RE: Hindi Sex Kahani नशे की सज़ा
नशे की सज़ा पार्ट--14
गतान्क से आगे......
अब जाकर विवेक को समझ मे आया कि हम लोग क्या गेम खेल रहे हैं. नेहा के होंठों का उसकी पॅंट के ज़िप पर स्पर्श होते ही उसका टेंट और बुरी तरह तन गया-काफ़ी कोशिशों के बाद आख़िरकार नेहा विवेक की पॅंट की ज़िप खोलने मे कामयाब हो गयी-लेकिन अभी भी विवेक का लिंग उसके वाइट अंडरवेर के अंदर ही फड़फदा रहा था. कुछ देर तक नेहा अपने होंठों को उसके अंडरवेर मे क़ैद लिंग पर फिरा फिरा कर उसे बाहर निकालने की नाकाम कोशिश करती रही.
नेहा की इस जबरदस्त एरॉटिक हरकत से विवेक बेकाबू हुआ जा रहा था-उसने अपने लिंग को एक ही झटके मे खुद ही अंडरवेर से बाहर निकाल दिया. नेहा ने बिना किसी देरी के विवेक के लिंग को अपने मूह के अंदर ले लिया और उस पर अपनी जीभ फिराने लगी.
मैने विवेक की तरफ देखकर कहा-“ सर यह बहुत एक्सपर्ट है.अब आप रिलॅक्स कर सकते हैं-जब तक हम लोग गेस्ट हाउस नही पहुँच जाते,आप जी भरकर इस मुख मैथुन का आनंद लीजिए.” विवेक ने अपनी आँखें बंद कर ली थी और वो मानो किसी दूसरी दुनिया मे पहुँच चुका था.
कुछ ही देर मे विवेक ने अपने लिंग की पिचकारी नेहा के मूह मे छोड़ दी और वो उसे किसी एक्सपर्ट कॉक सकर की तरह पीने की कोशिश भी करने लगी.
इसके बाद नेहाने बिना किसी के कहे खुद ही विवेक के लिंग पर जीभ फिराते हुए उसकी सफाई कर डाली.
“यह तो बहुत ही मज़ेदार माल है ! “ विवेक ने मेरी और सलोनी की तरफ देखकर खुश होते हुए कहा.
जाहिर था की नेहा ने जिस तरह से उसके लिंग पर अपनी एक्सपर्ट जीभ से मसाज की थी, उसकी मस्ती विवेक पर छाई हुई थी.
पोलीस गेस्ट हाउस लगभग आने ही वाला था.नेहा ने विवेक के लिंग की सफाई कर दी थी और वो उस पर अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी-शायद नेहा के मन मे यह चल रहा था कि गर वो विवेक को अपने आप से ही खुश रखेगी तो उस पर पोलीस की सख्ती कुछ कम होगी-इसीलिए वो विवेक को बिना कहे ही ज़्यादा से ज़्यादा मस्ती देने की कोशिश कर रही थी.
“ठीक है, बहुत हो गया-अब इसे अंदर करके पॅंट की ज़िप बंद कर दो”, सलोनी ने अचानक ही नेहा को हुक्म दे डाला और नेहा ने बिना किसी ना नुकुर किए विवेक के लिंग तो अपने हाथों से अंडरवेर के अंदर पॅक करते हुए उसकी पॅंट की ज़िप बंद करने लगी.
“जब तक गेस्ट हाउस नही आ जाता, तुम ऐसे ही नीचे बैठी रहो और अपने हाथ से इसे सहलाती रहो !” इस बार मैने नेहा को हुक्म दिया और वो अपने हाथ को विवेक के पॅंट मे पॅक्ड लिंग के उपर फिरा फिरा कर विवेक को मस्ती पहुँचने मे लग गयी.
कुछ ही देर बाद जीप पोलीस गेस्ट हाउस के गेट मे घुस गयी और पार्किंग मे जाकर रुक गयी.विवेक ने दरवाज़ा खोलने से पहले नेहा से कहा-“तुम्हारी बाकी की इनटेरगेशन तो अंदर गेस्ट हाउस मे जाकर ही होगी लेकिन तुमने जिस तरह से को-ऑपरेट किया है, उसके रिवॉर्ड के तौर पर मैं तुम्हारी हथकड़ी खोलता हूँ.” यह कहने के बाद विवेक ने अपनी पॉकेट मे से की निकाली और नेहा की हथकड़ी खोल दी. हम सब जीप मे से बाहर आ गये और विवेक के पीछे पीछे गेस्ट हाउस के एंट्रेन्स की तरफ बढ़ने लगे.गेस्ट हाउस के रिसेप्षन पर बैठे एक कॉन्स्टेबल ने विवेक को सलाम ठोंका तो विवेक ने कहा-“यह सब एसीपी साहिब के गेस्ट हैं-रूम नंबर. 510 खुलवा दो.”
“ जी सर.” कहकर कॉन्स्टेबल ने रूम नो.510 की की विवेक के हाथ मे पकड़ा दी और विवेक गेस्ट हाउस की लिफ्ट की तरफ बढ़ने लगा-लिफ्ट से 5थ फ्लोर पर हम लग आ गये थे-रूम नो.510,गेस्ट हाउस की टॉप फ्लोर का बिल्कुल आख़िरी कमरा था-बिल्कुल आख़िर मे होने की वजह से वहाँ किसी तरह का कोई डिस्टर्बेन्स भी नही था. कमरा खुला तो हम सबने देखा कि वो किसी फाइव स्टार होटेल के सुइट से कम नही था-घुसते ही एक ड्रॉयिंग एरिया था जहाँ एक सोफा सेट और सेंटर टेबल पड़ी हुई थी और उसे लगा हुए बड़े से कमरे मे किग्साइज़ डबल बेड .अटॅच्ड बाथरूम और टीवी/म्यूज़िक सिस्टम वग़ैरा सब कुछ था. कमरे मे एक साइड की पूरी दीवार ग्लास की बनी हुई थी जिसमे से सड़क का पूरा व्यू देखा जा सकता था. विवेक ने रूम को अंदर से लॉक कर लिया और बिस्तर पर पैर फैलाकर लेट गया और मुझसे बोला-“निशा, एसीपी साहिब कह रहे थे कि तुम दोनो इस लौंडिया का इनटेरगेशन करने मे मेरी मदद कर सकती हो ?”
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