RE: Desi Sex Kahani मेरी चूत पसंद है
करिश्मा बोल रही थी, "साले भोसरी के ससुरजी अपना लंड
मेरी गंद से निकाल ले. मेरी गंद फटी जा रही है, मैं मरे जा
रही हूँ. साले गंद मारना है तो जा अपनी बीवी के पास, देख वो कैसे
ईक साथ दो दो लंड अपनी चूत और गंद मे पिलवा रही है. जा, जाकर
अपनी बीवी की गंद मे अपना लंड डाल कर उसकी गंद मार, मुझे छोड़.
मुझे अपनी गंद नही मर्वानी है." रसिकलाल जी अपनी बहू की
बात सुन कर बोले, "साली रंडी, आज मैं तेरी गंद को चोद चोद कर
फाड़ दूँगा, कल सुबह उठ कर तू टटी नही कर पाएगी क्योंकी
तेरी गंद फॅट चुकी होगी. मुझे मालूम है कि मेरी बीबी जो कि तेरी
सास भी है उसको गंद मरवाने ने अच्छा लगता है और फटा फट मे
तीन चार बार उसकी गंद मार देता हू. आज मुझको तेरी कोरी गंद
मारने को मिला है और आज मैं बिना गंद फाडे नही छोड़ूँगा." इतना
कह कर रसिकलाल जी ज़ोर ज़ोर से अपने लंड से करिश्मा की गंद मारने
लगे. थोरी देर के बाद कैलाश, जो अब तक नीचे लेट कर अपना लंड
करिश्मा की चूत मे पेल रहा था झार गया और धीरे से करिश्मा के
नीचे से निकल कर बगल मे खड़ा हो कर ससुर और बहू की चुदाई
देखने लगा.जब करिश्मा अपने भाई को अपने पास खड़ा देखी तो
जल्दी से उसका लंड अपने हाथों मे ले कर सहला सहला कर खड़ा
किया और फिर उसको अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी. अब तक
करिश्मा को गंद मरवाने मे मज़ा मिलने लगा थाऔर वो मज़े से
अपनी गंद अपनी ससुर के लंड से मरवाने लगी और मुँह से अपने
भाई का लंड खाने लगी. उधर रमेश और गौतम भी गिरिजा देवी
की चूत और गंद मार कर फारिग हो चुके थे. थोरी देर के बाद
रसिकलाल जी नेभी अपने लंड का पानी करिश्मा की गंद मे छोड़ दिया
और अपना लंड करिश्मा की गंद निकाल लिया. अब चारों मर्दों के लंड
झर कर सिकुर चुके थे और दोनो औरतों की चूत और गंद चुद
चुद कर फूल कर लाल हो गयी थी. सभी थोरी देर तक लेट कर सुस्ता
लिए.और तब फिर करिश्मा और गिरिजा देवी नंगी ही किचन मे जा
कर सभी लोगों के लिए चाइ और हल्का नाश्ता लेकर फिर कमरे मे
पहुँच गयी. सभी ने चाइ और नाश्ता किया और फिर से अपनी अपनी
चुदाई मे बिज़ी हो गये. इसी तरह से उस रात करिश्मा और गिरिजा देवी
की चूत और गंद को सभी ने बारी बारी से चोदा और सुबह होने तक
सभी थक कर सो गये. दूसरे दिन सुबेरा होते ही गौतम और कैलाश
अपने अपने घर के लिए रवाना हो गये और रमेश और रसिकलाल
जी घर पर गिरिजा देवी और करिश्मा की चूत और गंद मे अपना लंड
डाल कर चोदना चालू रखा. अब गिरिजा देवी और करिश्मा दोनो बहुत
खुश थी क्योंकी उनकी चूत और गंद की प्यास अब हर रोज सुबह,
दोपहर, शाम और रात को रमेश और रसिकलाल जी के लंडो से
चुदवा कर बुझती थी. तो दोस्तो कैसी लगी ये कहानी ज़रूर बताना
आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
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