम की तार जैसे उसके होंठो और बाबूजी के लंड को जोड़ रही थी. कम्मो ने अपना राइट हॅंड लंड के टोपे पे घुमाया और प्री कम से टोपे की मालिश की और फिर आगे बढ़ते हुए बड़े ही नर्म होंठो से टोपे को घिसने लगी. देखते ही देखते उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी और अब उसके हाथ बाबूजी के टट्टों, गांद और जांघों पे फिरने लगे. कम्मो की जीभ लपलपा रही थी, उसके मूह में थूक भरा हुआ था, कभी वो लंड को चूस्ति तो कभी टट्टों को चूमती. उसने सपने में भी नही सोचा था कि घर के मालिक का लंड कभी उसको नसीब होगा. वो हमेशा इस लंड की गुलाम बन के रहना चाहती थी. उससे पता था कि इस लंड की गुलामी से उसकी चूत के भाग खुल जाएँगे और साथ ही उसके परिवार के भी. उसके परिवार का सुख उस लंड के ज़रिए हो के जाता था और कम्मो चाहती थी कि वो ऐसा कुच्छ करे पहली बार में कि बाबूजी मरते दम तक उसे ना छोड़ें.

कम्मो ने अपने हाथों से बाबूजी की गांद पकड़ ली और उनकी गांद के छेद से खेलने लगी. बाबूजी का लंड उसके हलक तक उतरा हुआ था और अब बाबूजी उसे चोदे जा रहे थे. मुख चोदन का इतना बढ़िया एहसास कम्मो को पहले नही मिला था. बाबूजी अपने लंड को उसके मूह और गले की गहराईयो में उतारते और उसका सिर पकड़ लेते. जब कम्मो की साँस घुटने लगती तो छोड़ देते और कम्मो अपना सिर पिछे करती तो ढेर सारा थूक बाहर निकल आता. उसका नया सूट थूक से गीला हो चुका था पर उसे परवाह नही थी क्योंकि उसे पता था कि उसे ऐसे कई सूट और मिलेंगे. थूक की लंबी लंबी लार उसके मम्मो को भी भिगो रही थी. बाबूजी अपनी स्पीड चेंज करते हुए उसके मूह को चोद्ते रहे और 3 - 4 मीं में वो छूटने को तैयार हो गए. कम्मो ने बाबूजी की गांद के छेद में एक उंगली फँसाई हुई थी और उसे एहसास हुआ कि उनकी गांद अब टाइट हो रही है. एन मौके पे कम्मो ने एक हाथ से बाबूजी का गीला लंड मुठियाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ की उंगली उनकी गांद में 1 इंच तक घुसेड दी.

''' ऊऊहह कममू राणियीई ये ले अपने बाबूजी का वीर्यहह और पीईइ ज़ाआाआ......'' बाबूजी चिल्लाए और उनकी गांद ने पहला झटका खाया. 1 सेकेंड के लिए कम्मो ने उन्हे मुठियाना रोका और लंड को सही जगह पे अड्जस्ट किया. लंड की आँख से निकली वीर्य की पहली पिचकारी ठीक उसकी लाल सिंदूर सजी माँग के बीचों बीच पड़ी. वीर्य की सफेद धार से बाबूजी ने उसकी माँग सज़ा दी और अब कम्मो और बाबूजी का उमर भर का चुदाई का रिश्ता पक्का हो गया. बाबूजी के लंड के झटके जारी रहे और कम्मो लंड को मुठियाते हुए उसे अड्जस्ट करती रही. उसकी आँखें, गाल, होंठ, नाक सब जगह पे वीर्य की धाराएँ बहने लगी. बाबूजी 10 - 15 सेकेंड तक वीर्य पात करते रहे और फिर जैसे ही रुकने को हुए तो कम्मो ने लंड को मूह में भर लिया. लंड उसके हलक तक पहुँचा और बाबूजी ने पूरी ताक़त लगा के 2 - 3 पिचकारियाँ और छोड़ी.
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