Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 08:58 PM,
#20
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
दोनो बदन में एक अजीब सी गर्मी हो चुकी थी. रमेश को समझ नही आ रहा था कि वो आगे क्या करे. उसके हाथ कम्मो की कमर पे थे और उसे अपनी बालों वाली छाती में कम्मो के चूचक चुभ रहे थे. उसका मन कर रहा था कि वो कम्मो को ज़ोर से जाकड़ ले और उसे अपने शरीर से चिपका ले. पर उसे अपने भाई की कही बात याद आ रही थी कि उसे कुच्छ करने की ज़रूरत नही तो वो थोड़ा कंट्रोल करता रहा. कम्मो ने भी कुच्छ नही किया बस उससे चिपकी रही और मन ही मन उसकी उलझन पे मुस्कुराती रही. इसी पोज़ में करीब आधा मिनिट हो गया दोनो को.

रमेश का लंड अब कछे में ऐंठ रहा था. उसका मंन कर रहा था कि अपने लंड को हाथ में ले के मुठियाए. गाए/सांड़ को देख के वो अक्सर मुठियाता था. पर चाची के सामने सब कैसे करूँगा. यहाँ से निकलूं तो घर जाके करूँगा. उसे क्या पता था कि आज उसकी लॉटरी लगेगी. कम्मो ने जान भूज के कुच्छ नही किया और कुच्छ सेकेंड के बाद उससे अलग हो गई.

'' अब बोल तू ..क्या हुआ ..क्या मैने कुच्छ किया. नही ना ..अर्रे रमेश तेरा भाई बहुत निक्कमा है जो तुझे ठीक से समझाया नही. तुझे लगता है कि मैं ये करके खुश हो गई ? तेरी लुगाई इससे खुश हो जाएगी ? बोल...'' कम्मो ने रमेश के गालों पे एक हल्की सी चपत दी.

'' नही चाची मुझे नही लगता कि वो इससे खुश होगी.. अब भैया ने जितना कहा मैने आपके साथ किया. आगे मुझे नही आता...आप ही बताओ क्या क्या करना होगा मुझे.'' रमेश परेशान था और उसकी परेशानी सॉफ झलक रही थी. उसका लंड उसे दिक्कत दे रहा था और कछे में तंबू बन चुका था.

'' चल आजा मैं तुझे सिखाती हूँ सब कि एक औरत को क्या क्या चाहिए. आजा मेरे भतीजे आज मैं तेरी लुगाई बन जाती हूँ. '' ये कहते हुए कम्मो उठी और उसका हाथ पकड़ के अपने कमरे में ले गई.

कमरे में डबल बेड पे पहुँच के कम्मो ने उसे बिठा दिया. '' अब जो जो मैं कहूँगी तू करता जा और सीखता रह.'' कहते हुए कम्मो एक चुन्नी ले आई, दरवाज़ा बंद की और बत्ती जला दी और अपने सिर पे लेके एक नई दुल्हन की तरह बेड पे जाके बैठ गई. दोनो हाथ उसके मुड़े हुए घुटनो पे थे. उसने अपनी चुन्नी से घूँघट बना के अपना चेहरा च्छूपा लिया.

'' चल अब मेरे नज़दीक आ और मेरा घूघत उठा. और फिर मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकड़.''
'' अब मेरे माथे को चूम और मेरी बंद आँखों को... अब मेरे गालों को सहला और मेरी चुन्नी मेरे शरीर से अलग कर दे.''
'' अब मेरी ठोडी को पकड़ के मेरे चेहरे को उपर उठा और उसे देख और फिर मेरे होठों पे अपने होंठ लगा.''
रमेश के होंठ अपने होठों पे लगते ही कम्मो के शरीर में आग लग गई. रमेश भी पागल हो गया और आव ना देखा ताव उसे बेतहाशा चूमने लगा. कम्मो को अब नई दुल्हन बन के नही रहना था. उसने लाज शरम सब छोड़ दी और रमेश को अपने गले से लगा दिया. रमेश उसकी गर्दन गाल और चेहरे को चूमे जा रहा था.

दोनो अब गरम चुके थे. कम्मो बिस्तर पे लेट गई और रमेश को अपने उपर खींच लिया. फिर रमेश का चेहरा पकड़ के उसके होंठो को चूसने लगी और अपनी जीभ उसके मुँह में घुसा दी. कम्मो की जीब मुँह में घुसते ही रमेश की लार टपकने लगी और उसका थूक बाहर निकल आया. कम्मो के होंठ और आस पास का हिस्सा उसके थूक से भर गया.


रमेश के हाथ अब कम्मो की चूचियो पे थे. वो उन्हे ज़ोर ज़ोर से दबा रहा था. कम्मो ने उसे एक धक्का दिया और उसे बिस्तेर पे चित कर दिया. कम्मो उसकी कमर के आस पास पैर करके बैठ गई और अपनी कमीज़ उतार दी. अपने मोटे गथीले मम्मो को पकड़ के ज़ोर से दबाया और फिर अपने निपल खींच के लंबे किए. रमेश का हाथ उसके पेट पे चल रहा था. कम्मो ने आगे झुक के रमेश के मुँह से मुँह लगाया और उसके मुँह में थूका. फिर उसके मुँह में अपनी चूची लगा दी. रमेश हवस में पागल हो चुका था. उसे चूची का स्वाद बहुत मज़ेदार लगा और बेसब्र होके उसे चूसने लगा. उसने दोनो मम्मो को साइड से पकड़ लिया और बीच की तरफ भींचने लगा. दोनो निपल उसके मुँह के सामने थे और उसने एक साथ दोनो निपल को मुँह में भर लिया. कम्मो की सिसकी निकल गई. आज तक दोनो निपल एक साथ किसी ने नही चूस थे. उसकी चूत पनिया गई थी.

कम्मो ने और देर नही की और रमेश को नंगा करने लगी. रमेश का पाजामा उतरते ही उसने उसने लोडा मुँह में भर लिया. रमेश का लंड करीब 7 - 8 इंच का था. शुपाडे पे प्री कम लगा था. लंड की चॅम्डी ने सुपादे को आधा ढक्का हुआ था. हाथ से मुठियाते हुए कम्मो ने लंड को अपनी जीभ से चॅटा और फिर जीभ से लंड को मारने लगी. रमेश के मुँह से सिसकियाँ निकली और उसने गांद उठा के अपना लंड कम्मो के मुँह में धकेला. कम्मो गुप्प से लंड को 4 - 5 इंच अपने मुँह में ले गई और उसपे थूक उदेलने लगी. उसके हाथ रमेश की जांघों और टट्टों से खेल रहे थे. रमेश अपने बाल सॉफ नही करता था. उसके लंड और टट्टों से पसीने की हल्की स्मेल आ रही थी. कम्मो ने बहुत दिन के बाद एक अच्छा तगड़ा मूसल मुँह में लिया था. उस मादक गंध से वो पागल हुई जा रही थी और उसके सब्र के बाँध टूट रहे थे.
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