RE: Hindi Sex Kahani नशे की सज़ा
कोई और रास्ता ने देख नेहा के हाथ धीरे धीरे अपने टॉप की तरफ चले गये और वो उसको काफ़ी हिचकिचाहट के साथ उतारने लगी.टॉप की लग होते ही उसके कसे हुए सीने के उभार जो एक पारदर्शी कपड़े की ब्रा मे लिपटे हुए थे, खुलकर सामने आ गये.
“ ब्रा भी उतारो “ राज ने फिर हुक्म दिया.
नेहा रुकी रही –ज़ाहिर है उसे ब्रा उतारने मे बहुत ज़्यादा संकोच और शर्म का अनुभव हो रहा था. राज ने गुस्सा दिखाते हुए उसकी तरफ देखा-,” बाहर मेरा चपरासी बैठा हुआ है, वो इस काम मे एक्सपर्ट है,तुम कहो तो ब्रा उतारने के लिए उसे बुलाऊं ?”
राज के मूह से यह सब सुनते ही नेहा ने बिना एक भी सेकेंड की देरी किए अपने बदन से ब्रा को एकदम उतार दिया
“हाथ उपर उठाकर पीछे की तरफ कर लो “ राज ने कहा और नेहा ने वैसे ही किया. राज अब एक हाथ से अपने लिंग को सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसके चिकने पेट पर फिराने लगा और आहिस्ता आहिस्ता उसका हाथ उसके सीने के उभारों तक पहुँच गया जिन्हे उसने दबाना सहलाना शुरू कर दिया. लगातार किए जाने वाले ह्युमाइलियेशन के चलते उसके सीने के उभार एकदम तन से गये थे.उपर करके हाथ खड़े होने की वजह से भी सीने के उभार काफ़ी आगे को निकल आए थे.
“ चलो पीछे घूमो !” इनस्पेक्टर का हुक्म हुआ और वो घूम गयी.
उसकी नंगी पीठ को भी राज ने जी भरकर सहलाया फिर बोला-“ चलो अब यह जीन्स भी खोल दो ! “
नेहा ने इस बार बिना किसी देरी के अपनी जीन्स उतारनी शुरू कर दी और अपनी जीन्स का उपरी बटन खोल दिया. बटन खुलते ही उसकी नीले रंग की पारदर्शी पॅंटी अंदर से नज़र आने लगी थी.
“ तुम जितनी देर मे चाहो इस जीन्स तो उतार सकती हो – मुझे कोई जल्दी नही है.” राज रिलॅक्स होकर सोफे पर बैठा हुआ अपने लिंग को पॅंट के उपर से ही सहलाते हुए बोला.नेहा को शायद उसकी बात से यह लगा की धीरे धीरे जीन्स उतारने से बेहतर है कि जल्दी जल्दी जल्दी उतारा जाए ताकि ह्युमाइलियेशन का पीरियड भी उतना कम हो जाए जो कपड़े उतरने मे होता है.इसलिए उसने बहुत जल्दी से अपनी जीन्स को उतारकर एक तरफ डाल दिया.उसकी फुर्ती देखकर एक बार तो राज भी हैरान रह गया.इनस्पेक्टर का हाथ अपने आप उसकी पॅंटी के उपर घूमने लगा.नेहा ने अपने हाथ से उसके हाथ को हटाने की नाकाम कोशिश भी की लेकिन उससे पहले राज ने अपना फरमान ज़ारी कर दिया-“ हाथ पहले की तरह उपर उठा लो और उन्हे पीछे की तरफ कर लो ! “
नेहा क्या करती.अपने हाथ उसने उपर करके पीछे की तरफ कर लिए-शर्म और जलालत से उसकी आँखें बंद हो गयी थी.
राज ने अचनाक उसकी पॅंटी के अंदर अपना हाथ डाला और उसके शेव किए हुए मखमली योनि प्रदेश को सहलाया फिर जब उसके संयम टूटने लगा तो उसने नेहा से कहा-“ चल अपने घुटनो के बाल बैठ जा.”
नेहा शायद समझी नही थी कि वो क्या चाहता था इसलिए कुछ देर तो ऐसे ही खड़ी रही फिर घुटनो के बल बैठ तो गयी लेकिन इस बात से बिल्कुल बेख़बर थी उसे ऐसे क्यों बिठाया गया है.
राज ने उससे कहा-“ मेरी पॅंट की ज़िप खोलो .”
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