RE: Desi Chudai Kahani कमसिन जवानी
कमसिन जवानी-10
गतान्क से आयेज..........................
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फ़िज़ा इस बात से बिल्कुल बेख़बर थी कि उसके सेनिऔर अब इस दुनिया मे नही रहे वो अपने मामा के यहाँ गई थी कॉलेज मे होने वाली घटना का उसे मालूम नहीं था वरना वो खुद ही ज़िंदा नहीं रह पाती...फ़िज़ा अपने मामा के घर से जो की शहर से कुछ ही दूर था वहाँ एक हफ्ते के लिए शादी में गई थी लौट ते हुए अपने फार्म हाउस पर जा रही थी..फ़िज़ा का फार्म हाउस शहेर के हाइ वे के पास ही था ..रास्ते में फ़िज़ा बड़े आराम से गाड़ी चलाती हुई गाने सुनते हुए मस्ती मे चली जा रही थी कि अचानक उसे एक बॉडी जो की पेट के बल ओंधी पड़ी हुई थी को देखती है पहले तो डर के मारे काँप गई फ़िज़ा ने गाड़ी को सीधे लेकेर जाने का सोचा लेकिन पता नहीं उसे क्या हुआ और उसने गाड़ी को रोक दिया और धीरे धीरे अपने कदमो को उस बॉडी की तरफ बढ़ाने लगी...
बॉडी खून से सनी हुई थी..किसी नौजवान लड़के की ही लग रही थी..आसपास कोई नहीं था सुनसान रोड पर फ़िज़ा उस बॉडी के पास बैठी हुई थी.."हाए भगवान ये किसने इसे इतनी बेदर्दी से मार कर फैक दिया "कहते हुए फ़िज़ा ने बॉडी को सीधा किया और उसके लिए तो जैसे सब कुछ एक बार मे ख़तम हो गया...फ़िज़ा के सामने उसका सीनियर था जिसे उसने प्रपोज़ करा था..हमेशा जिसकी बाहों मे आकर फ़िज़ा गिरा करती थी..आज उसे फ़िज़ा की बाहों की उसके प्यार की और साथ की ज़रूरत थी..फ़िज़ा बदहवास हो चुकी थी उसे लग रहा था कि अब उसके जीने का मकसद ख़तम हो चुका है...फ़िज़ा वहीं पसार कर बैठ गई और उमैर के सीने पर सिर पटक पटक कर रोने लगी ..सीने पर सिर रखा और उसे धड़कनो की धीमी रफ़्तार सुनाई देने लगी..फ़िज़ा ने कार को पास लाकर उसे गाड़ी मे रखा और ले गयी उमैर को अपने फार्म हाउस पर.........जहाँ कोई आता जाता नहीं था
सुबह का सूरज निकल चुका था और नयी सुबह के साथ हर्ष कल अपने साथ हुई डरावनी घटना को भुला चुकी थी ..हर्षा को अब वो बैल वाली घटना याद नहीं आ रही थी उसे तो बस हरिया की मर्दानगी ही याद आरहि थी ..हरिया के बारे मे सोचते ही हर्षा की चूचियों मे उभार और बढ़ जाता था..और नीचे पॅंटी गीली हो जाती थी उसे समझ नहीं आता था कि आख़िर उसे प्यार हो गया है या फिर उसका जिस्म जवानी के सारे बंधानो को तोड़ कर हद से गुज़र जाना चाहता है वो भी क्या हरिया के साथ...."नहीं नहीं वो तो सिर्फ़ गाओ का एक मामूली सा लड़का है जो सिर्फ़ खेती किसानी मे ही जीवन बिता देगा ..वो मेरे लायक कहाँ है"सोच सोच कर हर्षा अपने बेचेन दिल को सांत्वना दे रही थी....हर्षा का मन फिर से उस नौजवान से मिलने को लालायित था..उसे थैंक्स कहने के लिए...
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