Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
09-03-2018, 08:56 PM,
#10
RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
खानदानी चुदाई का सिलसिला--4

गतान्क से आगे..............
उनका झरना शुरू होते ही सखी और मिन्नी की चूतो ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया. कमरे में एक साथ 4 लोगों की आआअहह ऊऊऊऊहह की आवाज़ें गूंजने लगी. करीब 15 सेकेंड तक लंड चूतो को भिगोते रहे और चूते लंड को निचोड़ती रही. उसके बाद सब शांत हो गया और सब अपनी अपनी जगह पे अपने अपने पार्ट्नर के पास लूड़क गए.


करीब 10 मिनट सुस्ता लेने के बाद बाबूजी ने राजू और संजय में से किसी एक को राखी को चोदने को और अपना पानी उसकी चूत में ही छोड़ने को कहा. अब तक सभी बहुएँ कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स पे चल रही थी. आज से वो सब बंद कर दिया गया. अब सब बहुओं का बारी बारी से प्रेगञेन्ट होने का टाइम आ चुका था. बाबूजी ने खानदान की रीत के हिसाब से अपने वीर्य के साथ साथ पति को छोड़ बाकी मर्दों से बहुओं को चुदवाना था.

पर उस समय किसी का भी लंड खड़े होने की स्तिथि में नही था. इसलिए मौके को देखते हुए सखी ने कोई सेक्सी बात छेड़ने की सोची. ''बाबूजी एक बात बताइए कि जब आपको घर के इस राज़ का पता था तो आपने हम तीनो बहुओं को कैसे चुना ? क्या आपको यकीन था कि हम इस घर में खुश रह पाएँगी और इस घर के इस रिवाज़ को समझ पाएँगी ? आप बताइए कि आपने हमारे को अपने बेटों के लिए क्यों चुना ?'' सखी चहकते हुए बोली.

बाबूजी के चेहरे पे एक मुस्कान आ गई और उन्होने एक नई कहानी शुरू कर दी. राखी, मिन्नी, सुजीत और संजय कार्पेट पे लेटे हुए उनकी तरफ देखने लगे. पसीने से भीगे हुए बदन, औरतों के खुले बाल, गीली चूते, चमकते हुए लंड सब बाबूजी की कहानी का इंतेज़ार कर रहे थे. सखी अभी भी राजू के 10 इंच के लंड को चूत से सटाये बैठी थी. उसने भी अपने बाल खोल दिए थे और अपनी चूचिओ को ढक लिया था.

'' बेटी ये बात तब की है जब राजू 26 साल का हुआ. बिज़्नेस में ये सेट हो चुका था और मैने सोचा कि अब इसकी शादी हो जानी चाहिए. पर इसका ससुराल कैसा हो लड़की कैसी हो उसका परिवार कैसा हो ये सब बहुत ख़याल रखने वाली बातें थी. क्योंकि अगर घर की पहली बहू का चुनाव ग़लत हो जाता तो इस घर का श्राप सीधा हो जाता और आगे सबको दिक्कत हो जाती. एक दिन मैं काम के सिलसिले में बाहर गाँव गया था. एक दोस्त और उसकी बीवी मेरे साथ थे. मेरे दोस्त की वाइफ काफ़ी सुंदर थी पर मेरा मन कभी खराब नही था.

