RE: Desi Sex Kahani मेरी चूत पसंद है
लेकिन बेटी तू बिल्कुल चिंता मत करना.
मैं तेरा सुहागरात खाली नही जाने दूँगा." करिश्मा ने अपने
ससुरजी की बात सुन तो ली पर अपने ससुर की बात उसकी दीमाग मे
नही घुसी, और करिश्मा अपना चहेरा उठा कर अपने ससुर को
देखने लगी. रसिकलाल जी नेआगे बढ़ कर करिश्मा को पलंग पर से
उठा लिया और ज़मीन पर खड़ा कर दिया. तब रसिकलाल जी मुस्कुरा
कर करिश्मा से बोले, "घबराना नही, मैं तुम्हारी सुहागरात बेकार
जाने नही दूँगा, कोई बात नही, रमेश नही तो क्या हुआ मैं तो
हूँ." इतना कह कर रसिकलाल जी आगे बढ़ कर करिश्मा को अपनी
बाँहों मे भर कर उसकी होठों पर चुम्मा दे दिया.जैसे ही
रसिकलाल जी ने करिश्मा के होठों पर चुम्मा दिया, करिश्मा
चौंक गयी और अपने ससुरजी से बोली, "ये आप क्या कर रहें है.
मैं आपके बेटे की पत्नी हूँ और उस लिहाज से मैं आप की बेटी लगती हूँ
और मुझको चूम रहें है?" रसिकलाल जी ने तब करिश्मा से कहा,
"पागल लड़की, अरे मैं तो तुम्हारी सुहागरात बेकार ना जाए इसलिए तुमको
चूमा. अरे लड़किया जब शादी के पहले जब शिव लिंग पर पानी चढ़ाती
है तब वो क्या मांगती है? वो मांगती है कि शादी के बाद उसका
पति उसको सुहागरात मे खूब रगड़े. समझी? करिश्मा ने अपना
चहेरा नीचे करके पूछा, "मैं तो सब समझ गयी, लेकिन
सुहागरात और रगड़ने वाली बात नही समझी." रसिकलाल जी
मुस्कुरा कर बोले, "अरे बेटी इसमे ना समझने की क्या बात है? तू क्या
नही जानती कि सुहागरात मे पति और पत्नी क्या क्या करते है? क्या
तुझे ये नही मालूम की सुहागरात मे पति अपनी पत्नी को कैसे
रगड़ता है?" करिश्मा अपना सिर को नीचे रखती हुई बोली, "हां,
मालूम तो है कि पहली रात को पति और पत्नी क्या क्या करते और करवाते
हैं. लेकिन, आप ऐसा क्यों कह रहें है?" तब रसिकलाल जीने आगे
बढ़ कर करिश्मा को अपने बाहों मे भर लिया और उसके होठों को
चूमते हुए बोले, "अरे बहू, तेरी सुहागरात खाली ना जाए, इसलिए मैं
तेरे साथ वो सब काम करूँगा जो एक आदमी और औरत सुहागरात मे
करते हैं."करिश्मा अपने ससुर के मुँह से उनकी बात सुन कर शर्मा
गयी और अपने हाथों से अपना चहेरा ढँक लिया और अपने ससुर
से बोली, "हाई! ये क्या कह रहें है आप. मैं आपके बेटे की पत्नी हूँ
और इस नाते से मैं आपकी बेटी समान हूँ और मुझसे क्या कह रहें
है?" तब रसिकलाल जी अपने हाथों से करिश्मा की चुन्चिओ को
पकड़ कर दबाते हुए बोले, "हाँ मैं जानता हूँ कि तू मेरी बेटी समान
है. लेकिन मैं तुझे अपनी सुहागरात मे तड़पते नही देख सकता और
इसीलिए मैं तेरे पास आया हू." तब करिश्मा अपने चहेरे से अपना
हाथ हटा कर बोली, "ठीक है बाबूजी, आप मेरे से उमर मे बड़े
हैं. आप जो ही कह रहें है, ठीक ही कह रहें हैं. लेकिन घर मे
आप और मेरे सिबा और भी तो लोग हैं." करिश्मा का इशारा अपनी
सासू के लिए था. तब रसिकलाल जी ने करिश्मा की चूंची को
अपने हाथों से ब्लाउस के उपर से मलते हुए कहा, "करिश्मा तुम
चिंता मत करो. तुम्हारी सासू को सोने से पहले दूध पीने की
आदत है, और आज मैने उनके दूध मे दो नींद की गोली मिला कर उनको
पीला दिया है. अब रात भर वो आराम से सोती रहेंगी." तब करिश्मा
ने अपने हाथों से अपने ससुर की कमर पकड़ते हुए बोली, "अब आपको
जो भी करना है कीजिए, मैं मना नही करूँगी."तब रसिकलाल जीने
