RE: Desi Sex Kahani मेरी चूत पसंद है
जब तक रमेश अपनी ससुराल मे रहा
तब तक वो दोनो मा और बेटी को घर के अंदर नंगी ही रखता था
और जब मन चाहा वो किसी भी एक को पकड़ लेता था और उनकी चूत या
गंद मे अपना लंड पेलता था. शरम नाम की चीज़ अब इस घर मे
रही नही. कभी कभी तो रजनी जी अपने दामाद का लंड पकड़ कर
हिलाती थी और अपने बेटी के सामने ही उसको अपने मुँह मे भर कर
चुस्ती थी और जब लंड खड़ा हो जाता तो बेटी के सामने ही अपने
दामाद के आगे झुक कर दामाद का लंड पीछे से अपनी चूत मे भर
कर खूब मज़े से चुदवाती थी. रात को तीनो लोग नंगे हो
होकर एक ही पलंग पर सोते थे और खूब लंड चूत की लड़ाई करवाते थे.
कभी कभी तो मा और बेटी दोनो भिड़ जाते थे और एक दूसरे की चूत
चाता करते थे.करीब 15 दिन के बाद रमेश अपने ससुराल से वापिस
अपने घर चला आया. घर पहुँचते ही वो अपने काम पर चला
गया और रसिकलाल जी फिर अपने बहू को पकड़ लिया और उसकी साड़ी,
पेटिकोट, ब्लाउस, ब्रा और चढ़ी उतार कर अपने बहू को चोदना
चालू कर दिया. करिश्मा भी अपने ससुर को अपने हाथ और पैरों से
बाँध करके अपनी चूतर उठा उठा कर अपने ससुर के धक्को का
जबाब देती रही. रसिकलाल जी भी अपनी बहू की दोनो चूंची
अपने हाथों से दबाते हुए अपनी बहू की चूत चोद्ते रहे. थोरी देर
के बाद रसिकलाल जी ने करिश्मा से पूछा, "बहू, इतने दीनो तक क्या
तुम सिर्फ़ अपनी पति, रमेश, से चुद्ती रही या और कोई मिल गया था
तुम्हारी चूत चोदने के लिए?" करिश्मा अपने ससुर के धक्कों का
जबाब देती हुए बोली, "हाँ, बाबूजी इन दीनो मैं तो सिर्फ़ अपने पति से ही
अपनी चूत चुदवा रहीं हूँ. लेकिन, आपका बेटे ने इन दिनो मेरी मा,
याने अपने सास की चूत मे भी अपना लंड पेल चुक्का है." "वो
कैसे?" रसिकलाल जी ने करिश्मा से पूछा. तब करिश्मा ने सब
का सब बातें अपने ससुरजी को बता दिया. करिश्मा की बात सुन कर
रसिकलाल जी ने करिश्मा से बोले, "वाह! बहू, तुम्हारी मा भी
तुम्हारी भी तुम्हारी तरह चुड़दकर है. ठीक है, अब जब
मौका मिलेगा मैं भी अपने लंड से तुम्हारी मा की चूत चोदुन्गा.
तुम्हे तो कोई इतराज नही होगा?" "नही मुझे क्यों इतराज होगा? अब
मेरी मा बेचारी बिधवा हो गयी हैं और उनका उमर भी हो गया
है. इस समय अगर उनको आप जैसा कोई चोदु इंसान मिल जाए तो क्या
कहना. हाँ मेरी चूत की खुराक की कमी नही होनी चाहिए"
करिश्मा अपने ससुर से बोली. तब रसिकलाल जी अपनी बहू की चूत
मे पूरा का पूरा घुसेर कर चोद्ते हुए बोले, "नही मेरी चुड़दकर
बहू, हम चाहे और किसिको भी चोदे तुम्हारी चूत की भूक मैं
हमेशा मिटाता रहूँगा. अब चलो अपनी टाँगो को और फैलाओ मैं अब
ज़ोर ज़ोर से चोद कर झरने वाला हूँ." "क्यों, इतनी जल्दी झरना क्यों
चाहते हैं? कहीं किसी और को आपने टाइम दे रखा है क्या?"
करिश्मा अपने ससुर को मुस्कुराते हुए पूछी. तब रसिकलाल जी
अपनी बहू से बोले, "नही ऐसी कोई बात नही है. बात एह है कि
मेरा एक दोस्त आज विदेश से आया है और मैं उससे मिलने जाना चाहता
हूँ. और कोई बात नही है." इतना कह कर रसिकलाल जी ने अपनी बहू
की दोनो चूंचियो कस कर पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से धक्का मारने
लगे और थोरी देर के बाद वो झार गये. झरने के बाद दोनो मिल कर
बाथरूम मे जाकर अपने अपने लंड और चूत को धोया और अपने अपने
कपड़े पहन कर दोनो कमरे मे जाकर बैठ गये. थोरी देर के बाद
रसिकलाल ने जी उठ कर करिश्मा को अपने बाहों मे लेकर चूमा और
अपने कमरे मे जाकर सो गये. करिश्मा भी तब अपने कमरे मे
जाकर मॅक्सी पहन कर लेट गयी और थोरी देर के बाद सो गयी.इसी तरह
से करिश्मा की जिंदगी चलती रही. वो रोज रात को अपने पाती,
रमेश, से अपनी चूत चुदवाती थी और दिन को करिश्मा के ससुर
करिश्मा की चूत चोद्ता था. रमेश कभी कभी रात मे करिश्मा
को नंगी करके उसकी गंद भी मारता था.
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