RE: Desi Chudai Kahani कमसिन जवानी
दीपाली मानव घर आ चुके थे और अजय को हर्षा की टेंशन हो रही थी
"यार ये अभी तक आई नहीं कहाँ भेज दिया था भाभिजी आपने हर्षा को आपको मालूम था ना कि वो नादान है...मुझे ही उठा दिया होता तो चला जाता उसके साथ"अजय गुस्से मे भाभी पर तन तना रहा था
राधिका भाभी"अरे भैयाजि हमने तो बस पास ही मे भेजे थे बस आती ही होगी फिकर ना करिए आप"
अजय से रहा नहीं गया और वो जाने लगा उसे ढूढ़ने..अचानक हरिया की एंट्री हुई और वो अंदर आया उसकी बाहों मे हर्षा बिलख बिलख कर रो रही थी..देख कर ही सब के होश उड़ गये कि ऐसा क्या हो गया..हरिया ने उसे धीरे से वहीं चारपाई पर लेटा दिया...अजय पागलों की तरह हरिया को देख रहा था जैसे उसे जान से मार देगा"सीसी क्क्या हुआ इसे रो क्यूँ रही है ये"
हरिया ने सारी बात बताई कि कैसे हर्षा बैल के आ जाने से घबरा गई थी...
दीपाली और भाभिजी हर्षा को चुप करा रहे थे..अजय ने हरिया को थेक्श कहा और उसे जाने को बोल दिया हरिया वहाँ से चला गया...........
हर्षा रोते रोते सो चुकी थी दीपाली ,मानव और अजय भाभिजी से आँगन में बैठकेर बातें कर रहे थे शाम के 7 बज रहे थे....राधिका भाभी से थोड़ी देर तक बात केरने के बाद दीपाली उठी और हर्षा के पास चली गईइइ..मानव भी उठ कर चला गया ..भाभिजी और अजय दोनो अकेले बैठे हुए थे..आस पास उनकी लड़कियाँ खेल रही थी..अजय ने भाभिजी से पूछा"भाभिजी क्या आपको लड़के की कमी महसूस नहीं होती"
भाभिजी"ह्म्म अब होती भी है तो हम का कर सकत हैं भैईयाज़ी
...इसके पापा तो हमे खूब ताने मारत हैं कि जब देखो गर्भ मे लर्की को ही ले कर आती हैं..जे काहे नही सोचत हैं कि इनमे ही कमी हैं..औलाद मरद से होती हैं और लड़का या लड़की पैदा करना मारद के उपेर ही निर्भर होता और झेलते हम औरत लोग हैं"
अजय उसकी बातों को गोर से सुन रहा था....
वहाँ हर्षा को सपनो मे बैल का ख़ौफ़ सता रहा था...उसे रह रह कर अपने साथ घटने वाली घटना सपनो मे ही परेशान कर रही थी..अचानक दूर रोशनी से आता हुआ नौजवान उसे प्यार से बाँहो मे समेट लेता है और अब चारो तरफ अलग ही रोमांच सा प्रतीत होता है...हर्षा को सपनो मे हरिया का स्वरूप बार बार नज़र आ रहा था..वो इतना अच्छा इतना सच्चा ...उँचा कद काठी वाला कामुक निगाहें और उसके चौरे सीने से लगी हुई हर्षा .............. सब कुछ हर्षा अपने सपने में ही देख रही थी...और नींद मे ही बार्बरा रही थी..उसके बाजू मे लेटी दीपाली हर्षा के सिर पर हाथ फेर रही थी कि शायद हर्षा अभी भी सदमे में ही हैं....
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कॉलेज में पड़ाई का महॉल फिर से शुरू हो चुका था ..लड़किया उमैर की यादों मे ही अपने 2 4 आसू बहा लेती थी..गमों को भूल कर सबने पड़ाई केरना शुरू कर दिया था आख़िर कब तक वो भी शोक मे जीते..............?
वहाँ उमैर की ज़िंदगी और मौत का फ़ैसला लेना शायद नियती के हाथों मे ही था..उमैर को ये होश नहीं था कि वो ज़िंदा है या मर चुका है..गोशी का भाई उसे मार मार कर अधमरा करके रास्ते मे ही फैक कर चले गये थे ..ये सोचकेर कि कोई ट्रक या भारी वाहन के आने पर अच्छे से कुचल कर स्वयं ही मर जाएगा ...पर शायद नियती को कुछ और ही मंज़ूर था उसकी प्रेमिका द्वारा की गई लंबी उम्र की मिन्नतें उसे कैसे आसानी से मरने दे सकती थी..................
क्रमशः.............................
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