Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 08:59 PM,
#27
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
इतने में बाबूजी की कड़क आवाज़ बाहर से फिर सुनाई पड़ी. कम्मो ने आनन फानन में सूट पहेन लिया. बाबूजी की आवाज़ में कदकपन और एक जल्दी का भाव था. कम्मो इतना तो समझ गई थी कि जिस तरीके से सूट फिटिंग है वो ख़ास उसके बदन के लिए बनाए गए हैं पर कैसे ये उससे समझ नही आ रहा था. इससे पहेल कि बाबूजी की आवाज़ दोबारा सुनाई दे कम्मो ने दरवाजे की चितखनी खोली और बाहर निकल आई. अब की बार उसके दोनो हाथ उसके कंधों पे थे और वो उन्हे हटा नही पा रही थी. चूत की महक उसके बदन से खुश्बू बन के कमरे में फैलने लगी थी. चूचे एक दम कड़क थे और निपल्स की शेप पूरी तरीके से अब नज़र आ रही थी.

बाबूजी ने शीशे में देखते हुए एक बार फिर कम्मो को निहारा. इस बार उनकी उत्तेजना बढ़ गई. लंड पूरा खड़ा था पर कुर्ते की वजह से धोती में बना तंबू दिख नही रहा था. बाबूजी कम्मो की साधारण खूबसूरती से मन्त्र मुग्ध हो गए थे. सूट की पतली पतली डोरिओं के बगल में उसकी ब्रा के चौड़े स्ट्रॅप नज़र आ रहे थे. सूट ने उसके कंधों को पूरा उघाड़ के रखा था. दोनो तरफ से उसके मांसल कंधे दिख रहे थे. मम्मो की गहराई के ठीक बीच में एक दिल बना हुआ था जिसे वो च्छुपाने की कोशिश कर रही थी. सूट का टॉप एक कुरती की तरह था. सिर्फ़ कम्मो की जांघों तक. सूट कसा हुआ था और उसके चूतरो के आस पास चिपके हुआ था. जल्दी जल्दी में कम्मो ने जब सूट कहना तो बाल आधे खुल गए थे. कम्मो के बाल भी लंबे थे करीब उसकी कमर तक. उसका रिब्बन उसके कंधों के नीचे की तरफ आधे खुले बालों में झूल रहा था.

बाबूजी से रहा नही गया और वो मूड गए. कम्मो का चेहरा झुका हुआ था. एक पतली सी चूरिदार सलवार उसके बदन से चिपकी हुई थी. बाबूजी उसके करीब पहुँचे. उसके कंधों पे नज़र डाली. उसके आधे नंगे कंधे आधे हाथों से छुपे हुए. बाबूजी अब कम्मो के ठीक पिछे खड़े थे. अचानक कम्मो को अपनी कमर पे बाबूजी के हाथों का स्पर्श महसूस हुआ और अनायास ही उसके हाथ उनके हाथों के उपर चले गए. अब उसकी नंगी पीठ और कंधे उनके सामने थे. बाबूजी ने उसकी कमर को अपने हाथों से भींचा और धीरे धीरे अपने हाथों को खिसकाते हुए उसके पेट पे ले गए. कम्मो अब एक मोम की गुड़िया थी. उसको अपने उपर काबू नही था. उसके हाथ बाबूजी के हाथों से सटे हुए अपने ही पेट की तरफ चले गए. और फिर 2 सेकेंड वहाँ रुक के उसके दोनो हाथ अपनी चूत की तरफ बढ़ चले. अनायास ही उसके मूह से एक सिसकारी निकली और उसके हाथों ने चूत के उपर के हिस्से को जाकड़ लिया.

बाबूजी ने आगे झुक के उसके कंधे पे किस किया. कम्मो का रोम रोम कांम्प उठा. जैसे उसे 220वॉल्ट का झटका लगा हो. रोंगटें खड़े हो गए और चूत लिसलिसा गई. उसकी छाती ऑटोमॅटिकली बाहर निकल आई जैसे के कह रही हो कि आओ मुझे चूसो. बाबूजी ने भी देर नही की और अपने हाथों को पेट से बढ़ाते हुए कम्मो के मम्मो के ठीक नीच कर दिया. उसके बाद उनके हाथों ने कम्मो के मम्मो को नीचे की तरफ से दबाया और उसके निपल घोंठ दिए. कम्मो अब तरफारा रही थी. उसने अपनी चूत को छोड़ के बाबूजी हाथों पे अपने हाथ रखे और उन्हे ज़ोर से दबाया. उसके मम्मे भिन्च गए और वो सिहर गई.

''ऊऊऊऊऊहह बबुउउुजिइीइ...ये क्या कर दियाअ आअप्ने....मेरी मुनिया तो गीली हो गई....'''

'''ह्म्‍म्म्मममम तो गीएली मुनिया को क्यों तंग कर रही है...उसे भी सूख जाने दे ..अपनी मुनिया को कह कि उसका रस मेरे लंड पे निकाल दे और उसको भिगो के फ्री हो जाए....उउम्म्म्ममगदर जवानी है तेरी बन्नो..ज़रा नंगी हो जा..''

