RE: Desi Sex Kahani मेरी चूत पसंद है
इसी दौरान गौतम ने
एकबार करिश्मा की कमर को कस कर पकड़ लिया और अपनी कमरउछाल
करके एक धक्का मारा तो उसके लंड का सुपरा करिश्मा की गंद की
छेद मे घुस गया . फिर गौतम ने जल्दी से एक और जोरदार धक्का
मारा तो उसका पूरा का पूरा लंड करिश्मा की गंद मे घुस गया और
गौतम की झांते करिश्मा की चूतर को छूने लगी. अपनी गंद मे
गौतम का लंड को घुसते ही करिश्मा एक बार ज़ोर से चीखी और चिल्ला
कर बोली, "साले बहन्चोद, दूसरे की बीवी की गंद मुफ़्त मे मिल गयी तो
क्या उसको फाड़ना ज़रूरी है? भोसरि के निकाल अपना मूसर जैसा लंड
मेरी गंद से और जा अपना लंड अपनी मा की गंद मे या उसकी बुर मे
डाल. अरे रमेश तुम्हे दिख नही रहा है, तुम्हारा दोस्त मेरी गंद
फाड़ रहा है? अरे कुछ करो भी, रोको गौतम को, नही तो गौतम
मेरी गंद मार मार कर मुझे गॅंडू बना देगा फिर तुम भी मेरी
चूत छोड़ कर के मेरी गंद ही मारना." रमेश अपना लंड सुमन की
गंद के अंदर बाहर करते करिश्मा से बोला, "अरे रानी, क्यों चिल्ला
रही हो. गौतम तुम्हे अभी छोड़ देगा और एक-दो बार गंद मरवाने से
कोई गॅंडू नही बन जाता है. देखो ना मैं भी कैसे गौतम की बीवी की
गंद मे अपना लंड अंदर बाहर कर रहा हूँ. तुमको अभी थोरी देर
के बाद गंद मरवाने मे भी बहुत मज़ा मिलेगा. बस चुपचाप
अपनी गंद मे गौतम का लंड पिलवती जाओ और मज़ा लुटो. इतना सुनते ही
गौतम ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर करिश्मा की एक चूंची
पकड़ कर मसल्ने लगा और अपना कमर हिला हिला कर अपना लंड
करिश्मा की गंद के अंदर बाहर करने लगा. थोरी देर के करिश्मा
को भी मज़ा आने लगा और वो अपनी कमर चला चला कर गौतम का
लंड अपनी गंद से खाने लगी. थोरी देर के बाद रमेश और
गौतम दोनो ने सुमन और करिश्मा की गंद को अपने लंड की
पिचकारी से भर दिया और सुस्त हो कर सोफा मे लेट गये.इसतरह से
रमेश और करिश्मा जब तक गौतम और सुमन के घर पर रुके
रहे तब तक दोनो दोस्त एक दूसरे की बिवीओ की चूत चोद चोद कर मज़ा
मारते रहे. कभी कभी तो दोनो दोस्त करिश्मा या सुमन को एक साथ
चोद्ते थे. एक बिस्तेर पर लेट कर नीचे से अपना लंड चूत मे डालता
था और दूसरा अपना लंड ऊपर से गंद मे डालता था. करिश्मा और
सुमन भी हर समय अपनी चूत या गंद मरवाने के लिए तैय्यार
रहती थी. जब सब लोग घर के अंदर रहते थे तो सभी नंगे ही
रहते थे. करिश्मा और सुमन भी नंगी हो कर ही चाइ या खाना
बनाती थी और जब भी रमेश या गौतम उनके पास आता था तो वो
झुक कर उनका लंड अपने मुँह मे भर कर चुस्ती थी और जैसे ही
लंड खड़ा हो जाता था तो खुद अपने हाथों से खड़े लंड को अपनी
चूत से भिड़ा कर खुद धक्का मार कर अपनी चूत मे भर लेती थे.
एक हफ़्ता तक करिश्मा और रमेश अपने दोस्त के घर बने रहे और
फिर वापस अपने घर के लिए चल पड़े .जब प्लॅन मे रमेश और
करिश्मा अपने घर के लिए जा रहे थे तो रमेश ने करिश्मा से
पूछा, क्यों करिश्मा रानी, एक बात सही सही बताओ, कौन ज़्यादा अच्छा
चोद्ता है, मैं, गौतम या पिताजी?" रमेश की बात सुन कर
करिश्मा बिलकूल अचम्भित हो गयी, फिर उसने धीरे से पूछी,
"पिताजी से चुदाई की बात तुमको कैसे मालूम? तुम तो अपनी सुहागरात
पर ड्यूटी पर थे?" तब रमेश धीरे से करिश्मा को चूमते हुए
बोला, "हाँ, तुम ठीक कह रही हो, मुझे उस दिन ड्यूटी पर जाना पड़ा.
जब मैं अपनी ड्यूटी से करीब एक घंटे के बाद लौटा तो देखा तुम
पिताजी का लंड पकड़ चूस रही हो और पिताजी तुम्हारी चूत मे
अपनी उंगली पेल रहें है. ये देख मैं चुप चाप कमरे के बाहर
खड़ा हो कर तुम्हे और पिताजी को चुदाई ख़तम होते वक़्त तक
देखा और फिर लौट गया और सुबह ही घर पर आया." "क्या तुम
मुझसे नाराज़ हो" करिश्मा धीरे से रमेश से पूछी. "नही,
मैं तुम से बिल्कुल भी नाराज़ नही हूँ. तुमने पिताजी को अपनी चूत दे
कर एक बहुत बड़ा उपकर किया है" रमेश बोला. करिश्मा ये सुन कर
बोली, "वो कैसे". तब रमेश बोला, "अरे मेरी माताजी अब बूढ़ी हो
गयी हैं और उनको टांग उठाने मे तकलीफ़ होती है, लेकिन पिताजी
अभी भी जवान हैं. उनको अगर घर पर चूत नही मिलती तो वो
ज़रूर बाहर जाकर अपना मुँह मारते. उसमे हम लोगो की
बदनामी होती. हो सकता कि पिताजी को कोई बीमारी हो जाती. लेकिन अब
ये सब न्ही होगा क्योंकी उनको घर पर ही तुम्हारी चूत चोदने को
मिल जाया करेगी." "तो क्या मुझको पिताजी से घर मे बराबर
चुदवाना पड़ेगा?" करिश्मा पलट कर रमेश से पूछी. "नही
बराबर नही, लेकिन जब उनकी मर्ज़ी हो तुम उनको अपनी चूत देने से
मना मत करना." "लेकिन अगर तुम्हारी माताजी ने देख लिया तो?"
करिश्मा ने पूछी. "तब की बात तब देखी जाएगी" रमेश ने कहा.
फिर करिश्मा और रमेश अपने घर आ गये और अपने
अपने काम पर लग गये.
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