RE: Chodan Kahani इंतकाम की आग
वह उसे टॅक्सी के पास गया, टॅक्सी वाले से पूछा. उसने दाई तरफ इशारा कर कुछ तो कहा. शरद टॅक्सी मे बैठ गया और उसने टॅक्सी वाले को टॅक्सी उधर लेने को कहा....
निराश, हताश हुआ शरद धीमे गति से चलता हुआ अपने रूम के पास वापस आ गया. रूम मे जाकर उसने अंदर से दरवाज़ा बंद कर लिया.
उसने बेड की तरफ देखा... बेड शीट पर झुर्रिया पड़ी हुई थी. वह बेड पर बैठ गया...
क्या किया जाय...?
पोलीस के पास जाऊ तो वे मुझे ही गिरफ्तार करेंगे...
और खून का इल्ज़ाम मुझ पर ही लगाएँगे...
और वैसे देखा जाए तो में ही तो हूँ उसके खून के लिए ज़िम्मेदार...
सिर्फ़ खून ही नही तो उसपर हुई बलात्कार के लिए भी...
उसने आपने पैर मॉड्कर घुटने पेट के पास लिए और घुटनो मे अपना मुँह छिपाया और वह फूटफूटकर रोने लगा.
रोते हुए उसका ध्यान वह कपाट के नीचे गिरे काग़ज़ के टुकड़े ने खींच लिया. वह खड़ा होगया अपने आँसू अपने आस्तीन से पोंछ लिए.
काग़ज़ का टुकड़ा...? यहाँ कैसे...?
उसने वह काग़ज़ का टुकड़ा उठाया...
काग़ज़पार चार अँग्रेज़ी अक्षर लिखे हुए थे - एसेच, ए, एस & सी और उन अक्षरों के सामने कुछ नंबर्स लिखे हुए थे. शायद वे कोई पत्तों के ग़मे के पायंट्स होंगे...
उसने वह काग़ज़ उलट पुलटकार देखा. काग़ज़ के पीछे एक नंबर था. शायद मोबाइल नंबर होगा.
वह दृढ़तापूर्वक खड़ा हो गया -
"अशोक.... में तुम्हे छोड़ूँगा नही..." वह गाराज़ उठा.
इंस्पेक्टर राज इंस्पेक्टर धरम के सामने बैठकर सब सुन रहा था. वह कब की कहानी पूरी कर चुका था. लेकिन वह दर्दभरी कहानी सुनकर कमरे मे सारे लोग इतने दर्द से अभिभूत हो गये थे कि बहुत देर तक कोई कुछ नही बोला. कमरे मे एक अनसर्गिक सन्नाटा छाया था.
एक प्रेम कहानी का ऐसा भयानक दर्दनाक अंत होगा...?
किसी ने नही सोचा था...
मीनू और शरद की प्रेम कहानी कॅबिन मे उपस्थित सभी लोगों के दिल को छू गयी थी.
थोड़ी देर बाद इंस्पेक्टर राज ने अपनी भावनाओं को काबू मे करते हुए पूछा,
"क्या शरद ने पोलीस स्टेशन मे रिपोर्ट दर्ज़ की थी...?"
"नही..."
"फिर... यह सब तुम्हे कैसे पता...?"
"क्योंकि मीनू का भाई... अंकित ने रिपोर्ट दर्ज़ की थी..."
"लेकिन उसने भी रिपोर्ट कैसे दर्ज़ की...? मेरा मतलब है उसे वह सबकुछ पता कैसे चला...? क्या शरद उसे मिला था...?" राज ने एक के बाद एक सवालों की छड़ी लगा दी.
"नही... शरद उसे उस घटना के बाद कभी नही मिला..." धरम ने कहा.
"फिर उसे खूनी कौन है यह कैसे पता चला...?" राज को अब उसे सता रहे सारे सवालों के जवाब मिलने की जल्दी हो रही थी..
"कुछ महीने पहले शरद ने मीनू के भाई को इस घटना के बारे मे खत लिख कर सब जानकारी लिखी थी... उसमे उसने उन चार लोगों के नाम पते भी लिखे थे.."
"फिर रिपोर्ट का नतीजा क्या निकला...?" राज ने अगला सवाल पूछा.
"... इस केस पर हमने ही तहक़ीक़ात की थी... लेकिन ना मीनू की डेड बॉडी मिली थी.. ना शरद मिला जो कि इस घटना का अकेला और बहुत अहम चश्मदीद गवाह था... इसलिए केस बिना कुछ नतीजे के वैसी ही लटका रहा... और अभी भी वैसे ही लटका पड़ा है..."
"अच्छा... शरद का कुछ अता पता ?" राज ने पूछा.
"उसके बारे मे किसी को भी कुछ पता नही चला... उस घटना के बाद वह कभी उसके अपने घर भी नही आया... वह जिंदा है या मरा... इसका भी कुछ पता नही चला... सिर्फ़ उसके अंकित को आए खत से ऐसा लगता है कि वह जिंदा होना चाहिए... लेकिन अगर वह जिंदा है तो छिप क्यो रहा है...? यही एक बात समझ मे नही आती..."
"उसका कारण सीधा है..." इतनी देर से ध्यान देकर सुन रहे पवन ने कहा.
"हाँ... उसका एक ही कारण हो सकता है कि... हाल ही मे जो दो कत्ल हुए उसमे शरद का ही हाथ हो सकता है.. और इसलिए ही मेने तुम्हे यहाँ बुलाकर यह सब जानकारी तुम्हे देना मुनासिब समझा..." धरम ने कहा.
"बराबर है तुम्हारा... इस खून मे शरद का हाथ हो सकता है ऐसा मान लेने की काफ़ी गुंजाइश है.. लेकिन मुझे एक बात समझ मे नही आती है कि.. जब वह कमरा या मकान अंदर से और सब तरफ से बंद होता है तब वह खूनी अंदर पहुचता कैसे है..? वह सारे कत्ल कैसे कर रहा है यह एक ना सुलझनेवाली पहेली बन चुकी है..."
"अच्छा अब मीनू के भाई को इस घटना के बारे मे पता चला तो उसकी प्रतिक्रिया क्या थी..? और अब केस के नतीजे मे देरी हो रही है इसके बारे मे उसकी प्रतिक्रिया कैसी है...?"
"वह आदमी पागलों जैसा हो चुका है... इस पोलीस स्टेशन मे उसका हमेशा चक्कर रहता है.. और केस का आगे क्या हुआ यह वह हमेश पूछता रहता है.. वह यह सब फोन करके भी पूछ सकता है.. लेकिन नही वह खुद यहाँ आकर पूछता है.. मुझे तो उसपर बहुत तरस आता है.. लेकिन अपने हाथ मे जितना है उतना ही हम कर सकते है..." धरम ने कहा.
"इसका मतलब हाल ही मे जो दो खून हुए उसका कातिल मीनू का भाई अंकिता भी हो सकता है..." राज ने कहा.
"आपने उसे देखना चाहिए... उसकी तरफ देख कर तो ऐसा नही लगता..." धरम ने कहा.
"लेकिन यह एक संभावना है जिसे हम झुटला नही सकते..." राज ने प्रतिवाद किया.
इंस्पेक्टर धरम ने थोड़ी देर सोचा और फिर हाँ मे अपना सर हिलाया...
क्रमशः……………………
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