करिश्मा को अपनी बाहों मे भींच लिया और उसकी मुँह को बेतहाशा
चूमने लगे और अपने दोनो हाथों से उसकी चुन्चेओ को पकड़ कर
दबाने लगे. करिश्मा भी चुप नही थी. वो अपने हाथों से
अपने ससुर का लंड उनके कपड़े के उपर से पकड़ कर मुठिया रही
थी. रसिकलाल जी अब रुकने के मूड मे नही थे. उन्होने
करिश्मा को अपने से लग किया और उसकी सारी की पल्लू को कंधे से
नीचे गिरा दिया. पल्लू के नीचे गिरते ही करिश्मा की दो बड़ी बड़ी
चूंची उसके ब्लाउस के उपर से गोल गोल दिखने लगी. उन चूंचियो
को देखते ही रसिकलाल जी उन पर टूट परे और अपना मुँह उस पर
रगड़ने लगे. करिश्मा की मुँह से ओह! ओह! आह! क्या कर रहे की
आवाज़े आने लगी. थोरी देर के बाद रसिकलाल जी ने करिश्मा की सारी
उतार दी और तब करिश्मा अपने पेटिकोट पहने ही दौड़ कर कमरे
का दरवाजा बंद कर दिया. लेकिन जब करिश्मा कमरे की लाइट बुझाना
चाही तो रसिकलाल जी ने मना कर दिया और बोले, "नही बत्ती
मत बंद करो. पहले दिन रोशनी मे तुम्हारी चूत चोदने मे बहुत
मज़ा आएगा." करिश्मा शर्मा कर बोली, "ठीक है मैं बत्ती बंद
नही कर ती, लेकिन आप भी मुझको बिल्कुल नंगी मत कीजिएगा." "अरे
जब थोड़ी देर के बाद तुम मेरा लंड अपनी चूत मे पिलवाओगी तब
नंगी होने मे शरम कैसी. चलो इधर मेरे पास आओ, मैं अभी
तुमको नंगी कर देता हूँ." करिश्मा चुपचाप अपना सर नीचे
किए अपने ससुर के पास चली आई.जैसे ही करिश्मा नज़दीक आई,
रसिकलाल जी ने उसको पकड़ लिया और उसके ब्लाउस के बटन खोलने
लगे. बटन खुलते ही करिश्मा की बड़ी बड़ी गोल गोल चूंचियाँ उसके
ब्रा के उपर से दिखने लगी. रसिकलाल जी अब अपना हाथ करिश्मा के
पीछे ले जाकर करिश्मा की ब्रा की हुक भी खोल दी. हुक खुलते ही
करिश्मा की चूंची बाहर रसिकलाल जी के मुँह के सामने झूलने
लगी. रसिकलाल जी तुरंत उन चुन्चियो को अपने मुँह मे भर लिया
और उनको चूसने लगे. करिश्मा की चुन्चियो को चूस्ते चूस्ते उन्होने
करिश्मा की पेटिकोट का नाडा खींच दिया और पेटिकोट करिश्मा के
पैर से सरकते हुए करिश्मा के पैर के पास जा गिरा. अब करिश्मा अपने
ससुर के सामने सिर्फ़ अपने पॅंटी पहने खड़ी थी. रसिकलाल जी ने
झट से करिश्मा की पॅंटी भी उतार दी और करिश्मा बिल्कुल नंगी हो
गयी. नंगी होते ही करिश्मा ने अपनी चूत अपने हाथों से ढक
ली और शरमा कर अपने ससुर को कनखियो से देखने लगी.
रसिकलाल जी नंगी करिश्मा के सामने ज़मीन पर बैठ गये
और करिश्मा की चूत पर अपना मुँह लगा दिया. पहले रसिकलाल जीने
अपने बहू की चूत को खूब सुघा. करिश्मा की चूत से निकलती
सौंधी सौंधी खुश्बू रसिकलाल जी के नाक मे भर गयी .
वो बड़े चाव से करिश्मा की चूत को सूंघने लगे. थोरी देर के
बाद उन्होने अपना जीव निकाल कर करिश्मा की चूत को चाटना सुरू
कर दिया. जैसे ही उनकी जीव करिश्मा की चूत मे घुसी, तो करिश्मा
जो की पलंग के सहारे खड़ी थी, पलंग पर अपने चूतर टीका दिए
और अपने पैर फैला कर अपनी चूत अपने ससुर से चटवाने लगी.
थोड़ी देर तक करिश्मा की चूत चाटने के बाद रसिकलाल जीने अपनी
जीव करिश्मा की चूत के अंदर डाल दी और अपनी जीव को घुमा
घुमा कर चूत को चूसने लगे. अपनी चूत चटाई से करिश्मा
बहुत गरम हो गयी और उसने अपने हाथों से अपने ससुर का सिर
पकड़ कर अपनी चूत मे दबाने लगी और उसकी मुँह से सी सी की
आवाज़े भी निकलने लगी.
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