RE: Desi Sex Kahani मेरी चूत पसंद है
जब रमेश और करिश्मा
की सास घर पर नही होते तो करिश्मा अपने ससुर का कहना मान कर
घर पर नंगी ही रहती और नंगी ही रह कर खाना बनाती और
सारा घर का काम कर नंगी ही रहा कर पूरा करती. जब करिश्मा
नंगी हो कर घर पर खाना बनाती थी तो रसिकलाल जी घूम फिर कर
करिश्मा की चूंचियाँ मसल देते और कभी कभी करिश्मा की गंद
मे अपनी उंगली पेलते थे. कभी कभी करिश्मा भी अपने ससुर का
लंड पकड़ कर चुस्ती और फिर अपने ही हाथों से अपने ससुर का लंड
पकड़ कर अपनी चूत से भिड़ा कर अपनी कमर हिला हिला कर अपनी चूत
चुदवाती थी.कुछ दिनो के बाद करिश्मा की सास की एक किताब छप
कर प्रेस से निकली और उस किताब की काफ़ी बिक्री हुई. प्रेस वाले को काफ़ी
फायेदा हुआ और करिश्मा की सास का नाम काफ़ी मशहूर गया और इसी
खुशी से प्रेस वाले ने करिश्मा की सास के सम्मान मे एक पार्टी का
अरेंज्मेंट किया. पार्टी के लिए रमेश ने अपने दोस्त और उसकी बीवी,
गौतम और सुमन, को इन्वाइट किया और करिश्मा ने अपनी मम्मी और
अपने भाईओं को भी बुलाया.
पार्टी के दिन रमेश का दोस्त गौतम आ गया लेकिन उसकी बीवी,
सुमन, नही आ पाई क्योंकि उसकी तबीवत ठीक नही थी. उधर
करिश्मा के घर से उसका सिर्फ़ बड़ा भाई, कैलाश, ही आया क्योंकि रजनी
जी और करिश्मा की बहन की तबीयत ठीक नही थी. पार्टी के दिन
गिरिजा जी बहुत सजी सँवरी घूम रही थी. सब के सब लोग
उनको बधाई दे रहे थे और गिरिजा जी सुबसे मुस्कुरा कर बाते कर
रही थी. पार्टी मे जितनी भी औरतें आई थी वो सब गिरिजा जी
की सफलता पर उनसे मन ही मन ईर्षा कर रही थी और जितने मर्द
आए थे वो सब गिरिजा जी को घेर कर उनसे बातें कर रहें थे.
खैर पार्टी बहुत अच्छी थी. पार्टी मे जितने भी लोग आए वो सब
के सब गिरिजा जी की तारीफ्फ कर रहे थे और उनको बधाई दे रहे थे.
इसी तरह से पार्टी करीब रात के दो बजे ख़तम हुई.पार्टी के बाद
करिश्मा और रमेश अपने कमरे मे सोने के लिए चले गये.
कमरे मे जाकर करिश्मा और रमेश ने अपने अपने कपड़े
बदले और सोने की तैय्यारि करने लगे. सोने से पहले करिश्मा
बाथरूम मे पिशाब करने के लिए गयी और थोरी देर के बाद
बाथरूम से आकर अपने पति रमेश से बोली, "सुनो मेरे साथ आओ,
मैं तुम्हे एक नयी चीज़ दिखाउन्गि" "क्या नयी चीज़ दिखा रही हो ,
मैने तुम्हारी चूत और गंद बहुत बार देख चूक्का हूँ और उन्हे
चोद चक्का हूँ, अब क्या नयी चीज़ दिखलाओगी" रमेश बोला. तब
करिश्मा बोली, "अरे आओ तो मेरे साथ, आओ चुप चाप मेरे पीछे
चले आओ." रमेश उठ कर अपनी बीवी के पीछे पीछे कमरे के
बाहर निकल कर चलने लगा. करिश्मा नेचुप चाप रमेश को
अपने सास और ससुर के कमरे के सामने ला कर खरा कर दिया और
धीरे से बोली, "चुप चाप पर्दे के किनारे से कमरे मे झाँको."
जैसे ही रमेश ने कमरे के अंदर झाँका उसका माथा और लॉरा
दोनो तन्ना गये . कमरे मे रमेश की मा एक सोफे पर सिर्फ़ अपने
लाल रंग का पेटिकोट पहने बैठी थी और उनके दोनो तरफ
गौतम और करिश्मा का बड़ा भाई, कैलाश, बैठे थी और वो
दोनो गिरिजा जी की एक चूंची पकड़ कर मसल रहे थे या चूस
रहे थे. रमेश के पिताजी, रसिक लाल जी, कमरे के एक कोने पर
बैठ कर अपनी बीवी की नंगी रस लीला देख रहे थी. गिरिजा जी अपनी
चूंचियो को गौतम और कैलाश से मसलवा रही थी और मुँह
से बर्बरा रही थी, "ऊऊहह… …और जोरे से… ..हां डियर
और जोरे से दबाओ मेरी चूचियों को…..बड़ा मज़ा आरहा है
मुझे… …तुम्हारे हाथ बहुत ही एक्सपर्ट हैं…. …तुम्हे मालूम है
कि कैसे औरतों की चुन्चिओ को दबाया जाता है….है! और ज़ोर ज़ोर से
मेरी चुन्चिओ को दबाओ….आअहह….हाँ….मुझे बहुत अच्छा
लग रहा है." और गौतम और कैलाश दोनो मिल कर गिरिजा जी की
चूंचियो को अपने हाथों से मसल रहे थी. गौतम और कैलाश
जितना ज़ोर से चूंची मसल रहे थे गिरिजा जी उनको और ज़ोर ज़ोर से
दबाने के लिए बोल रही थी. गिरिजा जी बोल रही थी, "आअहह…
य्यूउउउउ… उउउउह्ह्ह्ह्ह…ऊओफफफ्फ़.." रमेश सब सब देख कर जैसे ही
करिश्मा के तरफ मुड़ा तो परदा थोड़ा हट गया और गिरिजा जी ने आवाज़
दी, "बेटे रमेश बाहर क्यों खड़ा है, चल अंदर चला आ और
अपने साथ अपनी बीवी लेकर आजा."
क्रमशः.........
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