बाबूजी का ये कहना था कि उन्होने कम्मो के जवाब का इंतेज़ार नही किया. उन्होने सूट के पतले पतले स्ट्रॅप कम्मो के कंधों से उतार दिए और साथ ही उसके ब्रा के स्ट्रॅप भी. ब्रा के स्ट्रॅप कंधों से हटते ही कम्मो के मोटे मोटे मम्मे थोड़ा झूल गए.


''तुझे पता है कम्मो ये सूट तुझपे कितने अच्छे दिख रहे हैं..कातिल लग रही है तू इसमे. मुझे तो रिझा लिया है तूने. उफ़फ्फ़ सच बोलूं आज ये पहेन के पहली बार मुझे लगा कि तू मेरे इस बिस्तर की शोभा बढ़ा देगी...बोल आएगी मेरे बिस्तर पे ?? '' बाबूजी कम्मो की पीठ गर्दन और गालों को चूमते हुए पूच्छ रहे थे.

'' हान्न्न बाबूजी आउन्गि आपके बिस्तर पे...इतना गरम कर दूँगी इस बिस्तर को कि आप कभी इस्पे सो नही पाएँगे...आग लगा दूँगी आपके बिस्तर को अपनी जवानी से .. जैसे अभी आपने लगा दी है मुझमे...पर एक बात बताओ बाबूजी... और उस बात का सच जवाब देना तो अभी के अभी बिच्छ जाउन्गि यहाँ...ये सूट मेरे हिसाब के किसने बनाए और कैसे....उउम्म्म्म इनमे तो मेरी जवानी पूरी फिट हो गई..ऊओह ...उम्म्म्म क्या करते हो बाबूजीइइईईई....ऐसे ना मस्लो इनको ...मेरी प्यारी घुंडीयाँ हैं, मसल दोगे तो खाओगे क्या...?? '' कम्मो बाबूजी के हाथों में अपनी निपल्स दबवाते हुए कसमसा रही थी. उसका मन कर रहा था कि अपने बदन से सूट उतार दे और टांगे फैला के नंगी लेट जाए.

'' सच कहूँगा रानी तेरी इस भीगी हुई मुनिया की कसम..मैने ये सूट खुद बनवाए हैं ख़ास तेरे नाप के. और मुझे खुशी है कि मेरी तेज़ नज़रों ने तेरे जिस्म को सही से नापा...तुझे इतने दिन से घूरते हुए मुझे तेरी फिगर का पूरा अंदाज़ा हो गया था..तू 38सी की ब्रा पहनती है..तेरी कमर 32 की है और तेरी ये गदराई गांद पूरी 41 की.. है ना मेरी जान...उम्म्म्ममम और तेरी इस गांद में इस समय फँसा मेरा लंड कह रहा है कि तुझे घोड़ी बना लूँ और चढ़ जाउ...आज के लिए मैं बनूँ दूल्हा और तू बने मेरी घोड़ी....क्याअ बात है जान..बनेगी अपने बाबूजी की घोड़ी...?? '' बाबूजी की उंगलिओ की रफ़्तार अब तेज़ हो गई थी. निपल बार बार उंगलिओ में पकड़ के खींच रहे थे. बाबूजी के हिसाब से कम्मो अब तैयार थी. बस अब उन्हे एक और चीज़ देखनी थी.

'' उउउहह मेरे जालिम सैयाँ..बना ले अपनी घोड़ी मुझे और चढ़ जा....मैं तो धन्य हो गई तेरी नज़रों की ...क्या नज़रें है तेरी जो मेरी जवानी का रोम रोम नाप लिया...आजा मेरे रजाअ बना मुझे अपनी रांड़....ऊहह अब रुका नही जाता...कर दे नंगी मुझे और पेल...हाऐईयईई....उम्म्म्ममम...ऊहह बबुउुुुउउ.....आज से जब चाहे जहाँ चाहे बुला लेना ...सब करूँगी...तेरी छिनाल हुई मैं आज से...दे दे नाअ अब ..और मत तरसा....''' कम्मो ने अब अपने सूट को कमर तक खींच लिया था और साथ ही ब्रा को भी. उसके दोनो मम्मे अब बाबूजी के हाथ में थे. बाबूजी कभी नरम हाथों से और कभी दबा के उसके चूचे सहला और निचोड़ रहे थे. बाबूजी का चूत वंचित लोडा तैयार था पर अभी भी बाबूजी को संयम रखना था.

'' डालूँगा पेलुँगा तेरी पग्लाई हुई बुर को ठोकुंगा और चाटूंगा भी..पर पहले तू मुझे अपनी जवानी दिखा ..अपने आप खोल इस सूट को और साथ ही अपने राजा को भी नंगा कर...घोड़ी बनेगी तो सब मेहनत मैं ही करूँगा ना..तू तो बस मज़े लेगी..और अब इस बुढ़ापे में इतनी मेहनत से पहले कुछ आराम कर लूँ...चल आजा दिखा अपना जलवा ....'' बाबूजी ने कम्मो को अपनी तरफ मोड़ लिया. दोनो बिस्तर के किनारे पे एक दूसरे को देख रहे थे. बाबूजी के सामने कम्मो बहुत छ्होटी थी और उनको देखने के लिए उसने सिर उठाया और ऐसे में उसकी चूचियाँ और भी बाहर को निकल आई.
क्रमशः............................
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