RE: Desi Chudai Kahani कमसिन जवानी
उमैर की गाड़ी नीचे खाई में कलसूम मॅम और सिन्हा ऐसे फैकते हैं कि किसी को कोई सबूत ना मिले...
कलसूम मॅम उमैर के घर पर कॉल कर देती हैं उमैर"म्र्स गुप्ता उमैर का आक्सिडेंट हो चुका है आप का बेटा मर चुका है खाई में उसकी गाड़ी मिली है "कलसूम अपना नाम नहीं बताती है"
उमैर के माँ बाप तो जैसे अपने बच्चे के मरने की खबर सुनकेर ही हाल बहाल हो जाते हैं...
कॉलेज में मातम च्छा गया..उमैर की दीवानियो से कोई पूछता ..जिस सीनियर को देख देखकेर हर लड़की के चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान तार जाती थी ,योवानायें उसके कॉलेज आने का बेसब्री से इंतेज़ार करा करती थी..आअज वो मर गया है..
शोक और मातम ऐसा फैल गया जैसे अब कॉलेज में किसी लड़की के आने का कोई मतलब ही नही..उमैर का ग्रूप हरियाणा ट्रिप पर गया हुआ था..जो उसके जिगरी दोस्त थे वो यहाँ इस शहेर में नहीं थे...
अजय इस बात से बेख़बर ही था...वो खुद को समहालने के लिए अपने दोस्तों के साथ चला गया था
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अजय और उसके दोस्त टीकमगढ़ गाओ पोहोच चुके हैं....!!!!!!
गाव पोहोच्ते ही अजय के साथी मानव के दादाजी के घर पोहोच जाते हैं..दूर का सफ़र होने के कारण सब आराम करने लग जाते हैं..शेरसिंघ उनका स्वागत करता है...बोहोत बड़ा घर होने के कारण शेरसिंघ का परिवार आँगन के दूसरे तरफ बने हुए कमरों में अपना गुज़ारा करता था..शेरसिंघ के घर पर उसकी बहू और बेटा था बेटा खेती का काम करता था...बहू के 3 लड़कियाँ थी...जो अभी वयस्क नहीं हुईं थीं..अजय ने अपना रूम सेलेक्ट कर लिया था और घोड़े बेच कर सो गया...मानव भी उसके ही साथ और बाकी दोनो लड़कियाँ अपने दूसरे रूम में जाकर आराम करने लगी और फ्रेश होने लगी...
शेरसिंघ की बहू राधिका देखने में एक दम गाओ की मदमस्त औरत लगती थी..चौड़ा चकरा गोल चेहरा और एक दम सुर्ख गुलाबी होन्ट और गदराया हुआ उसका बदन एक नज़र मे ही क़ायल कर देने के लिए काफ़ी था...उसे देखकेर कोई उसकी 3 बेटियाँ होने का अंदाज़ा नहीं लगा सकता था...मानव राधिका से घुला मिला था क्यूंकी वो गाओं मे आता जाता रहता था..नींद खुलते ही मानव शेरसिंघ से खेत और घर का हाल चाल पूछने चला गया और राधिका चाय देने के लिए आँगन को पार करते हुए इन लोगों को चाय और नाश्ता कमरों मे देने चली गई..
दीपाली और हर्षा को देने के बाद वह अजय के रूम मे आती है तो अजय टाँगें पसारे घोड़े बेचकर सो रहा था ..मानव शेरसिंघ के पास आँगन में बैठकर बातें कर रहा था..राधिका आती है तो अजय के चहरे पर नज़रे घुमाती है.."क्या सच मे सहेर के लोग ऐसे होते हैं.."अजय के चेहरे की चमक देखकर वह मन ही मन ऐसा सोच रही थी.कि अचानक अजय की आखे खुल गई और वो सामने खड़ी राधिका को देखकर अजय उठकर बैठ गया"जी जीई आप कोन है"
राधिका"हमारा नाम राधिका है..इहाआँ की बहू हैं हम ..गुड्डू भैया की लुगाई..
गुड्डू भैया की लुगाई को देख कर अजय एक दम गर्म हो चुका था.."क्या सेक्सी फिगेर है यरर्र्र्ररर मिल गई ना तो छोड़ूँगा नहीं"ऐसी बातें अजय के दिमाग़ में घूम रही थी..सो कर उठने के बाद अजय बोहोत सेक्सी फील कर रहा था....उंघते हुए उठा और बोला भाभिजी में फ्रेश हो जाउ आप चाय और नाश्ता रख दीजिए में अभी कर लूँगा......भाभिजी चाय और नाश्ते की ट्रे वहीं रख कर चली गई...मानव अजय के रूम में आकर "अबे उठ जाअ कुंभकारण के बस ऐसे ही सोता रहेगा चल उठ जा "मानव ने चदडार ओढ़े सो रहे अजय की चादर खीच कर फेक दी...
अजय"अबे तेरी ऐसी की तेसि....चल ये बता मेरी बहेन कहाँ हैं हर्षा और दीपाली उठ गये क्या वो दोनो भी????"
मानव"हर्षा फ्रेश होने गई है..और दीपाली अभी सो रहीं रही है उसे भी उठाने जाना है..और हाआँ सुन बे पीछे आँगन में चले जाना वहीं जाते हैं कुए के पीछे फ्रेश होने चल उठ और फ्रेश होकेर आ.."""
अजय ने उसकी बात सुनकेर थोड़ा मूह सा बनाया कि अब आँगन पार करके ही बार बार मूतने कॉन जाए याअर"
वहाँ मानव अपनी जान दीपाली को जो कि सो रही है उठाने जाता है....
दीपाली बड़े आराम से घोड़े बेचकेर सो रही थी....उपेर वाइट टॉप था बाकी जिस्म उसका चादर से ढका हुआ था..करवट लेकेर सो रही थी..जिससे गोर से देखने पर उसकी हल्की हल्की ब्रा भी नज़र आ रही थी..मानव उसके बेड पर जा कर बैठ गया और धीरे से अपने होंठो से उसके कानो को मसल्ने लगा..और बोलने लगा"जाअनुउऊ उठना नहीं है क्या..."दीपाली फिर भी सो रही थी...... मानव ने करवट लेकेर सो रही दीपाली को पलट कर सीधा कर दिया..उसकी चूचियाँ उसके सास लेने के साथ साथ उपेर नीचे हो रही थी ,सुर्ख लाल होठों पर लालिमा मानव को पागल बना रही थी मानव उसके होठों के रस को पी लेना चाहता था........उसे देखकेर लग रहा था कि बेचारी सच मे थक गई थी...एक हाथ दीपाली का उसके सीने पर और दूसरा उसके सिर के पास था..उसे क्या मालूम था कि उसका प्रेमी उसके पास बैठा हुआ अद्भुत द्रश्य को निहार रहा था...
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