उस दिन काम के बाद हम लोग वापिस आने लगे तब मिन्नी के गाँव के पास गाड़ी खराब हो गई. जैसा कि तुम जानते हो इसका गाँव यहाँ से सिर्फ़ 40 किमी पे है. हम लोग वहाँ से शहर नही आ सकते थे. तब मैने एक दोस्त को फोन किया और उनसे पुछा कि जिस जगह हम थे वहाँ उनका कोई जानकार या रिश्तेदार था जिसके यहाँ हम रात गुज़ार सकते थे. मिन्नी के पिताजी ने कभी उनसे क़र्ज़ लिया था और मेरे दोस्त ने उनके घर जाने के लिए कहा. मैं मेरा दोस्त और उसकी बीवी मिन्नी के घर पहुँचे. वहाँ पता चला कि इसके पिताजी और 2 घंटे तक आएँगे. उस समय मिन्नी और इसकी सौतेली मा घर पे अकेले थे. इसकी मा ने हमें चाइ नाश्ता दिया और घर के बाहर आँगन में बैठने का इंतज़ाम किया. इसके घर की हालत उन दिनो अच्छी नही थी क्योंकि इसके पिताजी की सेहत अच्छी नही थी और उपर से क़र्ज़ का बोझ भी था.

मिन्नी उस समय अपनी सौतेली मा का हाथ बटा रही थी. देखने में तब ये उतनी सुंदर नही थी पर इसके हाव भाव में कुच्छ था जो मेरे मन को भा गया. एक सिंपल सलवार सूट में जिस तरीके से चल रही थी और काम कर रही थी मुझे इसमे अपनी बहू का रूप दिखने लगा. मुझे ना जाने क्यों लगा कि ये मेरे घर की बहू बनने के योग्य है. उस रात इसके पिताजी घर नही आ पाए. जिस काम के लिए वो गए थे वो काम पूरा नही हो पाया. इसकी मा ने हमारे लए खाना बनाया और मिन्नी ने हमें खाना परोसा. बाद में इन्होने हम लोगों के सोने का इंतज़ाम वहीं आँगन में कर दिया. इनके घर के आस पास आँगन की दीवार है. मैं मेरा दोस्त और उसकी बीवी वहीं 3 चारपाई पे सोने लगे. उन दोनो की चारपाई आपस मे सटी हुई थी और मेरी उनसे करीब 5 फुट की दूरी पे थी. जैसा कि तुम लोग जानते हो कि मुझे रात में नींद लेट आती है.

करीब रात के 1 बजे तक मैं अपना मूह दूसरी तरफ कर के लेटा रहा. मेरे मंन में मिन्नी को लेके विचार चल रहे थे. राजू के स्वाभाव का मुझे पता था और मुझे यकीन था कि वो इस शादी के लिए कभी ना नही कहेगा. पर मेरे मंन में सबसे बड़ा सवाल ये थे कि क्या मिन्नी कभी भी अपने देवरो से चुदवा पाएगी ? अगर वो मेरे साथ संभोग ना भी करे तो चलेगा पर देवरों से ही उसे संतान सुख मिलेगा तो क्या वो इसके लिए कभी तैयार होगी ? ऐसे ही विचार मुझे परेशान कर रहे थे.

पर जल्दी ही इसका जवाब भी मुझे मिल गया. मेरे दोस्त को शायद गाँव की खुली और शांत जगह में कुच्छ ज़ियादा ही थरक छड़ी हुई थी. वो खुले आसमान के नीचे मेरी पीठ पिछे अपनी बीवी की चूचियाँ मसल रहा था. उसकी बीवी जो एक कड़क माल थी इतनी गरम हो चुकी थी कि उसे मेरी भी परवाह नही थी. उसने अपनी साड़ी का ब्लाउस खोल दिया था और ब्रा को उपर खींच लिया था. मेरा दोस्त उसके मोटे चून्चो से खेल रहा था और वो हल्की सिसकारियाँ ले रही थी. मिन्नी और उसकी मा बेख़बर घर के अंदर सोए हुए थे. कुच्छ देर बाद जब मेरे दोस्त की बीवी की सिसकारियाँ बढ़ गई तो मेरा ध्यान मिन्नी के ख़यालों से हट के उनकी तरफ चला गया. चारपाईं के बीच के डंडे की वजह से मेरे दोस्त से ठीक से मज़े नही लिए जा रहे थे और एक चारपाई पे दो लोग एक साथ सोते तो शायद वो टूट जाती.
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