RE: Desi Chudai Kahani कमसिन जवानी
अजय पूरी ताक़त से भाभिजी की पीठ पर चढ़ चढ़ कर तेल से मालिश कर रहा था ..अजय के हाथ और भाभी की पीठ तेल से चिकनी हो गयी थी ..अजय ने पीछे से भाभी के पेटीकोआट से सारी को ढीला करा अब अजय के हाथ भाभी क़ी गांद के अंदर जाने लगे अजय ने और तेल लेकर गांद मे हाथ घुसाकर कर मालिश केरनी शुरू करी ..."कैसा लग रहा है पीछे ज़ोर ज़ोर से मालिश कर रहा हूँ?"अजय ने कहा
भाभिजी"ययए पीछे क्या होता है..भेन्चोद ,बहेन के लोड्े मालूम नहीं है क्या इसे गांद कहते हैं..अब ज़रा और ज़ोर ज़ोर से मल एक एक गांद को दबा दबा कर मल.."अजय को भाभी के मूह से ऐसी बातें सुनने मे खूब मज़ा आ रहा था..जो भाभी बोलती जा रही थी अजय वेसा ही कर रहा था..
अजय गांद पेर तेल मल रहा था और गंद को उपेर नीचे तक मालिश कर रहा था..ऐसा केरने से उसके हाथ भाभी की जांगों तक जा रहे थे और उपेर कमर तक आ रहे थे..अजय भाभिजी की गोरी और गदराई गंद को देखना चाहता था..
अजय ने अब भाभी बोलना छ्चोड़ दिया था.."तेरी गंद नंगी कर दूँ क्या ..?"
भाभी"गांद को नंगा कर दे और चढ़ चढ़ कर मालिश कर दे..आज निहाल कर दे इस गांद को कभी किसी ने इसे नही मला...आज तू मल दे मेरे मदर्चोद सेहरी हरामी.."
अजय को अब हैरानी नही हो रही थी..वो समझ गया कि भाभी को ऐसे ही मज़ा आता है
"अर्रे मेरी रांड़ आज तो पूरे जिस्म की मालिश कर दूँगा ..तेरे जिस्म के पूरे दर्द को कम कर दूँगा..बस तू देखती जा मेरी बहेन की लोंड़िया"अजय ने भाभिजी के पेटीकोआट आगे हाथ ले जाकेर खोल दिया और इसके साथ ही पूरा पेटीकोआट नीचे सरका दिया ...अब भाभी अजय के सामने पेट के बल लेती थी बस उपेर एक ब्लाउस था और पीछे से नंगी भाभी अजय के सामने थी..अजय ने दोनो पैरो के बीच आकर उसकी गांद की मालिश करनी शुरू करी.."मेरी रंडी आज देखले कैसे फाड़ देता हूँ में तेरी ..."अजय ने कहा
भाभी"अब्बे भोसड़ी से उगे हुए लंड ,तू क्या फाड़ेगा मेरी ,फेक मत ....आज देखती हूँ कि शहेर के लंड और देसी लंड मे क्या फ़र्क होता है..अर्रे कर के तो बता ....मदर्चोद"
अजय उसकी बातें सुन कर हस्ता भी जा रहा था उसे बोहोत सेक्सी फील हो रहा था.
भाभी"अब क्या गांद पर ही हाथ माल्ता रहेगा और ययए ...ये चूचिया मेरे इतने बड़े बड़े मम्मो का क्या होगा ..इसे अपने हाथों मे लेकर मल ,मा के लोड्े ,तेरे लंड मे ज़्यादा खुजाल चल रही है तो इसका दूध निकाल कर बता सहेर के भदुये.."
अजय ने फॉरन उसके ब्लाउस को फाड़ कर अलग करा और अपने हाथों मे तेल लेकेर उसके चूचियो को मसल्ने लगा .. भाभिजी का दूध अजय की मुट्ठी में फसे हुए थे..भाभी"अर्रे और कर ना..अहह अहह आज इन्हे और बड़ा कर दे ..चूस चूस कर मेरी चूची के दाने को बड़ा कर दे..! हयी अया और दबा हरम्खोर लंड के सूपदे...ही अपनी ज़बानी की कसम बोहोत अच्छा लग रहा है रज्जा.......मेरे भोसड़ी के ..मेरी चूत के दीवाने"
भाभिजी लगातार चूचियों के मसले जाने से अपनी सुध बुध खोती जा रही थी..
भाभी"अर्ररे ज़रा लंड तो बता कहाँ है में भी तो देखु कितना बड़ा लॉडा है तेरा...................हययययए तेरी लुल्ली को आज चूस चूस कर सूपड़ा का हाल बहाल ना कर दिया तो देख...आज में तेरी रांड़ हूँ हराम के जाए ...भोसड़ी से उगे हुए लंड , मेरे साजन"
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